इस शहर में दिख रही कोरोना की डरावनी स्पीड, भर्ती होने के 24 घंटे के भीतर 31% मरीजों की हुई मौत

भारत में कोरोना वायरस के 36.19 लाख केस सामने आ चुके हैं। देश में सबसे ज्यादा संक्रमित शहर मुंबई है। मुंबई में हाल ही में कोरोना के संक्रमण के मामलों में भले ही कमी आई हो, लेकिन यहां मरने वाले मरीजों की संख्या में जरूर इजाफा हुआ है। बताया जा रहा है कि समय पर अस्पताल ना पहुंचने और रोग को पहचानने में देरी के चलते ऐसा हो रहा है। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 31, 2020 5:16 AM IST

मुंबई. भारत में कोरोना वायरस के 36.19 लाख केस सामने आ चुके हैं। देश में सबसे ज्यादा संक्रमित शहर मुंबई है। मुंबई में हाल ही में कोरोना के संक्रमण के मामलों में भले ही कमी आई हो, लेकिन यहां मरने वाले मरीजों की संख्या में जरूर इजाफा हुआ है। बताया जा रहा है कि समय पर अस्पताल ना पहुंचने और रोग को पहचानने में देरी के चलते ऐसा हो रहा है। 

कोरोना से हुई मौतों के विश्लेषण के लिए महाराष्ट्र सरकार ने एक कोरोना मृत्यु विश्लेषण समिति बनी थी। समिति ने 5 हजार 200 मौतों का विश्लेषण किया है। इस समिति की रिपोर्ट में तमाम चौंकाने वाली बाते सामने आई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई में अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटे बाद ही 31% मरीजों की मौत हो गई। वहीं, 59% मरीजों की मौत अस्पताल में भर्ती होने के 4 दिन के भीतर हुई। 

मुंबई में अब तक कोरोना से 7600 लोगों की मौतें
मुंबई में कोरोना के अब तक 1.43 लाख मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, इस महामारी में 7626 लोगों की जान जा चुकी है। हालांकि, एक 1.15 लाख लोग ठीक हो चुके हैं। वहीं करीब 30 हजार लोगों का इलाज चल रहा है। 
 
अब स्थिति ठीक हो रही
समिति के हेड डॉ अविनाश सुपे ने बताया, रोग की देरी से पहचान और मरीजों के देरी से अस्पताल पहुंचने की वजह से मौत के मामलों में वृद्धि हुई थी, लेकिन अब स्थिति ठीक हो रही है। कोरोना से निपटने के लिए प्रशासन और स्थानीय लोगों को मिलकर काम करना होगा। 

ग्रामीण इलाकों में ठीक नहीं व्यवस्था
वहीं, संक्रमण रोग विशेषज्ञ डॉ. ईश्वर गिलाडा ने कहा, मुंबई में अन्य जगहों से भी लोग आते हैं। उन्होंने बताया कि ठाणे, रायगड और पालघर में सुविधाएं ना होने के चलते मरीज मुंबई आते हैं। इसी वजह से मुंबई में मृत्यु दर में इजाफा हुआ है। शहर से गांव तक बीमारी पहुंच चुकी है। लेकिन ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा सुविधा ठीक नहीं है। अब हमें  ग्रामीण इलाकों की चिकित्सा व्यवस्था पर ध्यान देना होगा। 

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