दुनिया भर में आए चक्रवातों के नाम होते हैं। क्या आपके जेहन में कभी आया है कि चक्रवात आते ही इनके नाम कैसे पड़ जाते हैं और पूरी दुनिया एक ही नाम से कैसे उसे जानने लगती है।
नई दिल्ली। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (Andaman and Nicobar Islands) में मंगलवार को चक्रवात आसनी का काफी प्रभाव दिख सकता है। मौसम विभाग ने अलर्ट जारी कर बताया है कि चक्रवात आसनी के कारण उत्तरी अंडमान सागर के ऊपर बनने और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में तेज हवाएं और भारी बारिश लाने की आशंका है। एक बयान में कहा गया है कि उत्तरी अंडमान सागर के ऊपर बना दबाव एक गहरे दबाव में बदल गया है और अगले 48 घंटों के दौरान अंडमान द्वीप समूह के साथ-साथ म्यांमार तट की ओर उत्तर-उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ रहा है।
2022 का पहला चक्रवात है आसनी
'आसनी' 2022 का पहला चक्रवात होगा। मार्च में चक्रवात बनना कोई सामान्य घटना नहीं है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर ने मिलकर पिछले 130 वर्षों में केवल आठ ऐसी संरचनाएं देखी हैं।
चक्रवात आसनी का नाम किसने और क्यों रखा?
चक्रवात आसनी का नाम श्रीलंका ने रखा है। द्वीप देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक सिंहल में, 'आसन' का अर्थ है क्रोध।
कैसे पड़ते हैं चक्रवातों के नाम और क्यों?
दुनिया भर में आए चक्रवातों के नाम होते हैं। क्या आपके जेहन में कभी आया है कि चक्रवात आते ही इनके नाम कैसे पड़ जाते हैं और पूरी दुनिया एक ही नाम से कैसे उसे जानने लगती है। दरअसल, मौसम विज्ञानियों और आम जनता के बीच कम्यूनिकेशन को आसान बनाने के लिए विभिन्न विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों या चेतावनी केंद्रों द्वारा चक्रवातों का नाम रखा जाता है। नाम की वजह से तूफानों को लेकर भ्रम कम तो होता ही है, उसके अलर्ट या अन्य बचाव कार्य में भी आसानी होती है।
किसके पास है नामकरण का अधिकार?
छह क्षेत्रीय विशेष मौसम विज्ञान केंद्र (आरएसएमसी) और पांच क्षेत्रीय उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र (टीसीडब्ल्यूसी) के पास उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का नाम रखने का अधिकार है। आईएमडी छह आरएसएमसी में से एक है। आईएमडी श्रीलंका, पाकिस्तान बांग्लादेश, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ईरान सहित विभिन्न देशों को सलाह देता है। समूह में शामिल देशों को अल्फाबेटिकल आर्डर में नामों को चुनने का अधिकार है। इन नामों का टेबुलेशन कर उनके अल्फाबेटिकल आर्डर में नाम अप्रूव कर दिए जाते हैं। इस बार अंडमान समुद्र के ऊपर बनने वाले तूफान का नाम रखने के लिए श्रीलंका ने "आसनी" शब्द चुना गया है।
इतने मिल की रफ्तार के बाद दे दिया जाता है नाम
आईएमडी के अनुसार, 169 नाम हैं जिनका उपयोग चक्रवातों के नामकरण के लिए किया जा सकता है। भारत अरब सागर और बंगाल की खाड़ी सहित उत्तर हिंद महासागर में बनने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम जारी करता है। आम तौर पर, उष्णकटिबंधीय तूफान 63 किमी / घंटा या 39 मील प्रति घंटे से अधिक की 3 मिनट की निरंतर हवा की गति तक पहुंचने के बाद नाम दे दिया जाता है।
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