सिर्फ एक दिन की संसदीय कार्रवाई में कुल 4 करोड़ की प्रशासनिक लागत आती है। इसमें भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, नौकरशाह और करोड़ों में चलने वाले मीडिया की लागत शामिल नहीं है।
हमारे देश में संसद का भंग होना आम बात है। हर कभी हमारे नेता बेतुके इल्जाम लगाकर सदन से वाकआउट कर जाते हैं और हमारी संसद भंग हो जाती है। संसद का भंग होना हमेशा से भारतीय मीडिया में चर्चा का विषय रहा है। इसके बाद भी हमारे देश की जनता यह सवाल नहीं पूछ पाती कि नेताओं की गुंडागर्दी के लिए करदाताओं का पैसा क्यों बर्बाद किया जाता है। हमें अंदाजा भी नहीं है कि नेताओं की यह मनमानी देश के करदाताओं पर कितना बोध बढ़ाती है।
देश के सभी सांसदों पर सरकार हर साल 388 करोड़ रुपये खर्च करती है। लोकसभा में कुल 545 सदस्य होते हैं, जिसमें ब्रिटिस मूल के 2 मनोनीत सदस्य भी शामिल हैं। राज्यसभा में कुल 245 सदस्य होते हैं। इनमें 12 सदस्यों को राष्ट्रपति अलग-अलग क्षेत्रों से मनोनीत करते हैं। हमारी संसद में कुल तीन सेशन होते हैं। बजट सेशन, मानसून सेशन और विंटर सेशन। ये सभी सेशन कुल मिलाकर 100 दिन भी नहीं चलते हैं। सिर्फ एक दिन की संसदीय कार्रवाई में कुल 4 करोड़ की प्रशासनिक लागत आती है। इसमें भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, नौकरशाह और करोड़ों में चलने वाले मीडिया की लागत शामिल नहीं है। संसद भंग करना पैसे की बर्बादी के अलावा और कुछ भी नहीं है। अधिकतर मौकों पर संसद भंग होने के कारण कई अहम फैसले नहीं हो पाते और बेवजह देश की जनता का पैसा बर्बाद होता है।
इस मामले पर सबसे बड़ी समस्या यह है कि हम कुछ भी नहीं कर सकते। संसद खुद कोई कानून बना सकती है जिससे संसद में विरोध प्रदर्शन करने का समय निर्धारित हो। विपक्ष चाहे जिस पार्टी का हो जब उसका एजेंडा पूरा नहीं होता तो विपक्ष के सारे नेता घटिया राजनीति और तोड़फोड़ करने पर उतर आते हैं। एक लोकतांत्रिक देश में सरकार चलाने में विपक्ष का भी उतना ही योगदान होता है, जितना सरकार का होता है। विपक्ष से उम्मीद की जाती है कि वह सरकार को गलत निर्णय लेने से रोकेगा और सत्ता में बैठे नेताओं को जमीनी हकीकत से अवगत कराएगा। यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि विपक्ष आज के समय में देश की जनता के लिए बोध बना हुआ है। अब समय आ गया है कि हम अपने नेताओं को चुनते समय विवेक का इस्तेमाल करें और उन नेताओं को अपना नेता चुनने से बचें, जिन्हें हमारे लोकतंत्र के बारे में कुछ पता ही नहीं है।
कौन हैं अभिनव खरे
अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विद अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के 100 से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सफल डेली शो कर चुके हैं।
अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA) भी किया है।