राफेल जैसी डील में ऑफसेट क्लॉज सरकार ने किया खत्म, CAG ने पहले ही उठाए थे सवाल

फ्रांस के साथ राफेल सौदे में ऑफसेट पॉलिसी पूरी ना होने पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अब सरकार ने नई रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020 में ऑफसेट पॉलिसी को ही बदल दिया।

Asianet News Hindi | Published : Sep 29, 2020 3:37 AM IST

नई दिल्ली. फ्रांस के साथ राफेल सौदे में ऑफसेट पॉलिसी पूरी ना होने पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अब सरकार ने नई रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020 में ऑफसेट पॉलिसी को ही बदल दिया। अब सराकर से सरकार, अंतर-सराकर और एकल विक्रेता से रक्षा खरीद में ऑफसेट पॉलिसी लागू नहीं होगी।

एकल विक्रेता रक्षा में कोई ऑफसेट पॉलिसी नहीं होगी

विशेष सचिव और महानिदेशक (अधिग्रहण) अपूर्वा चंद्रा ने सोमवार को कहा कि 'हमने ऑफसेट दिशा-निर्देशों में बदलाव किए हैं। अब से सरकार-से-सरकार, अंतर-सरकार और एकल विक्रेता रक्षा में कोई ऑफसेट पॉलिसी नहीं होगी।' मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा मंत्रालय ने ऑफसेट पॉलिसी के जरिए विदेशी निर्माताओं से टेक्नॉलोजी हासिल करने में विफलता के बाद फैसला किया।

गौरतलब है कि अब तक ऑफसेट पॉलिसी के अनुसार, फ्रांस से 36 राफेल जेट की खरीद के मामले में निर्माता डसॉल्ट एविएशन और एमबीडीए को भारतीय रक्षा क्षेत्र में अनुबंध राशि का 30 प्रतिशत निवेश करने के लिए अनिवार्य किया गया था। राफेल सौदे में जहां 36 फाइटर जेट 59,000 करोड़ रुपए में खरीदे गए, वहीं ऑफसेट क्लॉज 50 फीसदी था।

डिफेंस ऑफसेट पॉलिसी पर संसद में पेश की रिपोर्ट

दरअसल, कैग ने संसद में डिफेंस ऑफसेट पॉलिसी पर संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की। इसके मुताबिक, डसॉल्ट एविएशन से 59 हजार करोड़ रुपए में 36 राफेल विमानों की डील करते समय ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट में डीआरडीओ (DRDO) को कावेरी इंजन की तकनीक देकर 30 प्रतिशत ऑफसेट पूरा करने की बात तय हुई थी, लेकिन अभी तक यह वादा पूरा नहीं किया गया है। 

भारत की ऑफसेट पॉलिसी की मानें तो विदेशी कंपनियों को अनुबंध का 30 प्रतिशत हिस्सा भारत में रिसर्च या उपकरणों पर खर्च करना होता है। पुरानी ​रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया में रक्षा मंत्रालय ने यह ऑफसेट नीति विदेशी कंपनियों से 300 करोड़ रुपए से ज्यादा के रक्षा सौदों के लिए बनाई थी, जिसे ​डीएपी (DAP)-2020 में बदल दिया गया है।

कई मामलों में ऑफसेट पॉलिसी का पालन नहीं हुआ  

कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ​राफेल सौदे के अलावा ​​2015 से लेकर अब​ ​तक​ कई मामलों में ​ऑफसेट पॉलिसी​ ​का पालन नहीं हुआ है। ​​ऑफसेट का समझौता पूरा ​ना होने पर ​​पॉलिसी में ऐसा कुछ भी नियम नहीं है, जिससे विदेशी कंपनी पर कोई जुर्माना लगाया जा सके​। 2005 से 2018 तक विदेशी कंपनियों से 66 हजार करोड़ रुपए के कुल 46 ऑफसेट साइन हुए।​ इनमें से 90 फीसदी मामलों में कंपनियों ने ऑफ​सेट के बदले में सिर्फ सामान खरीदा है, किसी भी केस में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर नहीं ​की गई ​है। इस विफलता को देखते हुए सरकार ने ऑफसेट पॉलिसी को ही बदल दिया है।

भारत ने डसॉल्ट एविएशन से सरकार-से-सरकार अनुबंध के माध्यम से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदे हैं। कुछ दिनों पहले भारत आए पांच राफेल जेट्स को भारतीय वायु सेना (IAF) में शामिल भी कर लिया गया है।

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