Covid 19 Second wave: बेड-आक्सीजन के अभाव में थम रही सांसें, अत्येष्टि के लिए भी 10-12 घंटों का इंतजार

देश में कोरोना की दूसरी लहर ने तबाही मचा रखी है। हर ओर हाहाकार मचा हुआ है। अस्पताल मरीजों से अटे पड़े हैं। बेड के लिए अस्पतालों में लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई हैं। आक्सीजन, बेड के अभाव में लोग दम तोड़ रहे हैं। अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट और कब्रिस्तान में जगह कम पड़ गए हैं, घंटों का इंतजार करना पड़ रहा है। 

नई दिल्ली। देश में कोरोना की दूसरी लहर ने तबाही मचा रखी है। हर ओर हाहाकार मचा हुआ है। अस्पताल मरीजों से अटे पड़े हैं। बेड के लिए अस्पतालों में लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई हैं। आक्सीजन, बेड के अभाव में लोग दम तोड़ रहे हैं। अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट और कब्रिस्तान में जगह कम पड़ गए हैं, घंटों का इंतजार करना पड़ रहा है। 

एमपी में न आक्सीजन और न बेड

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कोरोना की लहर से मध्य प्रदेश की राजधानी से लेकर दूर दराज के शहरों तक में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। हर ओर हाहाकार मचा हुआ है। राजधानी के अधिकतर अस्पतालों में आक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। आक्सीजन की कमी से मरीज दम तोड़ रहे हैं। बेड भी कम पड़ गए हैं। अस्पतालों के बाहर मरीजों से भरे एंबुलेंस की लंबी-लंबी कतारें हैं। अस्पताल प्रशासन परिजन से यह हलफनामा ले रहे हैं कि आक्सीजन के अभाव में अगर मरीज की मौत हुई तो अस्पताल का दोष नहीं माना जाएगा। 

महाराष्ट्र में बुरे हुए हालात

महाराष्ट्र में हालात बेकाबू हो चुके हैं। पूरे राज्य में अस्पतालों में आक्सीजन की कमी से मरीज मर रहे। अस्पतालों में एक भी बेड खाली नहीं है। बेड के अभाव में मरीजों को लेकर अस्पताल-अस्पताल भटक रहे। एंबुलेंस अस्थायी अस्पताल बन चुके हैं। अस्पतालों के बाहर सैकड़ों एंबुलेंस में मरीज अपने भर्ती होने के इंतजार में पल-पल मौत से सामना कर रहे। महाराष्ट्र में आक्सीजन की खपत करीब पांच गुना बढ़ गई है। 

छत्तीसगढ़ में अस्पताल परिसर में मरीज जमीन पर लेटे हुए

छत्तीसगढ़ में कोरोना तेजी से बढ़ रहा। यहां के अस्पतालों में भी बेड कम पड़ गए हैं। आक्सीजन की आपूर्ति मांग के अनुसार नहीं है। लोग बेड का इंतजार कर रहे हैं। अस्पताल परिसर में मरीज लेटे हैं। आक्सीजन की कमी से हांफ रहे, दम तोड़ रहे। रायपुर के भीमराव अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की कमी से गुस्साएं डाॅक्टर्स हड़ताल भी कर चुके हैं लेकिन कोई तब्दीली नहीं हो सकी है। यहां शवों को ट्रकों में रखकर श्मशान घाटों पर ले जा सामूहिक अंतिम संस्कार कराया जा रहा। 

दिल्ली में हो रही आक्सीजन की कालाबाजारी

दिल्ली के अस्पताल कोविड मरीजों से फुल हैं। बेड और आक्सीजन की किल्लत चरम पर है। कालाबाजारियों की यहां चांदी हो गई है। आक्सीजन सिलेंडर स्टोर करने की भी सूचनाएं आ रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार छह लीटर आक्सीजन सिलेंडर की कीमत छह हजार रुपये है। दस लीटर की कीमत 7780 रुपये है। गंभीर कोरोना मरीज चालीस लीटर वाला सिलेंडर ले रहे हैं। इसकी कीमत 16 हजार रुपये है। आक्सीजन की कमी का आलम यह है कि छह हजार रुपये वाला आक्सीजन सिलेंडर नौ हजार रुपये में बिक रहा। 
इसी तरह यहां वेंटिलेटर बेड भी कम पड़ गए हैं। सबसे कारगर इंजेक्शन रेमडेसिविर की भी हर जगह किल्लत है। हालांकि, मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 14 निजी अस्पतालों में बेड रिजर्व किए गए हैं। 15 होटल्स को भी कोविड केयर सेंटर में तब्दील कर दिया गया है।  श्मशान घाटों व कब्रिस्तानों में लाशों को लेकर लोग इंतजार कर रहे हैं। घंटों-घंटों बाद नंबर आ रहा है। कब्र कम पड़ रहे, जेसीबी से खुदाई की जा रही है। 

गुजरात में अस्पतालों के सामने एंबुलेंस की लंबी कतारें

गुजरात में कोरोना की लहर ने हिला कर रख दिया है। स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। अस्पतालों के आगे सैकड़ों एंबुलेंस की लाइन है। ये लोग मरीजों को लेकर एडमिट कराने के लिए लाइन में हैं। आक्सीजन की किल्लत से मरीज मर रहे हैं। अहमदाबाद में आक्स्ीजन की मांग चार गुना बढ़ गई है। सूरत का भी हाल बेहाल है। यहां एक ही साथ कई-कई शवों को जलाया जा रहा है। 

यूपी में अंतिम संस्कार के लिए दस से 12 घंटें का इंतजार

यूपी में कोरोना ने स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोल दी है। अस्पताल कम पड़ गए हैं। टेस्ट रिपोर्ट आने में हफ्ता-हफ्ता दिन लग जा रहा। राजधानी लखन ऊ में लोगों को अंतिम संस्कार के लिए 10-12 घंटें का इंतजार करना पड़ रहा है। कोई भी श्मशान घाट या कब्रिस्तान ऐसा नहीं जहां लंबी-लंबी कतारें न हो। 

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