'मंदिरों को गिरा दो-त्योहार में पटाखे ना जलाने पाएं हिंदू'...पढ़ें अय्याश शासक औरंगजेब के 10 क्रूर फरमान
AIMIM नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने औरंगजेब की कब्र पर जबसे चादर चढ़ाया है, विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। उसी औरंगजेब के फरमानों ने समाज में ऐसी दरारें पैदा कर दी हैं, जिसे भर पाना नामुमकिन सा है। उसने हिंदुओं के लिए कत्लेआम, धर्म परिवर्तन, जजिया कर जैसे कई क्रूर फरमान जारी किए।
rohan salodkar | Published : May 17, 2022 5:27 AM IST / Updated: May 17 2022, 11:26 AM IST
नई दिल्लीः औरंगजेब (Aurangzeb) की कब्र पर जब से AIMIM नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने चादर और फूल चढ़ाए हैं, तब से विवाद बढ़ गया है। राजनीतिक गलियारों से निकलकर विवाद अब मोहल्लों तक पहुंच गया है। जबकि जाननेवाली बात यह है कि उसी औरंगजेब के कारण देश में दो समुदाय भिड़ रहे हैं। भारत के मुगल शासकों में औरंगजेब सबसे क्रूर था। लोग इसे इंसान के शक्ल में भेड़िया तक कहते थे। मुगलों के दरबारी इतिहासकार साकी मुस्ताद खान ने औरंगजेब पर एक प्रमाणिक किताब लिखी. इस किताब की हर जानकारी पर इतिहासकारों में कोई मतभेद नहीं है। इस किताब का नाम मासिर ए आलमगीरी था। यह किताब मुगल शासक के वक्त फतवे-फरमान और दस्तावेजों का भी गवाह बना। मोहिुद्दीन मुहम्मद औरंगजेब या आलमगीर के पिता का नाम शाहजहां और मां का नाम मुमताज था। औरंगजेब के पिता भी उसके ही कहर का शिकार बने। औरंगजेब की क्रूरता सिर्फ सल्तनत के लिए ही नहीं थी, बल्कि उसने कई फरमान ऐसे जारी किए, जिससे उसकी प्रजा को नुकसान हुआ। दो समुदायों के बीच झगड़े का कारण बना।
औरंगजेब का सबसे क्रूर फरमान औरंगजेब ने अपने शासन काल (1658-1707) में कई फरमान जारी किए। हिंदुओं का कत्लेआम का फरमान, हिंदुओं के प्रतीक अर्थात गुरुकुलों, मंदिरों और देवस्थलों को ध्वस्त करने का फरमान जारी किया था। उसकी हत्यारी सेना नें भी उसके फरमान को पूरी शिद्दत से निभाया था। औरंगजेब की जीवनी मासिर ए आलमगीरी में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़े जाने की घटना का भी पूरा जिक्र मौजूद है। औरंगजेब, भारत पर राज करने वाला छठा मुगल शासक था। उसका शासन उसकी मृत्यु (1707) के बाद खत्म हुआ। औरंगजेब ने भारतीय उपमहाद्वीप पर आधी सदी के लगभग समय तक राज किया था। वह अकबर के बाद सबसे अधिक समय तक शासन करनेवाला मुगल शासक था। हालांकि मंदिर तुड़वाने को लेकर इतिहासकार में मतभेद है। कंग्स कॉलेज लंदन की इतिहासकार कैथरीन बटलर ने कहा था कि औरंगजेब ने जितने मंदिर तोड़े, उससे ज्यादा बनवाए थे।
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औरंगजेब के 10 फरमान
औरंगजेब ने 18 अप्रैल को पूरे देश में फैले अपने सभी सूबेदारों को खास फरमान जारी किया। सभी सूबेदार अपनी इच्छा से हिंदुओं के सभी मंदिरों और पाठशालाओं को गिरा दें। हिंदुओं से कहें कि वे मुस्लिम धर्म अपनाएं। ना मानने पर कत्ले आम करें। मूर्ति पूजा को पूरी तरह बंद करवा दें। इस आदेश के बाद 2 सितंबर 1669 को औरंगजेब को खबर दी गई कि काशी विश्वनाथ मंदिर को गिरा दिया गया है।
सादगी का दिखावा करनेवाला औरंगजेब काफी अय्याश भी था। उसकी अय्याशी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1669 में जब उसने मंदिर को गिराने का आदेश दिया था तब कई हिंदु मारे भी गए थे। उसने यह आदेश भी दिया था कि उनकी पत्नियां अपनी।इज्जत बचाने के लिए आत्महत्या ना कर सके।
औरंगजेब ने 1663 में सती प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया था। नौ रोज का त्योहार मनाना, गाना-बजाना पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। तीर्थ करने पर टैक्स को लागू कर दिया था। उसने अपने शासन काल के 11वें वर्ष में झरोखा दर्शन, 12 वर्ष में तुलादान प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया था।
औरंबगजेब कितना बड़ा कट्टर शासक था, इसी से समझा जा सकता है कि उसने हिंदुओं के त्योहार में पटाखा जलाने से मना कर दिया था। हिंदुओं को हाथी और घोड़े की सवारी करने पर पाबंदी लगा दी थी।
औरंगजेब ने यह आदेश भी जारी कर दिया था कि सारे ब्राह्मणों का सफाया कर दिया जाए। इस आदेश के बाद इनाम का फरमान भी जारी किया। उसने फरमान जारी किया कि जो जितने ब्राह्मणों को मारकर जितनी जेनऊ लाएगा, उसे उतनी स्वर्ण अशर्फियां दी जाएंगी। इस तरह औरंगजेब से पूरा भारत त्रस्त था।
उसी दौर में औरंगजेब ने कश्मीर के पंडितों को खत्म करने का भी फरमान जारी किया था। 1674-75 के बीच कश्मीर के सूबेदार इफ्तार खान को औरंगजेब ने आदेश दिया था कि एक भी कश्मीरी पंडित बचना नहीं चाहिए।
1674-75 के दौरान ही सिखों के गुरु तेग बहादुर के पास कश्मीरी पंडित अपनी रक्षा के लिए पहुंचे थे। उन्हे संरक्षण देने के लिए और उनके साथ धर्म परिवर्तन नहीं करने के लिए 24 नवंबर 1675 को चंदनी चौक पर शीश काटने का हुक्म दे डाला था। 24 नवंबर को उनकी शहादत के रूप में लोग याद रखते हैं।
औरंगजेब ने सिखों के गुरु का शीश कलम करवाने के बाद सिखों पर दबिश देने का फरमान जारी किया था। लेकिन सिखों ने भी उसका डटकर मुकाबला किया था। वैसे ही उसने दक्षिण में साम्राज्य स्थापित करने का फरमान जारी किया था, लेकिन वह ऐसा कर ना सका।क्योंकि दक्षिण में क्षत्रपति शिवाजी ने उसकी एक ना चलने दी थी।
औरंगजेब ने फरमान जारी किया था कि सरकारी नौकरियों से हिंदू कर्मचारियों को निकाल कर उनके स्थान पर मुस्लिम कर्मचारियों की भर्ती की जाए। इस काऱण उसे काफी विद्रोह का सामना करना पड़ा था।
औरंगजेब के सबसे बड़े फरमानों में से एक था जजिया कर। जजिया कर को मुगल बादशाह अकबर ने खत्म कर दिया था। लेकिन औरंगजेब ने अपने शासन काल में 1679 में इसे फिर से लागू करवाया। जजिया कर उसे देना होता था, जो गैर मुस्लिम थे और मुस्लिम राज्य में रहते थे या रहना चाहते थे। यह एक अपमान की तरह था। इस जजिया कर के कारण कई मुस्लिम भी औरंगजेब से खफा थे।
कौन था औरंगजेब औरंगजेब का जन्म 3 नवंबर 1618 को गुजरात के दाहोद में हुआ था। वह शाहजहां और मुमताज महल की छठी संतान और तीसरा बेटा था। उसका पूरा नाम मुहिउद्दीन मोहम्मद है, लेकिन उसे औरंगजेब या आलमगीर के नाम से जाना जाता था। वह भारत पर राज करनेवाला छठा मुगल शासक था। जिसने भारतीय उपमहाद्वीप पर आधी सदी से भी अधिक समय तक राज किया। वो अकबर के बाद सबसे अधिक समय तक शासन करनेवाला मुगल शासक था।