आजकल के ज़्यादातर बच्चे (Children) भ्रम (illusion) में जी रहे हैं। टीवी, मोबाइल, सोशल मीडिया (Social Media) के प्रभाव से उन्हें वास्तविकता और भ्रम का अंतर नहीं पता चल रहा है। छोटे बच्चे स्पाइडर मैन जैसा बनने की कोशिश करें तो उसे सामान्य समझा जा सकता है। लेकिन 19 साल का, बी.टेक कर रहा किशोर भी ऐसे भ्रम में हो, यह चिंताजनक है। AI पढ़ने वाला यह लड़का खुद को सुपरपावर वाला मानता था। सिर्फ़ मानता ही नहीं था, बल्कि उसे आज़माने की भी कोशिश की। आख़िरकार चौथी मंजिल से कूदकर उसने गड़बड़ कर दी।
यह घटना कोयंबटूर जिले के मलुमिचंपट्टी के पास मैलारिपालयम स्थित करपगम इंजीनियरिंग कॉलेज के पास हुई। बी.टेक छात्र (B.Tech Student) सोमवार शाम हॉस्टल की इमारत से कूद गया। उसके पैर, हाथ टूट गए हैं और सिर में गंभीर चोटें आई हैं। छात्र प्रभु का फ़िलहाल एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। प्रभु मानता था कि उसके पास अलौकिक शक्तियां हैं। किसी भी इमारत से कूद जाऊँ, मुझे कुछ नहीं होगा। मैं आराम से कूद सकता हूँ, ऐसा वह सोचता था। प्रभु अपने रूममेट्स और दोस्तों को अक्सर कहता था कि मेरे पास अलौकिक शक्तियां हैं, ऐसा पुलिस ने बताया है।
प्रभु, ईरोड जिले के पेरुन्दुरई के पास मेकूर गांव का रहने वाला है। प्रभु, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) और डेटा साइंस (Data Science) तीसरे वर्ष का छात्र है। वह कॉलेज के हॉस्टल में रहता था। कुछ दिन पहले उसने अपने दोस्तों और रूममेट्स से कहा था कि किसी ने उस पर जादू-टोना कर दिया है। पिछले हफ़्ते प्रभु ने कहा था कि वह जादू-टोने से प्रभावित है। सोमवार शाम लगभग 6.30 बजे छात्र हॉस्टल के बरामदे में बातें कर रहे थे। इसी दौरान प्रभु चौथी मंजिल से कूद गया। ज़मीन पर गिरने से उसके हाथ-पैर टूट गए। सिर में चोटें आई हैं। हॉस्टल के छात्रों ने उसे तुरंत शहर के बाहरी इलाके ओथक्कलमंडपम स्थित करपगम अस्पताल ले गए। वहाँ से उसे कोयंबटूर के गंगा अस्पताल में भर्ती कराया गया है। फ़िलहाल प्रभु का इलाज चल रहा है और उसकी हालत स्थिर है, ऐसा डॉक्टरों ने बताया है।
आजकल बच्चों की मानसिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। कई बच्चे छोटी-छोटी बातों पर ख़ुदकुशी कर लेते हैं, तो कुछ भ्रम में जीते हैं। यह घटना छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की समस्या को उजागर करती है। साथ ही, युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य के लिए जागरूकता और हस्तक्षेप की ज़रूरत पर ज़ोर देती है। भ्रम में जीना कितना खतरनाक हो सकता है, यह इसका एक उदाहरण है। छात्रों की समस्याओं और उनकी मान्यताओं का समाधान करना और शिक्षण संस्थानों में पर्याप्त सुधार लाना ज़रूरी है, ऐसा विशेषज्ञों का मानना है। इस घटना पर कॉलेज प्रशासन ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।