COP26 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी की बड़ी शपथ: भारत 2070 तक कार्बन न्यूट्रल होगा

पीएम मोदी ने कहा कि मैं एक शब्द आपके सामने रखता हूं LIFE यानी लाइफ स्टाइल फॉर एनवायर्नमेंट। इसे जनआंदोलन बनाना होगा। अहम से वयम के कल्याण का यही रास्ता है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 1, 2021 6:11 PM IST

ग्लासगो। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर (Glasgow) में COP26 शिखर सम्मेलन में बड़ी शपथ ली है। उन्होंने शपथ ली है कि भारत 2070 तक कार्बन न्यूट्रल (Carbon Neutral)हो जाएगा। पीएम का यह अबतक का सबसे बड़ा शपथ है। 

चरणबद्ध तरीके से शपथ को करेंगे पूरा

पीएम मोदी ने कहा कि मैं एक शब्द आपके सामने रखता हूं LIFE यानी लाइफ स्टाइल फॉर एनवायर्नमेंट। इसे जनआंदोलन बनाना होगा। अहम से वयम के कल्याण का यही रास्ता है। इस चुनौती से निपटने के लिए मैं भारत की तरफ से पांच अमृत तत्व रखना चाहता हूं। 

वैश्विक बहस में अनुकूलन को शामिल करने की अपील

इसके पहले शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में COP26 शिखर सम्मेलन में कहा कि जलवायु संकट के प्रति दुनिया की रणनीति में अनुकूलन भी शामिल होना चाहिए, न कि केवल शमन। उन्होंने कहा कि वैश्विक जलवायु बहस में अनुकूलन को उस तरह का महत्व नहीं मिला है जो शमन को मिला है। यह उन विकासशील देशों के साथ अन्याय है जो जलवायु परिवर्तन से अधिक प्रभावित हैं। हमें अनुकूलन को अपनी विकास नीतियों और परियोजनाओं का प्रमुख घटक बनाने की आवश्यकता होगी।

पीएम मोदी ने कहा, "भारत की तरह ही, अधिकांश विकासशील देशों के लिए जलवायु कृषि क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है। फसल के पैटर्न में बदलाव, बेमौसम बारिश और बाढ़, या नियमित आंधी से फसलें नष्ट हो जाती हैं।" उन्होंने सूचीबद्ध किया कि कैसे भारत सरकार की सभी के लिए नल का पानी, स्वच्छ भारत मिशन और सभी के लिए स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन जैसी परियोजनाओं ने "हमारे नागरिकों को न केवल अनुकूलन लाभ प्रदान किया है, बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार किया है"।

पीएम मोदी ने कहा, "कई पारंपरिक समुदायों के पास प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने का ज्ञान है। इस तरह की पारंपरिक प्रथाओं को हमारी अनुकूलन नीतियों में उचित ध्यान देना चाहिए।"

उन्होंने कहा, "यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह ज्ञान हमारी युवा पीढ़ियों तक पहुंचे, हमें इसे अपने स्कूल पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में शामिल करना चाहिए। स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार जीवन शैली का संरक्षण अनुकूलन का एक महत्वपूर्ण स्तंभ हो सकता है।"

उन्होंने कहा "भले ही अनुकूलन के तरीके स्थानीय हों, कमजोर देशों को प्रदान की जाने वाली सहायता वैश्विक होनी चाहिए।" 

कार्बन उत्सर्जन में भारत का हिस्सा पांच प्रतिशत

भारत में दुनिया की 17% आबादी है, लेकिन उत्सर्जन में हिस्सा सिर्फ 5% है। देश ने नॉन फॉसिल फ्यूल में 25% वृद्धि की है। विश्व की कुल आबादी से भी ज्यादा लोग हमारे यहां भारतीय रेल से यात्रा करते हैं। इस भारतीय रेलवे ने 2030 तक नेट जीरो एमिशन का लक्ष्य रखा है।

सिर्फ इसी पहल से सालाना 60 मिलियन टन उत्सर्जन कम होगा। इसी तरह हमारे LED बल्ब अभियान से सालाना 40 मिलियन टन उत्सर्जन कम होगा। हमने इंटरनेशनल सोलर अलायंस की पहल की है। क्लाइटमेट चेंज में लाइफ स्टाइल की एक बड़ी भूमिका है और पूरी दुनिया इसे मान रही है।

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