रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) का उद्देश्य फेशियल रिकॉग्निशन प्रणाली को क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम से जोड़ना है। इससे रेलवे स्टेशनों पर घूमने वाले अपराधियों की पहचान करने में मदद मिलेगी। चेहरे से पहचान करने वाला साफ्टवेयर किसी ज्ञात अपराधी के बारे में आरपीएफ कमान केंद्र को अलर्ट कर देगा।
नई दिल्ली. अपराधियों की पहचान करने और उनकी धरपकड़ के लिए बेंगलुरू, मनमाड और भुसावल रेलवे स्टेशनों पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) से लैस फेशियल रिकॉग्निशन (चेहरे से पहचान करने वाली) प्रौद्योगिकी प्रायोगिक तौर पर लगायी गई है। यह जानकारी रेलवे अधिकारियों ने बुधवार को दी।
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) का उद्देश्य फेशियल रिकॉग्निशन प्रणाली को क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम से जोड़ना है। इससे रेलवे स्टेशनों पर घूमने वाले अपराधियों की पहचान करने में मदद मिलेगी। चेहरे से पहचान करने वाला साफ्टवेयर किसी ज्ञात अपराधी के बारे में आरपीएफ कमान केंद्र को अलर्ट कर देगा।
अधिकारियों ने बताया कि चेहरा पहचान करने वाली प्रणाली के परीक्षण के बाद प्रौद्योगिकी को पूरे रेलवे नेटवर्क में लागू किया जाएगा।
रेलवे की ओर से जारी एक बयान के अनुसार रेलवे बोर्ड ने निर्भया कोष का इस्तेमाल करते हुए 983 स्टेशनों को शामिल करते हुए वीडियो निगरानी प्रणाली (वीएसएस) के लिए काम करने के वास्ते भी अपनी मंजूरी दे दी है।
रेल मंत्रालय के तहत एक मिनीरत्न ‘रेलटेल’ को इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) आधारित वीएसएस वीडियो एनालिटिक्स और फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम मुहैया कराने का काम सौंपा गया है। वीएसएस लगाने के लिए रेलवे को इस वर्ष निर्भया कोष से 250 करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)