तवांग में LAC पर चीन के दुस्साहस से गर्माई पॉलिटिक्स, रक्षामंत्री ने की इमरजेंसी मीटिंग, संसद में हंगामा

अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर 9 दिसंबर को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प का मामला गर्माया हुआ है। कांग्रेस ने झड़प को लेकर सोमवार को केंद्र पर निशाना साधा और कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर संसद में चर्चा कर देश को भरोसे में लेने की जरूरत है।

नई दिल्ली. अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर 9 दिसंबर को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प का मामला गर्माया हुआ है। हालांकि, झड़प के बाद दोनों तरफ के सैनिक अपने-अपने कैंप वापस हो चुके हैं। इस झड़प में चीन के सैनिकों के अधिक नुकसान की सूचना है। उधर, भारत के घायल छह सैनिकों को गुवाहाटी के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस बीच कांग्रेस ने झड़प को लेकर सोमवार को केंद्र पर निशाना साधा और कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर संसद में चर्चा कर देश को भरोसे में लेने की जरूरत है। जानिए पूरा मामला...

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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में इस मुद्दे पर अपना बयान दिया।

इससे पहले AAP, कांग्रेस, जदयू और TMC सहित दूसरी विपक्षी दलों ने लोकसभा और राज्यसभा में इस मुद्दे पर तत्काल बहस की मांग उठाई।

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला, नासिर हुसैन, शक्तिसिंह गोहिल, रंजीत राजन और आप सांसद राघव चड्डा ने भी चर्चा के लिए नोटिस दिया।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि देश से बड़ा कोई नहीं है, पर मोदी जी ने अपनी छवि बचाने के लिए देश को खतरे में डाल दिया।

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने संसद में स्थगन प्रस्ताव रखा है। बता दें कि जब कोई गंभीर समस्या सामने आती है, तब यह प्रस्ताव रखा जाता है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कि चीन ने हमारी सीमा में घुसपैठ की है। इस पर उपसभापति ने कहा कि रक्षा मंत्री इस मामले पर जवाब देंगे, तब तक इंतजार कीजिए। 

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में कहा कि स्थिति की गंभीरता और विपक्ष द्वारा किए गए अनुरोध को देखते हुए अध्यक्ष से आग्रह किया कि रक्षा मंत्री को दोपहर 2 बजे के बजाय दोपहर 12.30 बजे बयान देने की अनुमति दी जाए।

रक्षा मंत्री ने बुलाई विशेष बैठक
तवांग मामले को लेकर सरकार गंभीर हुई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज एक विशेष बैठक की। इसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर,सीडीएस लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान, वायुसेना चीफ एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, नेवी चीफ एडमिरल आर हरि कुमार, विदेश सचिव और डिफेंस सचिव शामिल हुए।यह बैठक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के घर पर हुई। इस दौरान भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। सेना प्रमुख ने चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सुरक्षा स्थिति पर राजनाथ सिंह को जानकारी दी।


इस मुद्दे पर मंगलवार को संसद में हंगामा होने की संभावना है, क्योंकि कांग्रेस के कई नेता इस मुद्दे पर चर्चा के लिए दोनों सदनों में स्थगन नोटिस देने जा रहे हैं। कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया है कि मोदी सरकार सीमा मुद्दे को दबा रही है, जिससे चीन बढ़ते दुस्साहस के साथ काम कर रहा है। कांग्रेस के पांच राज्यसभा सांसदों ने 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारतीय और चीनी सेना के बीच हालिया झड़पों पर चर्चा करने के लिए शून्यकाल को स्थगित करने के लिए नियम 267 के तहत नोटिस दिया। ये सांसद हैं-सैयद नासिर हुसैन, रंजीत रंजन,रणदीप सुरजेवाला, एल हनुमंथैया और जेबी माथेर।

(फाइल फोटो- जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ ईस्टर्न कमांड, लेफ्टिनेंट जनरल एमएम नरवणे ने 27 अप्रैल को अरुणा प्रदेश के तवांग में सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा स्थिति और परिचालन तैयारियों की समीक्षा की थी)

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "फिर से हमारे भारतीय सेना के जवानों को चीनियों ने उकसाया है। हमारे जवानों ने डटकर मुकाबला किया और उनमें से कुछ घायल भी हुए हैं। हम राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर राष्ट्र के साथ हैं और इसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहेंगे। लेकिन मोदी सरकार को अप्रैल 2020 से एलएसी के पास सभी बिंदुओं पर चीनी अतिक्रमण और निर्माण के बारे में ईमानदार होना चाहिए।"

खड़गे ने ट्विटर पर कहा, "संसद में इस मुद्दे पर चर्चा करके सरकार को देश को भरोसे में लेने की जरूरत है।"

AICC के महासचिव, संचार, जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस सीमा पर चीनी कार्रवाइयों पर सरकार को जगाने की कोशिश कर रही है, लेकिन वह अपनी पॉलिटिकल इमेज की रक्षा करने के लिए चुप है।

जयराम नरेश ने कहा-"हमें सशस्त्र बलों(armed forces) की बहादुरी पर गर्व है। सीमा पर चीन की हरकतें पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। पिछले दो वर्षों से हम बार-बार सरकार को जगाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार केवल अपनी राजनीतिक छवि बचाने के लिए इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। चीन का दुस्साहस इसी वजह से बढ़ रहा है।"

रमेश ने आरोप लगाया, ''देश से बड़ा कोई नहीं है, लेकिन मोदी जी अपनी छवि बचाने के लिए देश को खतरे में डाल रहे हैं।'' उन्होंने आरोप लगाया और कहा कि एलएसी पर ताजा घटनाक्रम चिंताजनक है।

कांग्रेस ने गलवान झड़प के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का एक वीडियो भी ट्वीट किया जिसमें उन्होंने कहा था कि "किसी ने हमारी जमीन पर कब्जा नहीं किया और किसी ने भारत में प्रवेश नहीं किया है और हमारी किसी भी पोस्ट पर किसी और का कब्जा नहीं है।"

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के बयान का हवाला देते हुए कहा, "अगर यह गलती नहीं की गई होती। अगर चीन का नाम लिया होता, तो वह भारत की ओर आंख उठाने की हिम्मत नहीं करता। 

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने झड़प को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि इस पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। "संघर्ष दुर्भाग्यपूर्ण है। गलवान 2020 पूर्वी लद्दाख में था-यह तवांग अरुणाचल प्रदेश अत्यधिक उत्तर-पूर्व है।

तिवारी ने ट्वीट किया, "विशेष रूप से सीसीपी की 20वीं कांग्रेस के बाद चीनी सैन्य मुद्रा और भारत के राजनीतिक स्वभाव के कारण संसद में पूरी चर्चा होनी चाहिए।"

शशि थरूर ने कहा, "मैंने लंबे समय से तर्क दिया है कि तवांग पर चीन ने डिजाइन किए हैं। क्योंकि वे 6 डीएल के जन्मस्थान पर भविष्य के दलाई लामा की पहचान की संभावना को खत्म करना चाहते हैं। हमारे सैनिकों के लिए पीएलए पर खड़े होने पर गर्व है।" 

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने हिंदी में एक ट्वीट में कहा, "पीएम ने अपनी छवि बचाने के बजाय (गलवान झड़प के बाद) चीन के खिलाफ कार्रवाई की होती, तो चीन को फिर से भारतीय सैनिकों से भिड़ने का दुस्साहस नहीं होता।"


कांग्रेस की प्रतिक्रिया सेना के उस बयान के बाद आई है, जिसमें कहा गया था कि 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को चोटें आई हैं। 

पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के बीच 30 महीने से अधिक समय से जारी सीमा गतिरोध के बीच संवेदनशील क्षेत्र में एलएसी के पास यांग्त्से के पास झड़प हुई थी।

भारतीय सेना ने कहा, "9 दिसंबर को, पीएलए के सैनिकों ने तवांग सेक्टर में एलएसी पर घुसपैठ की कोशिश की, जिसका अपने (भारतीय) सैनिकों ने दृढ़ता और दृढ़ तरीके से मुकाबला किया। इस आमने-सामने की लड़ाई में दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को मामूली चोटें आईं।" 

सेना के बयान में कहा गया है, "दोनों पक्ष तुरंत क्षेत्र से हट(disengaged) गए। घटना के बाद, क्षेत्र में अपने (भारतीय) कमांडर ने शांति और शांति बहाल करने के लिए स्ट्रक्चर्ड मैकेनिज्म के अनुसार इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए अपने समकक्ष के साथ एक फ्लैग मीटिंग की।"

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