राज्यसभा में कल पेश हो सकता है नागरिकता बिल, इस बार आर्टिकल 370 और तीन तलाक जैसी कठिन नहीं राह

 मोदी सरकार मंगलवार को राज्यसभा में नागरिकता संसोधन विधेयक पेश कर सकती है। इस बिल पर सदन में 6 घंटे चर्चा होगी। लेकिन इस बार बीजेडी और अन्नाद्रमुक समेत कई पार्टियों के समर्थन के ऐलान के बाद से मोदी सरकार की राह आसाना होती दिख रही है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 10, 2019 12:48 PM IST

नई दिल्ली. मोदी सरकार मंगलवार को राज्यसभा में नागरिकता संसोधन विधेयक पेश कर सकती है। इस बिल पर सदन में 6 घंटे चर्चा होगी। लेकिन इस बार बीजेडी और अन्नाद्रमुक समेत कई पार्टियों के समर्थन के ऐलान के बाद से मोदी सरकार की राह आसाना होती दिख रही है। हालांकि, इससे मुस्लिक स्थिति में भाजपा सरकार तीन तलाक और आर्टिकल 370 जैसे बिल पास करा चुकी है। 

इससे पहले सोमवार दिनभर चली बहस के बाद लोकसभा में नागरिकता संसोधन विधेयक पास हो गया था। 311 संसदों ने इस बिल के समर्थन में वोट किया था। वहीं, 80 मत विरोध में पड़े थे। 

क्या है नागरिकता संसोधन बिल ? 
नागरिकता संसोधन बिल 2019 के मुताबिक, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक आए हिंदू, सिख, बुद्ध, जैन, पारसी और क्रिश्चियन के साथ अवैध घुसपैठियों जैसा व्यवहार नहीं होगा, बल्कि उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाएगी। 

कौन-कौन से दल समर्थन में?
अन्नाद्रमुक, बीजद, जदयू, अकाली दल। इसके अलावा नामित सदस्य और अन्य भी सरकार को समर्थन दे सकते हैं। 

कौन कौन सी पार्टियां विरोध में? 
कांग्रेस, तृणमूल, सपा, वामदल, डीएमके, टीआरएस, बसपा। इसके अलावा अन्य करीब 21 सदस्य भी विरोध में हैं।

शिवसेना का यू टर्न
शिवसेना के राज्यसभा में 3 सांसद हैं। लोकसभा में नागरिकता बिल का समर्थन किया। लेकिन अब पार्टी ने यूटर्न ले लिया है। महाराष्ट्र्र के मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे का कहना है कि जब तक चीजे साफ नहीं हो जातीं, हम राज्यसभा में बिल पर सरकार का समर्थन नहीं करेंगे। हालांकि, इससे पहले शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने लोकसभा में बाद राज्यसभा में सरकार के समर्थन को लेकर कहा था, क्या हमारी भूमिका अलग अलग होती है। राष्ट्र के हित में शिवसेना हमेशा खड़ी रहती है।

राज्यसभा का गणित
राज्यसभा में कुल सीटें 245 हैं। लेकिन मौजूदा वक्त में 5 सीटें खाली हैं। ऐसे में कुल सीटें 240 रह जाती हैं और बहुमत के लिए 121 के आकड़े की जरूरत है। ऐसे में भाजपा आसानी से बिल पास करा सकती है। 

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