महाराष्ट्र पर 24 घंटे बाद फैसला; भाजपा की दलील, कोर्ट विधानसभा की प्रक्रिया में दखल नहीं दे सकती

महाराष्ट्र के सियासी संकट पर आज यानी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ सकता है। इससे पहले मामले की सुनवाई रविवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई। इस दौरान जजों की बेंच ने नोटिस जारी करते हुए केंद्र व राज्य सरकार से जवाब मांगा। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 25, 2019 2:06 AM IST / Updated: Nov 25 2019, 12:02 PM IST

नई दिल्ली. महाराष्ट्र में सरकार के गठन के खिलाफ शिवसेना की याचिका पर सोमवार को फिर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले पर कोर्ट कल 10.30 आदेश जारी करेगी। इस याचिका में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को शपथ दिलाने के फैसले को चुनौती दी गई है। साथ ही इसमें जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराने की मांग भी की गई है। उधर, सोमवार को मुकुल रोहतगी फडणवीस का, तो सिब्बल ने शिवसेना और सिंघवी ने एनसीपी का पक्ष रखा।

- सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, शिवसेना पर 56, एनसीपी पर 54 और कांग्रेस पर 44 सीटें हैं। यहां हॉर्स ट्रेडिंग की बात की जा रही है, लेकिन यहां तो राज्यपाल को लगा कि पूरी सरकार चुराई जा रही है। 

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- मेहता ने कहा, महाराष्ट्र के राज्यपाल को 22 नवंबर को अजीत पवार का 54 विधायकों के समर्थन का पत्र मिला था। पत्र में अजित पवार को विधायक दल का नेता बताया गया था और इसमें 54 एनसीपी विधायकों का समर्थन था। 

- अजित पवार के पत्र को पढ़ते हुए तुषार मेहता ने कहा, वे चाहते थे कि राज्य में स्थिर सरकार आए। राष्ट्रपति शासन अनिश्चित काल के लिए नहीं रह सकता। पत्र में कहा गया है कि भाजपा ने पहले अजित पवार से साथ आने के लिए कहा था लेकिन तब उन्होंने बना मना कर दिया क्यों कि उस वक्त उनके पास एनसीपी विधायकों का पर्याप्त समर्थन नहीं था। 

- कांग्रेस, एनसीपी की ओर से पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, हम फ्लोर टेस्ट हारने के लिए तैयार, लेकिन भाजपा बहुमत परीक्षण नहीं चाहती। 

- उन्होंने 154 विधायकों के समर्थन का हलफनामा पेश किया, सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया। बेंच ने कहा कि अब आप याचिका का दायरा नहीं बढ़ा सकते। 
 
- भाजपा ने जो कोर्ट में 54 एनसीपी विधायकों की लिस्ट दिखाई है, वह अजित पवार को विधायक दल का नेता चुने जाने के लिए हस्ताक्षर किए गए थे। इन विधायकों ने भाजपा को समर्थन के लिए पत्र नहीं दिया था। इसे गवर्नर ने कैसे मान लिया।  

- सिंघवी ने कहा, जब दोनों पक्ष फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं, तो देरी क्यों? यहां एक भी विधायक एनसीपी का ऐसा नहीं है जो कहे कि वे भाजपा से गठबंधन के लिए तैयार है। ना ही ऐसा कोई पत्र है। यह लोकतंत्र के साथ धोखाधड़ी है। 

- सिंघवी ने आज ही फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की, साथ ही कहा कि किसी भी वरिष्ठ सदस्य को विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर बनाया जाए। इस पर तुषार मेहता ने इस मामले पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। 

-  भाजपा की ओर से पेश मुकुल रोहतगी ने कहा, कोर्ट विधानसभा की प्रक्रिया में दखल नहीं दे सकती।

कोर्ट को सौंपे गए दस्तावेज
सुप्रीम कोर्ट द्वारा रविवार को मामले की सुनवाई के लिए सीएम देवेंद्र फडणवीस, उप मुख्यमंत्री अजित पवार को नोटिस जारी कर दस्तावेज मंगाए थे। सभी दस्तावेज सोमवार को सील बंद लिफाफे में कोर्ट पहुंच गया है। 

राज्यपाल को पत्र सौंप सकती हैं तीनों पार्टियां

शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी आज राज्यपाल को सभी विधायकों का समर्थन पत्र सौंप सकती हैं। ये पत्र अदालत में सुनवाई से पहले ही सौंपा जाएगा। 

समर्थन पत्र को अदालत में करें पेश

महाराष्ट्र में चल रहे सियासी ड्रामे के बीच सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को हुई सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल मुकुल रोहतगी को निर्देश दिया कि राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा इस्तेमाल किए गए समर्थन पत्रों को अदालत में पेश किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए सरकार को सोमवार की सुबह समर्थन पत्र कोर्ट में प्रस्तुत करने को कहा है।

आदेश की जांच के बाद होगा फैसला

जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालत राज्य में सरकार बनाने के लिए फडणवीस को आमंत्रित करने के राज्यपाल के आदेश की जांच के बाद तत्काल बहुमत सिद्ध करने वाली शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की याचिका पर फैसला करेगी। सुप्रीम कोर्ट में जहां शिवसेना की तरफ से कपिल सिब्बल हैं तो कांग्रेस की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी। बीजेपी के कुछ नेताओं की तरफ से दाखिल याचिका को लेकर मुकुल रोहतगी और केंद्र की तरफ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं।

सभी पक्षकारों को नोटिस

सरकार की वैधानिकता को लेकर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच ने सबकी दलीलें सुनने के बाद सभी पक्षों के साथ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम अजित पवार को भी नोटिस भेजा। कोर्ट ने राज्यपाल के आदेश और देवेंद्र फडणवीस की तरफ से पेश किए समर्थन पत्र को भी सुनवाई को दौरान पेश करने का आदेश दिया है।

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