Constitution Day पर बोले PM मोदी' भारत एक ऐसे संकट की ओर बढ़ रहा, जो लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है'

संसद भवन के सेंट्रल हॉल में 26 नवंबर को संविधान दिवस (Constitution Day) पर विशेष आयोजन किया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने कार्यक्रमों का नेतृत्व किया। आयोजन में उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री, सांसद और अन्य गणमान्य लोग शामिल हुए।
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 26, 2021 4:27 AM IST / Updated: Nov 26 2021, 02:09 PM IST

नई दिल्ली. 26 नवंबर को संविधान दिवस (Constitution Day) मनाया जा रहा है। मुख्य आयोजन संसद भवन के सेंट्रल हॉल में हुआ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने कार्यक्रमों का नेतृत्व किया। आयोजन में उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू (M. Venkaiah Naidu), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री, सांसद और अन्य गणमान्य शामिल हुए। राष्ट्रपति ने जनता से अपने अपने घर से कोविड 19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए उनके साथ-साथ संविधान की प्रस्तावना पढ़ने का अनुरोध किया था। राष्ट्रपति ने संविधान सभा की चर्चाओं का डिजिटल संस्करण जारी किया और संवैधानिक लोकतंत्र पर आधारित ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी का शुभारंभ किया।

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मोदी ने जताई चिंता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा-आज का दिवस इस सदन को प्रणाम करने का है। इसी पवित्र जगह पर महीनों तक भारत के एक्टिविस्टों ने देश के उज्जवल भविष्य के लिए व्यवस्थाओं को निर्धारित करने के लिए मंथन किया था और संविधान रुपी अमृत हमें प्राप्त हुआ। भारत एक ऐसे संकट की तरफ़ बढ़ रहा है, जो संविधान को समर्पित लोगों के लिए चिंता का विषय है, लोकतंत्र के प्रति आस्था रखने वालों के लिए चिंता का विषय है और वह है पारिवारिक पार्टियां। 

महात्मा गांधी जी ने जो कर्तव्य के बीज बोए थे, आजादी के बाद वो वट वृक्ष बन जाने चाहिए थे। लेकिन दुर्भाग्य से शासन व्यवस्था ऐसी बनी कि उसने अधिकार, अधिकार की बाते करके लोगों को एक अवस्था में रखा कि 'हम हैं तो आपके अधिकार पूरे होंगे'। महात्मा गांधी ने आजादी के आंदोलन में आधिकारों को लिए लड़ते हुए भी, कर्तव्यों के लिए तैयार करने की कोशिश की थी। अच्छा होता अगर देश के आजाद होने के बाद कर्तव्य पर बल दिया गया होता। संविधान की भावना को भी चोट पहुंची है, संविधान की एक-एक धारा को भी चोट पहुंची है, जब राजनीतिक दल अपने आप में अपना लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो देते हैं। जो दल स्वयं लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो चुके हों, वो लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं।

22 मिनट के भाषण में विपक्ष पर कहीं ये बातें
प्रधानमंत्री ने 22 मिनट अपना भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने नेशन फर्स्ट का जिक्र किया। उन्होंने चिंता जताई कि राजनीति के चलते देशहित पीछे छूट गया। मोदी ने परिवारवाद पर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि एक ही परिवार का पार्टी चलाना देश के लोकतंत्र के लिए खतरा है। मोदी ने भ्रष्टाचार पर भी बात रखी। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार का महिमामंडन नए लोगों को इसी रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

हमारी संसद लोकतंत्र का मंदिर है
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा-हम सब लोग यह मानते हैं कि हमारी संसद 'लोकतंत्र का मंदिर' है। अतः हर सांसद की यह ज़िम्मेदारी बन जाती है कि वह लोकतंत्र के इस मंदिर में श्रद्धा की उसी भावना के साथ आचरण करें जिसके साथ वह अपने पूजा-गृहों और इबादत-गाहों में करते हैं। सत्ता-पक्ष और प्रतिपक्ष के सदस्यों में प्रतिस्पर्धा होना स्वाभाविक है, लेकिन यह प्रतिस्पर्धा बेहतर प्रतिनिधि बनने और जन-कल्याण के बेहतर काम के लिए होनी चाहिए। संसद में प्रतिस्पर्धा को प्रतिद्वंद्विता नहीं समझा जाना चाहिए।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा-भारतीय संविधान मात्र क़ानूनी मार्गदर्शन की व्यवस्था तक ही सीमित नहीं है बल्कि सामाजिक आर्थिक परिवर्तन का दस्तावेज भी है। संविधान का निर्माण करने वाले महान संविधान मनुष्यों को मैं नमन करता हूं।

यह था कार्यक्रम
एक पोर्टल 23 भाषाओं (22 आधिकारिक भाषाओं और एक अंग्रेजी) में “संविधान की प्रस्तावना को ऑनलाइन पढ़ने” के लिए विकसित किया गया था (mpa.gov.in/constitution-day)

दूसरा पोर्टल “संवैधानिक लोकतंत्र पर ऑनलाइन क्विज” के लिए था (mpa.gov.in/constitution-day)। कोई भी व्यक्ति किसी भी स्थान से इसमें भाग ले सकता था और प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकता है।

23 भाषाओं (22 आधिकारिक और एक अंग्रेजी) में संविधान की प्रस्तावना पढ़ने से संबंधित पोर्टल 25 नवंबर की आधी रात से लाइव किया गया। mpa.gov.in/constitution-day से प्रमाण पत्र डाउनलोड किए जा सकते हैं।

आजादी का अमृत महोत्सव प्रगतिशील भारत के 75वें वर्ष और उसके लोगों, संस्कृति व उपलब्धियों के सुनहरे इतिहास को मनाने और उसकी स्मृति में शुरू की गई भारत सरकार की एक पहल है। 

इसलिए मनाया जाता है संविधान दिवस
साल 2015 में संविधान के निर्माता डॉ. आंबेडकर के 125वें जयंती वर्ष के रूप में 26 नवंबर को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने इस दिवस को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाने के केंद्र सरकार के फैसले को अधिसूचित किया था। संवैधानिक मूल्यों के प्रति नागरिकों में सम्मान की भावना को बढ़ावा देने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।

मोदी ने किए tweet
संविधान दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM MODI) ने tweet किए। लिखा-कोई भी संविधान चाहे वह कितना ही सुंदर, सुव्यवस्थित और सुदृढ़ क्यों न बनाया गया हो, यदि उसे चलाने वाले देश के सच्चे, निस्पृह, निस्वार्थ सेवक न हों तो संविधान कुछ नहीं कर सकता। डॉ. राजेंद्र प्रसाद की यह भावना पथ-प्रदर्शक की तरह है।

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संविधान दिवस पर भी राजनीति
संविधान दिवस पर भी राजनीति सामने आई है। कांग्रेस ने जहां संसद भवन में होने वाले कार्यक्रम के बहिष्कार का ऐलान किया, वहीं आप ने इसे नौटंकी बताया। AAP से राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि भाजपा संविधान की धज्जियां उड़ा रही है। वह सिर्फ संविधान दिवस मनाने की नौटंकी कर रही है। संजय सिंह ने एक tweet किया-BJP एक तरफ़ तो संविधान की धज्जियां उड़ा रही है, किसानों-नौजवानों के अधिकारों को गैर संवैधानिक तरीके से कुचल रही है और “संविधान दिवस” मनाने की नौटंकी कर रही है। @AamAadmiParty इस नौटंकी का हिस्सा नही बनेगी। 

दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा-संविधान दिवस पर हम साथ खड़े हैं। संविधान सरकार का नहीं है, देश का संविधान है। हमने अपनी पार्टी की स्थापना भी संविधान दिवस पर की थी। संविधान को हम मानते हैं और उसके अनुरूप काम हो उसके लिए हम प्रयास भी कर रहे हैं।

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा-इन्होंने आज़ादी के लिए क्या किया? अंग्रेजी हुकूमत की मदद की थी, जिससे आज़ाद हिंदुस्तान न बन पाए। आज उन्हीं के द्वारा अंबेडकर की बात सुनी जा रही है। यह भूत के मुंह से राम का नाम अच्छा नहीं लगता।

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