कांग्रेसी नेता बोले, CAA का विरोध हो सकता हैं, लेकिन कोई भी राज्य लागू करने से इंकार नहीं कर सकता

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने शनिवार को कहा था कि संसद से पारित हो चुके नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने से कोई भी राज्य किसी भी तरह से इनकार नहीं कर सकता। इससे पहले दो राज्यों ने इस कानून को लागू करने से इंकार करते हुए विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया है। 

नई दिल्ली. नागरिकता कानून को लेकर जारी विवाद के बीच कांग्रेस पार्टी के दो बड़े नेताओं के चौंकाने वाले बयान सामने आए हैं। जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल और जयराम रमेश ने कहा है कि देश के सभी राज्य नागरिकता कानून को लागू करने के लिए बाध्य है। गौरतलब है कि केरल और पंजाब ने नागरिकता कानून के विरोध में विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया है। वहीं, महाराष्ट्र सरकार ने भी प्रस्ताव लाने का निर्णय किया है। इससे पहले केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने कहा कि राज्यों को नागरिकता कानून पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है और उन्होंने प्रस्ताव को भी असंवैधानिक बताया था। 

क्या कहा सिब्बल ने 

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने शनिवार को कहा था कि संसद से पारित हो चुके नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने से कोई भी राज्य किसी भी तरह से इनकार नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि अगर कोई राज्य ऐसा करता है तो असंवैधानिक होगा। अब पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने भी ऐसा ही बयान दिया है। एक मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि जो राज्य ये कह रहे हैं कि वे अपने प्रदेश में CAA लागू नहीं करेंगे, अदालत में उनका ये तर्क टिक पाएगा या नहीं इस बारे में वे सौ फीसदी इत्मीनान नहीं है। 

CAA के खिलाफ दो राज्य पास कर चुके हैं प्रस्ताव

केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता कानून को लागू किए जाने के बाद दो राज्य प्रस्ताव पारित कर चुके हैं। केरल की लेफ्ट सरकार ने 31 दिसंबर को विधानसभा में एक प्रस्ताव पास कर इस कानून को वापस लेने की मांग की है और अपने राज्य में इसे नहीं लागू करने का फैसला किया है। केरल सरकार इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी गई है। जबकि 17 जनवरी को पंजाब की कांग्रेस सरकार ने भी विधानसभा में प्रस्ताव किया और इस कानून को वापस लेने की मांग की है। 

पहले सिब्बल, अब जयराम रमेश

केरल के कोझिकोड में पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने CAA से जुड़ी कानूनी बारिकियों को समझाते हुए कहा कि जब CAA संसद से पारित हो चुका है तो कोई भी राज्य सरकार यह नहीं कह सकती है कि वो उसे लागू नहीं करेगा। यह संभव नहीं है और असंवैधानिक है। आप CAA का विरोध कर सकते हैं, विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र से कानून वापस लेने की मांग कर सकते हैं। लेकिन संवैधानिक रूप से यह कहना कि इसे लागू नहीं किया जाएगा, समस्याएं पैदा कर सकता है। 

केरल के राज्यपाल ने भी कहा था

केरल विधानसभा द्वारा केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नागरिकता कानून के खिसाफ प्रस्ताव पेश करने पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने इस असंवैधानिक करार दिया था। राज्यपाल ने कहा था कि नागरिकता से संबंधित कानून बनाने का हक सिर्फ और सिर्फ केंद्र सरकार के पास है। इसलिए राज्य इसमें चाहकर भी दखल नहीं दे सकते। उन्होंने केरल सरकार के प्रस्ताव को निर्थक बताया था। 

क्या है पूरा विवाद

केंद्र सरकार द्वारा पिछले वर्ष दिसंबर में नागरिकता संशोधन बिल पेश किया था। जिसे लोकसभा और राज्यसभा से मंजूरी मिल गई थी। जिसके बाद गृह मंत्रालय ने 10 जनवरी को अधिसूचना जारी कर देश भर में लागू कर दिया था। इन सब के बीच केंद्र सरकार के इस निर्णय को लेकर विरोध जारी है। दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा लाए गए इस कानून में तीन देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और आफगानिस्तान) में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का अधिकार है। 

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