गवर्नर का खुलासा-'ममता ने कॉल पर ही संकेत दिया था, अगर PM की मीटिंग में सुवेंदु आएंगे तो बहिष्कार करेंगी'

चक्रवात 'यास' की समीक्षा बैठक से उठे 'राजनीति तूफान' का असर बंगाल से दिल्ली तक दिखाई दे रहा है। 28 मई को हुई प्रधानमंत्री की इस समीक्षा बैठक में न सिर्फ ममता बनर्जी, बल्कि चीफ सेक्रेटी(अब रिटायर) तक देरी से पहुंचे थे। बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने इस मामले में ट्वीट करके एक खुलासा किया है। राज्यपाल ने कहा कि ममता ने उन्हें फोन करके संकेत दिया था कि अगर मीटिंग में सुवेंदु अधिकारी आते हैं, वे इसका बहिष्कार कर देंगी।

कोलकाता, पश्चिम बंगाल. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मीटिंग में देरी से पहुंचने वाली ममता बनर्जी को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने एक खुलासा किया है। राज्यपाल ने कहा कि ममता ने उन्हें फोन करके संकेत दिया था कि अगर मीटिंग में सुवेंदु अधिकारी आते हैं, वे इसका बहिष्कार कर देंगी। चक्रवात 'यास' की समीक्षा बैठक से उठे 'राजनीति तूफान' का असर बंगाल से दिल्ली तक दिखाई दे रहा है। 28 मई को हुई प्रधानमंत्री की इस समीक्षा बैठक में न सिर्फ ममता बनर्जी, बल्कि चीफ सेक्रेटी(अब रिटायर) तक देरी से पहुंचे थे।  

गर्वनर ने किया ट्वीट-ममता ने अहंकार को लोकसेवा के ऊपर रखा   
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ट्वीट में कहा-रिकॉर्ड साफ रखने के लिए झूठी कहानी पेश की गई। 27 मई को रात 11 बजकर 16 मिनट पर ममता बनर्जी ने कॉल करके कहा था कि क्या मैं बात कर सकती हूं, यह जरूरी है। इसके बाद जब फोन आया तो साफ संकेत दिया गया कि अगर यास को लेकर पीएम मोदी की आधिकारिक बैठक में सुवेंदु अधिकारी आते हैं, तो ममता और उनके अधिकारियों द्वारा इसका बहिष्कार किया जाएगा। राज्यपाल ने यह ट्वीट ममता बनर्जी को भी टैग किया है। राज्यपाल ने कहा कि ममता ने अहंकार को लोकसेवा से ऊपर रखा है। बता दें कि बंगाल के चीफ सेक्रेट्री(अब रिटायर्ड) के मीटिंग में नहीं पहुंचने के बाद उन्हें दिल्ली तलब किया गया था। लेकिन 31 मई को उनके रिटायरमेंट के बाद ममता बनर्जी ने उन्हें अपना मुख्य सलाहकार बना लिया है। 
 

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रिटायरमेंट के बाद ममता ने बंदोपाध्याय को बनाया मुख्य सलाहकार
केंद्र और बंगाल सरकार में तनातनी के बीच प बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय 31 मई को रिटायर हो गए हैं। उन्होंने बंगाल सरकार द्वारा मिल रहे तीन महीने के सेवा विस्तार (एक्सटेंशन) को लेने से इनकार कर दिया थ।  इस बीच ममता बनर्जी ने उन्हें अपना मुख्य सलाहकार बना लिया है।

ममता ने पीएम को पत्र लिखकर भेजने से किया इनकार
इससे पहले प बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि वे मुख्य सचिव को रिलीव नहीं करेंगी। ममता ने पीएम को लिखे इस पत्र में अपील की थी कि पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को दिल्ली वापस बुलाने के आदेश को रद्द किया जाए।  ममता ने कहा था, मुख्य सचिव को वापस बुलाने का एकतरफा आदेश कानूनी रूप से अस्थिर और पूरी तरह से असंवैधानिक है।

यास की समीक्षा बैठक से शुरू हुआ था विवाद
चक्रवाती तूफान यास से हुए नुकसान का आकलन करने 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओडिशा और पश्चिम बंगाल के दौरे पर थे। कहा गया कि बंगाल में समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी करीब 30 मिनट की देरी से पहुंचीं। अलपन बंदोपाध्याय भी उनके साथ ही थे। जब इस मामले में ममता की निंदा होने लगी, तब उन्होंने मीडिया के सामने आकर सफाई दी। ममता ने कहा कि वे नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री 20 मिनट की देरी से आए, इसलिए उन्हें इंतजार करना पड़ा।

ममता बनर्जी ने दी थी सफाई
ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें सूचना दी गई थी कि मोदी अभी नहीं पहुंचे हैं। इसलिए उन्हें खुद 20 मिनट इंतजार करना पड़ा। ममता ने कहा कि वे खुद तूफान प्रभावित इलाकों के हवाई सर्वेक्षण के लिए निकली थीं। उनके दौरे की भी प्रशासनिक बैठकें पहले से तय थीं। प्रधानमंत्री का कार्यक्रम देरी से बना। इसलिए वे पीएम को चक्रवात से संबंधी रिपोर्ट सौंपकर उनसे अनुमति लेकर वहां से चली गई थीं।

जरूरी नहीं कि हर बार प्रधानमंत्री को रिसीव किया जा सके
ममता ने यह भी कहा कि यह जरूरी नहीं कि हर बार प्रधानमंत्री को रिसीव किया जा सके। बता दें कि पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय भी मीटिंग में देरी से पहुंचे थे। ममता के इस रवैये को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कड़ी आलोचना की थी। 28 मई की शाम को अमित शाह ने एक ट्वीट किया था। इसके बाद मुख्य सचिव को बंगाल से प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली बुला लिया गया था, लेकिन वे नहीं गए।

तृणमूल सांसद ने दिया था विवादास्पद बयान
इस मामले में तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने ममता बनर्जी के बचाव में विवादास्पद बयान दिया था। उन्होंने कहा कि 30 मिनट की देरी से इतना हंगामा क्यों मचा है? भारत के लोगों ने तो 7 सालों तक 15 लाख रुपए का इंतजार किया है। एटीएम के बाहर(नोटबंदी) भी लंबी लाइनों में खड़े रहे। वैक्सीन के लिए भी इंतजार किया। थोड़ा आप भी इंतजार कर लीजिए कभी-कभी।


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