गुजरात के चर्चित इशरत जहां एनकाउंटर केस में सीबीआई कोर्ट ने क्राइम ब्रांच के तीन अधिकारियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इशरत जहां लश्कर ए तैयबा की आतंकी थी, इस खुफिया रिपोर्ट को नकारा नहीं जा सकता। तीनों अधिकारियों को निर्दोष मानते हुए बरी किया जाता है।
नई दिल्ली. गुजरात के चर्चित इशरत जहां एनकाउंटर केस में सीबीआई कोर्ट ने क्राइम ब्रांच के तीन अधिकारियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इशरत जहां लश्कर ए तैयबा की आतंकी थी, इस खुफिया रिपोर्ट को नकारा नहीं जा सकता। तीनों अधिकारियों को निर्दोष मानते हुए बरी किया जाता है।
स्पेशल सीबीआई जज वीआर रावल ने बुधवार को जी एल सिंघल, तरुण बारोट (अब सेवानिवृत्त) और अंजू चौधरी को बरी कर दिया। कोर्ट ने अक्टूबर 2020 के अपने आदेश में पाया था कि उन्होंने अपने आधिकारिक कर्तव्यों को पालन किया है। बता दें कि सीबीआई ने 2013 में दायर अपनी पहली चार्जशीट में सात पुलिस अधिकारियों पांडे, वंजारा, अमीन, सिंघल, बड़ौत, परमार और चौधरी को आरोपी बनाया था।
केस में 7 आरोपी थे, सभी को बरी कर दिया गया
सीबीआई कोर्ट ने 2019 में पूर्व पुलिस अधिकारियों डी जी वंजारा और एन के अमीन को बरी कर दिया है। 2018 में पूर्व प्रभारी पुलिस महानिदेशक पी पी पांडे को भी बरी कर दिया गया। सुनवाई के दौरान परमार की मृत्यु हो गई। बुधवार को जी एल सिंघल, तरुण बारोट (अब सेवानिवृत्त) और अंजू चौधरी को भी बरी कर दिया गया।
एनकाउंटर की तस्वीर- दिन- 15 जून 2004। जगह- अहमदाबाद में कोतरपुर वाटरवर्क्स के पास। इशरत जहां (बाएं), जावेद शेख, अमजद राम और जीशान जौहर का शव
क्या है इशरत जहां एनकाउंटर केस?
15 जून 2004 को 19 साल की इशरत जहां सहित जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लई, अमजदली अकबरली राणा और जीशान जौहर अहमदाबाद में कोतरपुर वाटरवर्क्स के पास पुलिस एनकाउंटर में मारे गए थे। पुलिस ने दावा किया था कि चारों आतंकवादी थे। उन्होंने तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी की हत्या की योजना बनाई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने निष्कर्ष निकाला कि मुठभेड़ फर्जी था, जिसके बाद सीबीआई ने विभिन्न पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया।