जहाज डूबने से 37 की मौत पर बोले मलिक-'ONGC ने तूफान की चेतावनी को नजरअंदाज किया, दोषी अफसर बर्खास्त हों'

एनसीपी नेता नवाब मलिक ने समुद्र में डूबे जहाज हादसे में 37 लोगों की मौत के लिए ONGC को जिम्मेदार बताते हुए उस पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज करने की मांग उठाई है। बता दें कि चक्रवाती तूफान तौकते के चलते चार जहाज समुद्र में फंस गए थे। इसमें से 638 लोगों को रेस्क्यू करके बचा लिया गया था। 
 

Asianet News Hindi | Published : May 20, 2021 8:03 AM IST / Updated: May 20 2021, 01:53 PM IST

मुंबई. चक्रवाती तूफान तौकते के चलते समुद्र में डूबे बार्ज-P305 मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। इस हादसे में 37 मजदूरों की मौत की खबर है। 40 लोग अभी भी लापता हैं। इस हादसे के लिए एनसीपी (Nationalist Congress Party) नेता नवाब मलिक ने ONGC को जिम्मेदार बताते हुए उस पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज करने की मांग उठाई है। बता दें कि तूफान में चार जहाज फंस गए थे। इसमें से 638 लोगों को रेस्क्यू करके बचा लिया गया था। नौसेना अधिकारी अजय झा ने बताया कि हादसे में मारे गए 37 कर्मियों के शव बरामद किए जा चुके हैं। 50 लोग अभी भी लापता हैं, जिनकी के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। तलाशी अभियान कम से कम 3 दिनों तक चलेगा। नौसेना ने गुरुवार सुबह हवाई जहाज के जरिये एक नया सर्च ऑपरेशन लाँच किया है।

एनसीपी नेता ने कहा-अलर्ट के बावजूद 600 मजदूरों की जिंदगी खतरे में डाली

नवाब मलिक ने कहा कि इसके लिए ONGC और पेट्रोलियम मंत्रालय जिम्मेदार हैं। जो अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए और उन पर IPC की धारा 304 लगाई जानी चाहिए। उन्हें सजा मिलनी चाहिए। यानी गैर इरादतन हत्या का केस चलना चाहिए। मलिक ने कहा कि तौकते चक्रवात को लेकर राज्य और IMD के कई अलर्ट के बाद भी ONGC ने इसे नजरअंदाज किया। 600 कामगारों की जिंदगी खतरे में थी। उन्हें सुरक्षित स्थानों पर नहीं पहुंचाया गया। 

4 जहाज तूफान में फंस गए थे
चक्रवाती तूफान तौकते ने महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात से लेकर कर्नाटक तक तबाही मचाई है। तूफान के चलते समुद्र में चार जहाज बार्ज P305,सागर भूषण,  बार्ज एस एस 3 और बार्ज गल कन्ट्रेक्टर नाम के जहाज फंसे थे। फंस गए थे। इनमें 700 लोग सवार थे। 

पहला जहाज: मुंबई से 175 किलोमीटर दूर हीरा ऑयल फील्ड्स के पास भारतीय जहाज P-305 समुद्र में डूब गया था। इसमें 273 लोग सवार थे। इनमें से 184 लोगों को रेस्क्यू किया गया है। INS कोच्चि और कोलकाता ने यह रेस्क्यू किया। वहीं, आईएनएस तेग, आईएनएस बेतवा, आईएनएस ब्यास और पी81 एयरक्रॉप्ट भी रेस्क्यू में लगे रहे। 

दूसरी नाव में फंसे थे 137 लोग
दूसरी नाव मुंबई से 8 समुद्री मील दूर फंसी थी। इसमें 137 लोग बताए गए। इसमें से सभी 137 लोगों को बचा लिया गया है। इस नाव से GAL कंस्ट्रक्टर से भी इमरजेंसी मैसेज मिला था। इसके बाद इस नाव में सवार लोगों को बचाने के लिए आईएनएस कोलकाता लगाया गया था। यह नाव कोलाबा में फंसी था। 

सागर भूषण- इस पर 101 लोग फंसे हुए थे। ये जहाज पिवाव पोर्ट से 50 नॉटिकल मील दक्षिण-पूर्व में फंसा था। रेस्क्यू के लिए नेवी ने INS तलवार को लगाया था। सभी लोगों को नेवी और कोस्टगार्ड ने सुरक्षित निकाल लिया है।

बार्ज SS-3- इस जहाज पर 196 लोग फंसे हुए थे। बताया जा रहा है कि यह जहाज भी सागर भूषण के पास पिवाव पोर्ट से 50 नॉटिकल मील दक्षिण-पूर्व में फंसा था। नेवी ने इस पर फंसे सभी लोगों को सुरक्षित निकाल लिया है। 

कैसे हुआ रेस्क्यू ?
नेवी के एक अफसर ने बताया कि सबसे बड़ी चुनौती ये थी, कि हमें दूसरों की जिंदगी भी बचानी थी और अपनी जान भी। वहीं, पी-305 डूब गया था, जबकि दूसरा गॉल कन्सट्रक्टर फंसा था। नेवी, कोस्ट गार्ड, ओएनजीसी द्वारा चलाए गए ऑपरेशन के हेड नवल कमांड के ऑपरेशन कमांडर कमोडोर एमके झा ने मीडिया से बाचतीत में कहा कि तूफान की आंख मुंबई के ठीक पश्चिम में थी, हमने इसकी चिंता किए बगैर तेजी से ऑपरेशन शुरू किया।  उन्होंने बताया कि लहरें 23 फीट तक ऊपर उठ रही थीं। वहीं, हवा भी 100-120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। इसके अलावा बारिश भी काफी तेज थी। स्थिति ये थी कि हम एक किमी दूर तक भी नहीं देख पा रहे थे। 

लोगों को कैसे बचाया गया?
उन्होंने बताया कि रेस्क्यू टीमों ने पहले फंसे जहाजों की पॉजिशन पता की और कुछ वक्त तक मॉनिटर किया। वहीं,  P-305 के डूबने की जगह पता की। इसके बाद ऑपरेशन शुरू किया गया। हालांकि, बारिश और तेज हवा के चलते हेलिकॉप्टर ऑपरेशन नहीं कर पा रहे थे वे सिर्फ मॉनिटरिंग में लगे थे। 

डूब गया था जहाज
वहीं, जहाज डूबने से पहले P-305 पर सवार सभी लोग लाइफ जैकेट पहनकर समुद्र में कूद गए थे। उन्होंने समुद्र में ही तूफान को घंटों तक झेला। जब तक उनके पास तक मदद नहीं पहुंची। इसके बाद नेवी की टीमों ने सभी जहाजों तक पहुंचकर लोगों का रेस्क्यू करना शुरू किया। 

चार दशक में सबसे चुनौतीपूर्ण अभियान था- नौसेना 
डिप्टी चीफ ऑफ नेवी स्टाफ मुरलीधर सदाशिव पवार ने बताया कि पिछले 4 दशक में उनके द्वारा देखा गया, सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण रेस्क्यू अभियान था। सबसे ज्यादा मुश्किल पी 305 पर फंसे लोगों को रेस्क्यू करने में हुई। इसके लिए चार आईएनएस तैनात किए गए थे। 

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