अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें ताकि वो देश में कहीं भी कभी भी सड़क पर बिना समय की परवाह किए बेखौफ होकर चल सकें।
भोपााल. हैदराबाद एनकाउंटर केस मेरी समझ से परे है। इस केस में निर्भया के माता पिता ने एनकाउंटर का स्वागत करते हुए कहा कि कम से कम किसी की बेटी को तो न्याय मिला, जिसके लिए हम सालों से भटक रहे हैं। देश के अंदर बहुत सारे लोगों का मानना है कि जब हमारी न्याय वयवस्था फेल हो जाती है तो हमें ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं। ताकि बलात्कारियों और अपराधियों को सजा मिल सके। महिलाओं के खिलाफ ऐसे अपराध दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं और अपराधी लगातार हमारे समाज, हमारे न्यायालय और हमारी पूरी न्याय व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं। ऐसे हालातों में अपने संविधान को नजरअंदाज कर कानून अपने हाथ में ले लेना कितना उचित है। क्या भीड़ को न्याय करने का अधिकार दे देना ही महिलाओं को सुरक्षित रखने का तरीका है।
हाल ही में एक युवा लड़की के साथ पहले बलात्कार किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई। यह घटना इतनी भयावह थी कि इसे सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इस घटना के बाद हुए एनकाउंटर ने पूरे देश की जनता को पागल कर दिया। पूरे देश के लोग दो भागों में बंट गए। पहले वो जिन्होंने इस एनकाउंटर का स्वागत किया और दूसरे वो जिन्होंने इसका विरोध किया। लोगों ने बहुत ही वाजिब सवाल पूछे। जैसे, अगर पांचवां बलात्कारी भी होता तो क्या होता? इसका मतलब यह हुआ कि हम यौन शोषण के एक अपराधी को भागने दे रहे हैं। यदि एनकाउंटर एक परंपरा बन जाए तो क्या होगा ? तब लोग बिना किसी सुनवाई के मार दिए जाएंगे और किसी के पास खुद का बचाव करने का अधिकार नहीं होगा। कई मामलों में लड़कों को झूठे केस में फंसाया जाता है ऐसे में न्याय का क्या होगा ?
महिलाओं की सुरक्षा एक बहुआयामी समस्या है, जिसका समाधान अब तक नहीं मिला है। हमें अपनी न्याय व्यवस्था और पुलिस प्रशासन में त्वरित बदलावों की जरूरत है ताकि महिला सुरक्षा से जुड़े सभी मामलों की फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हो सके और चार्ज सीट सही तरीके से फाइल हों। क्या इससे समस्या का समाधान मिल जाएगा। बलात्कारी आमतौर पर सज़ाओं से बेख़बर होते हैं। बलात्कारियों को फांसी की सजा मिलने के बाद भी रेप के मामलों में कोई कमी नहीं आई है। इसका मतलब है कि हमें अपने संस्कारों में बदलाव लाने की जरूरत है। जब भी ऐसी घटनाएं सामने आती है हम अपने घर की औरतों पर पाबंदियां लगा देते हैं और उन्हें एक तय समयसीमा के अंदर घर वापस लौटना पड़ता है। हम पुरुषों को सही तरीके से रहना क्यों नहीं सिखाते ? यह अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें ताकि वो देश में कहीं भी कभी भी सड़क पर बिना समय की परवाह किए बेखौफ होकर चल सकें। जय हिंद !
कौन हैं अभिनव खरे
अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विद अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के 100 से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सफल डेली शो कर चुके हैं।
मलयालम, अंग्रेजी, कन्नड़, तेलुगू, तमिल, बांग्ला और हिंदी भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA) भी किया है।