कोरोना विनरः काशी त्राहिमाम कर रही थी, हर ओर उदासी-शोक...इसी बीच संक्रमित हो गया

कोरोना पाॅजिटिव होना जिंदगी खत्म होना नहीं है। हौसला, जज्बा के साथ डाॅक्टर्स के निर्देशों का पालन करें तो संक्रमण को हर हाल में मात दिया जा सकता है। हमारे आसपास हजारों ऐसे जिंदादिलों की कहानियां हैं जो हम-आप को जीवन की नई सुबह का सबक दे सकती हैं। 

Dheerendra Gopal | Published : May 20, 2021 7:20 PM IST

वाराणसी। कोरोना की दूसरी लहर ने मौत का तांडव मचाया हुआ है। हर ओर बेबसी-उदासी और शोक का वातावरण है। जिंदगी मौत से डरी हुई है। खौफ चेहरों पर दिख रहे। महामारी के क्रूर पंजों ने हजारों जिंदगियों को मौत के आगोश में ले लिया है। हालांकि, इन उदासियों और रुदालियों के बीच काफी लोग कोरोना को मात देकर स्वस्थ हो चुके हैं। मौतों की संख्या से कहीं अधिक संख्या ठीक होने वालों की है। वाराणसी के रहने वाले सुबह-ए-बनारस क्लब के अध्यक्ष मुकेश जायसवाल भी कोविड को हराकर घर पहुंच चुके हैं। मुकेश जायसवाल ने बताया कि समाजिक जीवन में होने की वजह से बहुत एहतियात बरता, दूसरों को जागरूक करने के लिए मास्क लगाने का भी अभियान चलाया लेकिन न जाने कैसे खुद ही संक्रमित हो गया। हालांकि, संक्रमित होने की जानकारी होते ही तत्काल डाॅक्टर से संपर्क किया और उनके हर निर्देशों का पालन कर आज कोरोना को मात देकर घर आ गया हूं। 

Asianetnews Hindi के धीरेंद्र विक्रमादित्य गोपाल ने बनारस के रहने वाले मुकेश जायसवाल से बात की। कोरोना से जीतने वालों की कहानियों की 12वीं कड़ी में पढ़िए कैसे मुकेश जायसवाल ने खौफ को निकाल कर हौसलों से कोरोना को मात दी। 

दूसरी रिपोर्ट ने तो होश उड़ा दिए....लेकिन फिर भी हौसला बनाए रखा

अप्रैल का महीना था। पूरे देश में कोविड-19 से हाहाकार मचा हुआ था। हर ओर मौत का नग्न तांडव। बाबा विश्वनाथ की नगरी भी त्राहिमाम कर रही थी। काशी के घाटों पर शवों की गिनतियां अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई थी। हर ओर निराशा, शोक...। जीवंत और मस्तमौला शहर बनारस...राग-द्वेष से परे शहर बनारस...अब अंदर से सिहर रहा था। शहरवासियों को बचाने के लिए हम लोगों ने बड़े स्तर पर माॅस्क अभियान चलाना शुरू किया। पूरा एहतियात बरतते हुए दूसरों को माॅस्क पहनने की नसीहत देना, कोविड पीड़ितों की मदद करना। लेकिन एक दिन खुद ही पाॅजिटिव हो गया। 

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14 अप्रैल को अचानक ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे जाने लगा

बेटे के पास ऑक्सीमीटर था। घर पर रहते हुए एक दिन यूं ही अपना ऑक्सीजन लेवल चेक किया। वह 90 से नीचे बताया। थोड़ी परेशानी महसूस हुई। तुरंत अपने डाॅक्टर डाॅ.अशोक कुमार राय से संपर्क किया। डाॅ.राय ने सीटी कराने की सलाह दी। लक्ष्मी हास्पिटल पहुंचा। वहां सीटी स्कैन हुआ। रिपोर्ट सामने आया तो सब अवाक...मैं वायरस के बुरी तरह से चपेट में आ चुका था। अस्पताल में मुझे तत्काल भर्ती होने की सलाह दी गई। चूंकि, अस्पताल के डाॅक्टर मेरे परिचित थे इसलिए मैं वहीं भर्ती हो गया।

 

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दूसरी रिपोर्ट ने रातों की नींद उड़ा दी... फिर भी हौसला बनाए रखा

मैं हाई बीपी का पेशेंट हूं। लेकिन बीपी लगातार लो ही रहा। हालांकि, शुगर रिपोर्ट दिल की धड़कनें बढ़ा दे रहा था। वह 700 के आसपास पहुंच चुका था। दिल में घबराहट होने लगी थी। कई दिनों तक शुगर लेवल हाई था। डाॅक्टर लगातार निगरानी करते लेकिन मन में कोमा में जाने का डर भी कभी भी विचलित कर देता। हालांकि, हौसला बनाए रखा, डाॅक्टर पर पूरा विश्वास कर उनके निर्देशों का पालन करता रहा। 

परिवार बना रहा संबल

परिवार लगातार मेरी देखभाल के लिए अस्पताल में ही बना रहा। दोनों बेटे एक-एक कर अस्पताल में मेरी देखरेख के लिए रहते। पत्नी खाना घर से समय-समय पर बनाकर ले आती। हम लोग खूब बातें करते। बीमारी के दौरान निराश करने वाली चीजों से दूर रहता। बेटा भी ऐसी बातें नहीं करने देता। मोबाइल मेरा ले लिया गया था। बेटे के पास अपनी मोबाइल कभी कभार चुपके से देखता तो मन थोड़ा विचलित होता। हित-मित्र परिचितों के बिछड़ने की शोक भरी सूचनाएं ही सोशल मीडिया से लेकर व्हाट्सअप पर थे। मन दुःखी होता लेकिन परिवार के लोग दूसरी बातें की ओर मन को बहला देते। छोटा बेटा अभिषेक लगातार दवाइयों या अन्य हर गतिविधियों की मानिटरिंग कर रहा था। बड़ा बेटा पीयूष देखरेख करता। दोनों ने अकेलापन महसूस होने नहीं दिया। 

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एक दिन खुद ही ऑक्सीजन मास्क को हटा दिया

करीब 14 दिन बीत चुके थे। मुझे कमजोरी तो थी लेकिन कुछ राहत महसूस करने लगा था। दिन में एक दिन मुंह पर लगा ऑक्सीजन मास्क हटा दिया। सांस तब भी आराम से ले रहा था। पूरे दिन मैं ऑक्सीजन नहीं लगाया। रात में लगा लिया। तीन दिनों तक यही करता रहा। तीसरे दिन अटेंडेंट नर्स को यह बात बताई। डाॅक्टर राय से भी मैंने यह बात बताई। उन्होंने कुछ जरूरी जांच की। तो सबकुछ नार्मल निकला। 

मैंने घर जाने की इच्छा जताई

ऑक्सीजन सपोर्ट के बिना भी सबकुछ सही रहने और अन्य जांच नार्मल होने पर मैंने डाॅक्टर से घर जाने की इच्छा जताई। उन्होंने दवाईयां दी, कुछ प्रोटोकाल के पालन करने की हिदायत के साथ डिस्चार्ज करने की इजाजत दे दी। घरवालों के खुशी का ठिकाना नहीं था। 

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शुगर अचानक बढ़ने से वनज 10-15 किलो कम

कोविड के दौरान बीपी तो लो ही रहा लेकिन हाईशुगर की वजह से वजन बहुत कम हो गया है। अभी शुगर 200-300 तक रह रहा है। कमजोरी है। दवाइयां एकदम समय से ले रहा हूं। खानपान में डाॅक्टर की सलाह वाली चीजें ही खा रहा हूं। रूटीन में कोई कोताही नहीं बरत रहा। 

घर पर भी अभी सोशल डिस्टेंटिंग का पालन

घर पर भी अभी किसी को आने से मना कर दिया हूं। मित्र या परिचित अगर कोई आ भी रहा तो पूरी दूरी बनाकर उनसे मिल रहा हूं। मास्क तो अनिवार्य रूप से पहन रहा। 

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डाॅक्टर को विशेष धन्यवाद जिन्होंने हर पल मदद की

मैं कोरोना को हरा सका क्योंकि मुझे डाॅ.अशोक राय जैसे मित्रवत चिकित्सक मिले थे। वह कभी भी निराशा वाली बातें मुझसे नहीं कही। हमेशा हौसला बढ़ाया और मेरी हर चिंता का निदान करने की कोशिश करते रहे। शरीर में वायरस के बुरी तरह से जकड़ने के बाद भी उन्होंने मन पर डर हावी नहीं होने दिया। 

घबराएं नहीं, डाॅक्टर की सलाह मानें, सोशल मीडिया से दूरी बनाएं

कोरोना से जंग जीतने के लिए सबसे जरूरी है आत्मबल। आत्मविश्वास कभी कम नहीं होने दें। हौसला बनाए रखने के लिए आपका खुश रहना बेहद जरूरी है। अस्पताल में हों या होम आइसोलेशन में हमेशा खुश माहौल में रहें। सोशल मीडिया से दूर रहने की कोशिश करें। डाॅक्टर की सलाह को कभी नजरअंदाज न करें। न ही परेशानी महसूस होने पर जांच में देरी करें। 
 

 

Asianet News का विनम्र अनुरोधः आईए साथ मिलकर कोरोना को हराएं, जिंदगी को जिताएं...। जब भी घर से बाहर निकलें माॅस्क जरूर पहनें, हाथों को सैनिटाइज करते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। वैक्सीन लगवाएं। हमसब मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग जीतेंगे और कोविड चेन को तोडेंगे। #ANCares #IndiaFightsCorona

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