Deep Dive With Abhinav Khare- क्या है अंग्रेजों की आर्यन इन्वेशन थ्योरी की हकीकत ?

1957 की क्रांति के बाद ब्रिटिश सरकार को यह बात समझ में आ गई थी कि भारत में बहुत लंबे समय तक राज करना आसान नहीं होगा। इसलिए अंग्रेजों ने फूट डालो और राज करो की नीति अपनाई और कहा कि भारत में रहने वाले लोगों में सिर्फ दक्षिण भारतीय लोग ही यहां के मूल निवासी हैं। और गोरी चमड़ी वाली उत्तर भारतीय लोग बाहरी आक्रमणकारी हैं 

आर्यन इन्वेशन थ्योरी जिसे आर्यन आक्रमण सिद्धांत के नाम से भी जाना जाता है। यह थ्योरी ब्रिटिश पुरात्व वैज्ञानिक मॉर्टिमर व्हीलर ने दी थी। व्हीलर खुद कितना अधिक रंगभेद करते थे। इस बात के प्रमाण उनके 1940 में लिखे गए पत्र में मिलते हैं जो उन्होंने अपने दोस्तों को लिखा था। इस पत्र में उन्होंने कहा था कि ऐसा लग रहा है मानो मैं 100 साल पीछे आ गया हूं। उस समय शायद वो यह भूल गए थे कि जब ब्रिटिश आपस में लड़ भिड़कर एक दूसरे के खून के प्यासे थे, तब भारत में लोग बहस और सभाओं के जरिए अपने विवादों को सुलझाते थे। 

Deep Dive With Abhinav Khare

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क्या थी आर्यन इन्वेशन थ्योरी ?
1957 की क्रांति के बाद ब्रिटिश सरकार को यह बात समझ में आ गई थी कि भारत में बहुत लंबे समय तक राज करना आसान नहीं होगा। इसलिए अंग्रेजों ने फूट डालो और राज करो की नीति अपनाई और कहा कि भारत में रहने वाले लोगों में सिर्फ दक्षिण भारतीय लोग ही यहां के मूल निवासी हैं। और गोरी चमड़ी वाली उत्तर भारतीय लोग बाहरी आक्रमणकारी हैं जो हमला करके भारत में आए हैं और यहीं बस गए हैं। 

Abhinav Khare

क्यों पड़ी इस थ्योरी की जरूरत ?
भारत में सनातन धर्म और सनातन सभ्यता का विकास अंग्रेजों की तुलना में कहीं ज्यादा आगे था। हम हर क्षेत्र में उनसे बेहतर थे। ऐसे में भारतीयों को गुलाम बनाए रखने का एक ही तरीका था, उनमें हीन भावना भर देना। जिसके लिए अंग्रेजों ने इस थ्योरी का ईजाद किया। और उत्तर भारतीय एवं दक्षिण भारतीय लोगों में रंग के आधार पर फूट डालना शुरू कर दिया। यह सिर्फ एक थ्योरी नहीं थी बल्कि यह एक पूरा ढांचा था , जो सिर्फ इसलिए बनाया गया था ताकि सभी भारतीय कभी भी एकजुट न हो पाएं और आपस में लड़ते रहें। 

अंग्रेज सालों पहले भारत को छोड़कर जा चुके हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश आज भी हमारे देश में कई ऐसे लोग मौजूद हैं जो इस थ्योरी को सच मानकर बैठे हैं। ऐसे झूठे विचारों का फैलना हमारे समाज के लिए बड़ा खतरा है। हरियाणा में कुछ साल पहले ही खुदाई में नर कंकाल पाए गए थे। जिनकी डीएनए रिसर्च में पता चला है कि इन कंकालों का डीएनए आस-पास की किसी भी सभ्यता से नहीं मिलता है। जिससे इस बात की पुष्टि होती है कि आर्यन भी भारत के मूल वासी हैं और वो कोई बाहरी आक्रमणकारी नहीं है। हलांकि पुरानी कई सरकारों ने इस थ्योरी को आगे बढ़ाया और हम गलत धारणा में अब तक जीते रहे। पर अंततः सच सामने आया और यह झूठी थ्योरी गलत साबित हुई।

कौन हैं अभिनव खरे

अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विद अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के 100 से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सफल डेली शो कर चुके हैं।

अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA) भी किया है।
 

 

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