राजगोपालाचारी के पोते सीआर केसवन ने दु:खी होकर कांग्रेस छोड़ी,अडानी-हिंडनबर्ग विवाद पर सोरोस को दिखाया था 'आइना'

कांग्रेस पार्टी को लोकसभा चुनाव से पहले एक और बड़ा झटका लगा है। पहले भारतीय गवर्नर-जनरल सी राजगोपालाचारी के पोते सीआर केसवन( CR Kesavan resigns Congress) ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफ दे दिया है।

नई दिल्ली. कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है। पहले भारतीय गवर्नर-जनरल सी राजगोपालाचारी के पोते सीआर केसवन( CR Kesavan resigns Congress) ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफ दे दिया है। उन्होंने दु:खी मन से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को एक लेटर लिखा है। उन्होंने लेटर tweet भी किया है।

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कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे को लिखे लेटर में केसवन ने कहा-विदेश में एक सक्सेसफुल करियर को पीछे छोड़कर मैं अपने देश की सेवा करने के लिए भारत लौट आया। एक ऐसी विचारधारा से प्रेरित होकर, जो सर्व समावेशी थी और वृद्धिशील राष्ट्रीय परिवर्तन( incremental national transformation) के लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध थी, मैं 2001 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गया।

केसवन ने लिखा कि इसके बाद की यात्रा चैलेंजिंग और इंगेजिंग थी। मुझे श्रीपेरंबुदूर में राजीव गांधी राष्ट्रीय युवा विकास संस्थान के उपाध्यक्ष (राज्य मंत्री के पद पर), प्रसार भारती बोर्ड के सदस्य, भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय परिषद सदस्य और राष्ट्रीय मीडिया पैनलिस्ट के रूप में दूसरों के बीच सेवा करने का अवसर मिला।

केसवन ने आगे लिखा- सरकार और संगठन में वर्षों से मुझे सौंपी गई सभी जिम्मेदारियों के लिए मैं ईमानदारी से पार्टी और श्रीमती सोनिया गांधी को धन्यवाद देता हूं। मैंने यहां प्यारी दोस्ती कायम की है, जो बनी रहेगी।

केसवन ने लेटर में लिखा-लेकिन मुझे यह कहते हुए वास्तव में दु:ख हो रहा है कि पिछले कुछ समय से मैंने उन वैल्यूज का कोई अवशेष( vestiges) नहीं देखा है, जिन्होंने मुझे पार्टी के लिए समर्पण के साथ दो दशकों से अधिक समय तक काम करने के लिए प्रेरित किया। मैं अब अच्छे विवेक में यह नहीं कह सकता कि पार्टी वर्तमान में जो प्रतीक है, उसके लिए मैं सहमत हूं और न ही इसका प्रचार करना चाहता हूं। यही कारण है कि मैंने हाल ही में राष्ट्रीय स्तर पर एक संगठनात्मक जिम्मेदारी को अस्वीकार कर दिया था और भारत जोड़ो यात्रा में भाग लेने से भी परहेज किया था।

केसवन ने लिखा-यह मेरे लिए एक नया रास्ता तय करने का समय है और इसलिए मैं तत्काल प्रभाव से कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं। मैंने तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी के रूप में अपना इस्तीफा भी उपयुक्त अथॉरिटी को सौंप दिया है।

केसवन ने कहा-मेरे किसी और पार्टी में जाने की अटकलें होंगी, लेकिन मैंने किसी से बात नहीं की है और ईमानदारी से कहूं तो मुझे नहीं पता कि आगे क्या होगा।

केसवन ले कहा-मैं एक पॉलिटिकल फोरम के माध्यम से अपने देश की सेवा करने के लिए नेक नीयत से प्रयास करूंगा। यह वह जगह होगी, जहां मैं हमारे महान राष्ट्र के संस्थापक पिताओं और माताओं और मेरे परदादा सी. राजगोपालाचारी द्वारा स्थापित और संरक्षित सार्वजनिक जीवन की अखंडता और आदर्शों को दृढ़ता से बनाए रख सकता हूं। जय हिन्द!

केसवन ने 18 फरवरी को अडानी-हिंडनबर्ग विवाद (Adani-Hidenburg row) पर बेवजह अपनी 'राय' देने वाले अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस (George Soros) पर टिप्पणी करके अपरोक्ष रूप से मोदी सरकार का समर्थन किया था। उन्होंने लिखा था कि सोरोस का एक बहुत ही संदिग्ध रिकॉर्ड और जीरो पब्लिक क्रेडिटबिलिटी है। उन्हें भारतीय लोकतंत्र के बारे में ज्ञान या उपदेश देने से कोई मतलब नहीं है। क्लिक करके डिटेल्स

https://t.co/hdPSvUxXwz

 

राजाजी के नाम से मशहूर चक्रवर्ती राजगोपालाचारी का जन्म 10 दिसंबर, 1878 को हुआ था। वर्ष 1955 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। 25 दिसंबर, 1972 को उनका निधन हुआ था। 1947 में लॉर्ड माउंटबेटन की अनुपस्थिति के दौरान अंतिम ब्रिटिश वायसराय और स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल राजगोपालाचारी को अस्थायी रूप से पद संभालने के लिए चुना गया था। 1950 में सरदार पटेल की मृत्यु के बाद राजगोपालाचारी को गृह मंत्री भी बनाया गया था। 1919 में मद्रास (चेन्नई) में वे पहली बार महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हुए थे।

इधर, खबर है कि कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को दिल्ली एयरपोर्ट पर पुलिस ने रोका। कांग्रेस ने tweet करके दावा किया उन्हें हिरासत में लेने की कोशिश की। वे रायपुर में होने वाले पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होने जा रहे थे। पवन खेड़ा ने हाल में मोदी पर अनर्गल टिप्पणी की थी, जिस पर उनके खिलाफ शिकायत की गई है। पवन खेड़ा पिछले दिनों अडानी के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। तब उन्होंने कहा था,कि अगर अटल बिहारी वाजपेयी जेपीसी बना सकते हैं तो नरेंद्र 'गौतम दास' मोदी को क्या दिक्कत है? इसके बाद उन्होंने टोंट करते हुए वहां मौजूद लोगों से पूछा था कि क्या उन्होंने प्रधानमंत्री का मिडिल नेम सही पुकारा है?

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