दूसरी लहर की भयानक स्मृतियों को जेहन में संजोए यह देश एक बार फिर भयानक स्वास्थ्य संकट से गुजर सकता है। फिलहाल देश में ओमीक्रोन के अधिकारिक संख्या 1500+ है लेकिन अनुमान है कि यह संख्या दस गुना अधिक हो सकती है।
नई दिल्ली। भारत में ओमीक्रोन संक्रमण (Omicron) जिस तेजी से बढ़ रहा अगर नहीं संभले तो यह दूसरी लहर से अधिक लोगों को अपने चपेट में लेने जा रहा है। दरअसल, ओमीक्रोन के प्रति बेहद लापरवाह रवैया इसकी भयावहता को और बढ़ा रहा है। देश में कोविड-19 टेस्ट की रिपोर्ट्स की मानें तो प्रतिदिन आने वाले नए कोविड केसों में ओमीक्रोन से 60-80 प्रतिशत संक्रमित रह रहे हैं जबकि एक सप्ताह पहले यह आंकड़ा 37 प्रतिशत था।
देश एक बार फिर बढ़ रहा स्वास्थ्य संकट की ओर
दूसरी लहर की भयानक स्मृतियों को जेहन में संजोए यह देश एक बार फिर भयानक स्वास्थ्य संकट से गुजर सकता है। फिलहाल देश में ओमीक्रोन के अधिकारिक संख्या 1500+ है लेकिन अनुमान है कि यह संख्या दस गुना अधिक हो सकती है।
पूरे विश्व में ओमीक्रोन ने अन्य वेरिएंट को रिप्लेस किया
ओमीक्रोन संक्रमण के मामले पूरी दुनिया में बेतहाशा बढ़े हैं। विशेषज्ञों की मानें तो कोविड-19 वायरस के नए वेरिएंट ने सभी अन्य वेरिएंट को पीछे छोड़ते हुए करीब 90 प्रतिशत हिस्सेदारी बना ली है। कई देशों में नए मामलों का 90 प्रतिशत हिस्सा ओमीक्रोन का ही है।
भारत में कम टेस्टिंग की वजह से मामले कम
भारत की आधिकारिक संख्या इतनी कम है क्योंकि इसके लिए बहुत कम परीक्षण सुविधाएं या प्रयोगशालाएं हैं जो जीनोम अनुक्रमण की जांच कर सकती हैं। जीनोम सीक्वेंसिंग से ही ओमीक्रोन का पता लगाया जा सकता है।
दिल्ली और मुंबई की दो प्रमुख लैब्स की रिपोर्ट चौकाने वाले
ओमीक्रोन के मामलों की भयावहता केवल दिल्ली और मुंबई की दो प्रमुख लैब्स की रिपोर्ट्स से भी समझा जा सकता है। दरअसल, दिल्ली और मुंबई की दोनों प्रमुख लैब्स में ओमीक्रोन टेस्टिंग की सुविधा है। यहां आने वाले कोविड मामलों में 60 प्रतिशत केस ओमीक्रोन संक्रमण का रह रहा है। मुंबई में एक अन्य लैब के अनुसार ओमीक्रोन 60 प्रतिशत है, जो एक सप्ताह पहले 37 प्रतिशत था।
डेल्टा से तेजी से बढ़ रहा ओमीक्रोन
विशेष रूप से चिंताजनक तथ्य यह है कि ओमीक्रोन के मामले डेल्टा की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। दो से तीन सप्ताह पहले कुल कोविड मामलों के लगभग 2 प्रतिशत हिस्से से, फिर कुछ दिन पहले 30 प्रतिशत तक पहुंचने के बाद अब 60 प्रति के करीब है। इस अवधि के दौरान, डेल्टा संस्करण की हिस्सेदारी में लगातार गिरावट आई है। देश में ओमीक्रोन संक्रमण के मामले सबसे अधिक आने लगे हैं।
भारत के लिए अच्छी और बुरी दोनों
यह भारत के लिए अच्छी खबर और बुरी, दोनों खबर है। अच्छी खबर यह है कि ओमीक्रोन, डेल्टा की तुलना में कम गंभीर संक्रमण का कारण बन रहा है। ओमीक्रोन की तुलना में डेल्टा संक्रमितों की मौतें और हास्पीटल में भर्ती होने के मामले अधिक हैं। लेकिन भारत के लिए चिंताजनक खबर यह है कि ओमीक्रोन बहुत तेजी से फैलता है। यह डेल्टा संस्करण की तुलना में चार से पांच गुना अधिक तेजी से संक्रमित कर रहा है।
दूसरी लहर के कई गुना अधिक केस आने लगेंगे
ओमीक्रोन संक्रमण अगर ऐसे ही तेजी से बढ़ता रहा तो आने वाले दिनों में कोरोना की दूसरी लहर से भी ज्यादा भयावह संक्रमण की स्थितियां होंगी। दूसरी लहर की पीक पर करीब चार लाख संक्रमित रोज रिपोर्ट होते थे लेकिन अगर ओमीक्रोन इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो यह करीब 16 से 20 लाख संक्रमित रोज करेगा।
भारत मेडिकल इमरजेंसी की ओर
ओमीक्रोन जिस तेजी से संक्रमित कर रहा, उससे देश में एक बार फिर मेडिकल इमरजेंसी की स्थितियां होंगी। ऐसे में पूरे हेल्थ सिस्टम पर प्रभाव पड़ेगा। अस्पताल के बिस्तर, ऑक्सीजन सिलेंडर, डॉक्टरों और दवाओं की उपलब्धता का संकट उत्पन्न होगा। भले ही ओमीक्रोन के कुछ प्रतिशत मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आशंका है, लेकिन प्रतिशत देखें तो यह दूसरी लहर से कई गुना हो सकता जोकि हेल्थ सिस्टम के लिए भारी पड़ सकता है।
ऐसे समझें भयावहता
अगर मान लें कि डेल्टा के 100 केस में सिर्फ छह मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी थी तो भी आने वाली स्थितियां बेकाबू होने की ओर इशारा कर रही हैं। क्योंकि डेल्टा वेरिएंट के दौरान दूसरी लहर में पीक पर चार लाख केस रोज आ रहे थे। ऐसे में 24 हजार मरीज अस्पतालों में इनमें से भर्ती हुए। अब अगर डेल्टा के आधा ही ओमीक्रोन केस में भर्ती होने की आवश्यकता मानें ले तो.... ओमीक्रोन का पीक दूसरी लहर के कई गुना अधिक है। यानी अगर 20 लाख रोजाना केस दर्ज किए जाएंगे और 100 में महज तीन को अस्पताल की आवश्यकता होगी तो यह आंकड़ा 60 हजार के आसपास पर पहुंच जाएगा। ऐसे में देश एक मेडिकल इमरजेंसी में फिर फंसे इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
ओमीक्रोन को बेहद कम आंक तैयारियां भी तेज नहीं
दरअसल, ओमीक्रोन संक्रमण को देश के जिम्मेदार बेहद हल्का आंक रहे हैं। लेकिन दूसरी लहर के पहले भी ऐसे ही दावे जिम्मेदारों ने किए थे और स्थितियां जब भयावह हो गई तो संभाले न संभली जिसका नतीजा यह हुआ कि न जाने कितनों ने अपने अपनों को खोया। हेल्थ सिस्टम को तो दूसरी लहर में पता तक नहीं चला। एक बार फिर ओमीक्रोन को लेकर जिम्मेदार बेहद लापरवाह रवैया अपना रहे साथ ही दूसरी लहर भुगत चुके लोग भी एहतियात नहीं बरत रहे।
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