रक्षा मंत्री ने कहा कि इस युद्ध में हिंदू, मुस्लिम, पारसी , सिख, यहूदी सभी धर्मों के योद्धाओं ने हिस्सा लिया और देश को विजय दिलाई। यह इस बात का सबूत है कि भारत में सभी धर्मों को बराबर का सम्मान दिया जाता है।
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने मंगलवार को 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान के खिलाफ अदम्य साहस दिखाने वाले भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवारों से मुलाकात की। इस मौके पर उन्होंने 1971 की लड़ाई में वीरता के लिए परमवीर चक्र से नवाजे गए कर्नल होशियार सिंह की धर्मपत्नी के चरण स्पर्श कर आर्शीवाद भी लिया। राजनाथ 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान (Pakistan)पर जीत के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में मनाए जा रहे स्वर्णिम विजय वर्ष (Swarnim Vijay Varsh)के तहत आयोजित विजय पर्व समारोह में भाग लेने पहुंचे थे।
इस कार्यक्रम में करीब 30 मुक्ति योद्धा और परमवीर चक्र विजेताओं के परिवारों के साथ कई भूतपूर्व सैनिक मौजूद थे। रक्षा मंत्री ने युद्ध में वीरता के साथ लड़ने वाले और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को नमन किया। उन्होंने कहा कि इस युद्ध में हिंदू, मुस्लिम, पारसी , सिख, यहूदी सभी धर्मों के योद्धाओं ने हिस्सा लिया और देश को विजय दिलाई। यह इस बात का सबूत है कि भारत में सभी धर्मों को बराबर का सम्मान दिया जाता है।
1971 के युद्ध में भारत की सबसे बड़ी जीत हुई
राजनाथ ने कहा- 1971 के युद्ध में भारत की जीत विश्व इतिहास की सबसे बड़ी जीत साबित हुई। इस युद्ध में पाकिस्तान ने अपनी सेना का एक तिहाई, नौसेना का आधा और वायु सेना का एक चौथाई हिस्सा खो दिया था। 93,000 पाक सैनिकों का आत्मसमर्पण विश्व इतिहास में एक ऐतिहासिक आत्मसमर्पण था।
जवान सीमाओं पर मुस्तैद है, इसलिए देश प्रगति कर रहा
राजनाथ ने कहा कि जवान सीमाओं की मुस्तैदी के साथ चौकसी कर रहे हैं और इसी का परिणाम है कि देश बहुत तेजी से प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि देश चैन की नींद सोता है, क्योंकि हमारे जवान सीमाओं पर जाग रहे होते हैं। जवानों के बलिदान की पूर्ति किसी भी कीमत पर नहीं की जा सकती और देश इसके लिए उनके प्रति कृतज्ञ है और सरकार उनके कल्याण के लिए और कार्य करने के लिए कीवर्ड है। राजनाथ ने युवाओं का आह्वान करते हुए कहां कि वे भूतपूर्व सैनिकों के पद चिन्हों पर चलते हुए राष्ट्र निर्माण में पूरी क्षमता, समर्पण और त्याग के साथ हिस्सा ले।
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