कुकी-चिन नेशनल फ्रंट के 300 सशस्त्र बांग्लादेशी विद्रोही बार्डर पार कर पहुंचे मिजोरम, इन गांवों में बना बसेरा

कुकी-चिन नेशनल आर्मी, कुकी-चिन नेशनल फ्रंट (केएनएफ) की ही सशस्त्र शाखा है। कुकी-चिन दरअसल, मिजो समुदाय के लोग हैं। यह बांग्लादेश में अलग राज्य की मांग के लिए संघर्षरत हैं। बांग्लादेश में कुकी-चिन समुदाय के लोग सशस्त्र संघर्ष कर रहे हैं।

Kuki Chin rebellion: बांग्लादेश के सशस्त्र विद्रोही ग्रुप कुकी-चिन आर्मी के 300 से अधिक लोगों ने बार्डर पार कर भारत में प्रवेश किया है। यह विद्रोही मिजोरम में शरण लिए हुए हैं। चटगांव पहाड़ी इलाकों से भागकर यह लोग दक्षिण मिजोरम में पहुंचे हैं। बांग्लादेश की सेना उग्रवाद विरोधी अभियान चला रही है। कुकी-चिन समुदाय के लोग एक अलग राज्य की मांग के लिए सशस्त्र संघर्ष कर रहे हैं।

मिजोरम सरकार ने दी जानकारी

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मिजोरम सरकार ने कुकी-चिन समुदाय के लोगों के राज्य में शरण लेने की जानकारी दी है। एक अधिकारी ने बताया कि 300 से अधिक कुकी-चिन विद्रोही राज्य के लॉन्गतलाई जिले में शरण लिए हुए हैं। अधिकारी ने बताया कि पहले जत्थे में 272 लोगों ने 20 नवंबर को राज्य में प्रवेश किया था। इसके बाद दूसरे जत्थे में 21 लोग आए। अभी  हाल में 15 और लोग यहां शरण लेने पहुंचे हैं। पड़ोसी देश के सुरक्षा बलों द्वारा उग्रवाद-विरोधी अभियान शुरू करने के बाद बांग्लादेश से भागकर आए हैं। चटगांव पहाड़ी क्षेत्र में यह बांग्लादेशी विद्रोही भारत में प्रवेश किए हैं और दक्षिण मिजोरम में रह रहे हैं। मिजोरम बांग्लादेश के साथ 318 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है।

कौन हैं यह कुकी-चिन विद्रोही?

कुकी-चिन नेशनल आर्मी, कुकी-चिन नेशनल फ्रंट (केएनएफ) की ही सशस्त्र शाखा है। कुकी-चिन दरअसल, मिजो समुदाय के लोग हैं। यह बांग्लादेश में अलग राज्य की मांग के लिए संघर्षरत हैं। बांग्लादेश में कुकी-चिन समुदाय के लोग सशस्त्र संघर्ष कर रहे हैं। यंग मिज़ो एसोसिएशन ने राज्य सरकार से कूकी-चिन लोगों को आश्रय प्रदान करने का आग्रह किया है। कुकी-चिन लोग मिजो समाज से ही आते हैं।

मिजोरम के विभिन्न गांवों में दिया जाएगा शरण

मिजोरम सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि इन बांग्लादेशी नागरिकों, जोकि मिजोरम में शरण लिए हैं, को पर्व-3 क्षेत्र से आसपास के चार गांवों में स्थानांतरित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 30 परिवारों को तुइथुम्नार गांव में शरण दिया जाएगा जबकि 20 परिवारों को वाथुमपुई गांव में स्थानांतरित किया जाएगा। वहीं 14 परिवारों को चामदुर प्रोजेक्ट में शरण दिया जाएगा तो 10 परिवारों मौतलांग गांव में स्थानांतरित किया जाएगा। इन शरणार्थियों को लोकल लेवल पर ग्राम समितियों का गठन कर देखभाल व निगरानी कराया जाएगा। 

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