सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश की, कहा- पार्टी नया मुखिया चुनने की प्रक्रिया शुरू करे

पार्टी नेतृत्व में बदलाव की मांग के बीच कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की अहम बैठक चल रही है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सोनिया गांधी ने बैठक में अंतरिम अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश की है। सोनिया ने पार्टी से नए अध्यक्ष को चुनने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा है। वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें पद पर बने रहने की अपील की। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 24, 2020 2:09 AM IST / Updated: Aug 24 2020, 12:09 PM IST

नई दिल्ली. पार्टी नेतृत्व में बदलाव की मांग के बीच कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की अहम बैठक चल रही है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सोनिया गांधी ने बैठक में अंतरिम अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश की है। सोनिया ने पार्टी से नए अध्यक्ष को चुनने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा है। वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें पद पर बने रहने की अपील की। इस वर्चुअल बैठक में सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, प्रियंका गांधी वाड्रा, कैप्टन अमरिंदर सिंह, पीएल पुनिया, एके एंटनी, मल्लिकार्जुन खड़गे, मोतीलाल बोहरा समेत करीब 48 नेता शामिल हुए हैं।

उधर, भाजपा ने कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर तंज कसा है। मध्यप्रदेश सरकार में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, कांग्रेस एक ऐसे स्कूल की तरह है, जहां सिर्फ हेडमास्टर का बेटा ही टॉप करता है।

कांग्रेस में कई योग्य उम्मीदवार- नरोत्तम मिश्रा
नरोत्तम मिश्रा ने कहा, कांग्रेस में अध्यक्ष पद के कई योग्य उम्मीदवार हैं। जैसे राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, रेहान वाड्रा और मिराया वाड्रा। कांग्रेस सदस्यों को यह समझना चाहिए कि कांग्रेस उस स्कूल की तरह है जहां केवल हेडमास्टर का बच्चा ही टॉप करता है।

दो खेमों में बंटी कांग्रेस
पार्टी नेतृत्व और संगठन बदलाव के मुद्दे पर दो खेमों में बंटी नजर आ रही है। जहां एक ओर पार्टी के कई नेता सोशल मीडिया पर राहुल गांधी को कमान सौंपने की मांग कर रहे हैं, तो वहीं, 5 पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत 23 नेताओं ने पत्र लिखकर स्थानीय नेतृत्व की मांग की है। उधर,  पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पार्टी के कई नेताओं ने खुलकर सोनिया और राहुल गांधी के नेतृत्व पर भरोसा जताया है। 

क्या गांधी परिवार के बाहर का बनेगा अध्यक्ष
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा है कि कांग्रेस राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने का जोखिम नहीं लेना चाहती। बताया जा रहा है कि अगर सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देती हैं तो मनमोहन सिंह, एके एंटनी या फिर मुकुल वासनिक  को अंतरिम अध्यक्ष बनाया जा सकता है। कोरोना खत्म होने के बाद कांग्रेस एक बार फिर से राहुल गांधी की ताजपोशी कर सकती है। 

सोनिया के इस्तीफे पर कांग्रेस ने कही ये बात
भले ही कांग्रेस के 23 नेताओं ने खुलकर नेतृत्व बदलाव की बात की हो, लेकिन कांग्रेस की कई प्रदेश इकाइयों ने खुलकर सोनिया और राहुलल के नेतृत्व में विश्वास जताया है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि सोनिया वर्किंग कमेटी की बैठक में अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकती हैं। हालांकि, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इससे इंकार कर दिया।  
 
इन नेताओं ने पत्र लिखकर नेतृत्व परिवर्तन की कही बात
बताया जा रहा है कि राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पृथ्वीराज चव्हाण, राजिंदर कौर भट्टल , पूर्व मंत्री मुकुल वासनिक, कपिल सिब्बल, एम वीरप्पा मोइली, शशि थरूर, सांसद मनीष तिवारी, पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद, संदीप दीक्षित जैसे 23 नेताओं ने एक पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इस पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस को एक पूर्णकालिक अध्यक्ष मिलना चाहिए, जो जमीन पर सक्रिय हो। इसमें कहा गया है कि नया अध्यक्ष कांग्रेस मुख्यालय और प्रदेश कमेटी के कार्यालयों में उपलब्ध हो सके। 

गांधी परिवार के समर्थन में आए ये नेता
नेतृत्व में बदलाव की मांग के बीच कई बड़े नेता सोनिया और राहुल के समर्थन में आ गए हैं। अमरिंदर सिंह, गहलोत, बघेल , अधीर रंजन चौधरी और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद और अश्विनी कुमार ने सोनिया गांधी और राहुल के नेतृत्व पर भरोसा जताया है। अमरिंदर सिंह ने कहा, यह वक्त बदलाव की मांग का नहीं है। एक समय भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने का है। वहीं, बघेल ने राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष बनाने की मांग की। 

उधर, राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा, मुझे इस पत्र के बारे में जानकारी नहीं है। अगर यह पत्र लिखा गया है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इन सभी लोगों ने पार्टी के साथ लंबे वक्त तक काम किया। सोनिया गांधी ने 1998 में पार्टी की बागडोर संभाली। उन्होंने चुनौतियों के बावजूद पार्टी को एकजुट रखा। 

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