ऑक्सीजन लेवल 80 था, अस्पताल में भर्ती हुई, लेकिन ठान लिया था जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए जिंदा रहना है

कोरोना महामारी एक ऐसे संघर्ष का दौर है, जो इंसान के साहस की परीक्षा लेता है। अकसर लोग परीक्षाओं के नाम से ही घबरा जाते हैं, लेकिन जब हिम्मत करके उसका मुकाबला करते हैं, तो जीतते भी हैं। पढ़िए एक ऐसे ही कोरोना फाइटर की कहानी

Asianet News Hindi | Published : Jun 14, 2021 1:56 AM IST

झांसी. कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहे भारत को अब कुछ राहत मिली है। पिछले एक हफ्ते से हर दिन 1 लाख से कम केस आ रहे हैं। इसके अलावा मौतों का आंकड़ा भी घटकर 2000-3000 तक आ गया है। लेकिन मई में एक ऐसा दौर था, जब हर परिवार ने इस महामारी को करीब से देखा। यहां तक कि कई ने तो अपनों को खोया। कोरोना महामारी से जूझ रहे लोगों में नकारात्मकता को कम करने के मकसद से Asianet Hindi लगातार ऐसे कोरोना विनर्स की कहानी आपके सामने ला रहा है, जिन्होंने इस अदृश्य दुश्मन को मात दी।

कोरोना विनर्स की इस कड़ी में Asianet Hindi के अमिताभ बुधौलिया ने झांसी की नेहा सक्सेना से बात की। नेहा कोरोना संक्रमित थीं। उनके लक्षण काफी हल्के थे, इसके बावजूद उनका ऑक्सीजन लेवल लगातार गिरता जा रहा था। उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कोरोना को मात दी।

सिर्फ हल्का बुखार और थकान थी
5 मई की बात है। मुझे हल्का दर्द हुआ था। थकान भी थी। 2-3 दिन तक वायरल की दवाई खाई। बुखार ठीक हो गया। लेकिन खांसी होने लगी। इसके अलावा थकान भी काफी बढ़ती जा रही थी। ऐसे में डॉक्टर की सलाह पर जांच कराने का फैसला किया। जांच में रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके अलावा 15 मई तक ऑक्सीजन लेवल भी कम होने लगा। 15 मई को ऑक्सीजन लेवल 80 रह गया था। अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।

नहीं हारी हिम्मत
ऑक्सीजन लेवल लगातार गिर रहा था। ऑक्सीजन की हर तरफ किल्लत थी। पहले बताया गया कि रेमडेसिवीर की जरूरत पड़ेगी। इंजेक्शन के लिए हर तरफ हाहाकार मची थी। लग रहा था कि यही संजीवनी बूटी है। हालांकि, डॉक्टर ने बाद में बताया कि अब इसकी जरूरत नहीं है। दवाओं ने असर दिखाना शुरू कर दिया है और ऑक्सीजन लेवल जो लगातार गिर रहा था, अब वह भी स्थिर हो चला था। इसके बावजूद हर तरफ सिर्फ मौत की खबरें सुनने में मिल रही थीं। ऐसे में अंदर से डर लगने लगा था। लेकिन एक दिन अचानक मन में ठाना कि मुझे जीना है। मेरी जो जिम्मेदारियां बाकी हैं, उन्हें पूरा करना है। बस इसी सोच के चलते कोरोना से लड़ने की ठान ली।

होने लगा सुधार
अब ऑक्सीजन लेवल बढ़ने लगा था। बाकी लक्षण भी खत्म हो चुके थे। हालांकि, कमजोरी और थकान हर वक्त रहती थी। डॉक्टर की सलाह पर उल्टा लेटती थी। खाने पीने पर भी विशेष ध्यान दिया। यह कहा जा रहा है कि कोरोना की दवाइयां गर्म होती हैं, ऐसे में फल खाने चाहिए। लेकिन हमें डॉक्टर की सलाह पर ही फल खाने चाहिए। फल खाने से खांसी भी बढ़ जाती है। ऐसे में परेशानी और सांस लेने जैसी दिक्कत भी होती हैं। इसलिए कोरोना में हमें डॉक्टर की सलाह पर ही अपने खाने पीन का शेड्यूल बनाना चाहिए। कोरोना संक्रमित होने के बाद एक बात का एहसास हो गया कि कोरोना की एकमात्र दवा हिम्मत है। अगर आप संक्रमित होने के बाद हिम्मत हार गईं, तो निश्चित ही आपका नाम कोरोना मृतकों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा।

Asianet News का विनम्र अनुरोधः आइए साथ मिलकर कोरोना को हराएं, जिंदगी को जिताएं...। जब भी घर से बाहर निकलें माॅस्क जरूर पहनें, हाथों को सैनिटाइज करते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। वैक्सीन लगवाएं। हमसब मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग जीतेंगे और कोविड चेन को तोड़ेंगे। #ANCares #IndiaFightsCorona

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