दिल्ली-NCR में हवा की गुणवत्ता(Air Pollution) बहुत खराब' श्रेणी में बनी हुई है। 3 दिसंबर को भी यहां AQI ओवरऑल 400 के ऊपर दर्ज किया गया। इस मामले को लेकर आज फिर सुप्रीम कोर्ट(Supreme court) में सुनवाई हुई। इसमें अस्पतालों में चल रहे निर्माण कार्यों से बैन हटा दिया गया है।
नई दिल्ली. दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण (Air Pollution) के मामले में 3 दिसंबर को फिर सुप्रीम कोर्ट(Supreme court) में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अस्पतालों की निर्माण गतिविधियों को जारी रखने की अनुमति दे दी है। अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि उन्होंने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के अपने निर्देशों के अनुपालन की निगरानी के लिए एक इंफोर्समेंट टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
दिल्ली सरकार ने मांगी थी अनुमति
दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि रोगियों के लाभ के लिए राष्ट्रीय राजधानी में बेहतर स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा प्रदान करने के लिए 19 सरकारी अस्पतालों में काम किया जा रहा है, दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि अस्पतालों में निर्माण कार्य को प्रतिबंध से मुक्त किया जाए। दिल्ली सरकार का कहना है कि कोविड-19 की तीसरी लहर के लिए तैयारी करने और उसका मुकाबला करने के लिए अस्पतालों के बुनियादी ढांचे में सुधार का काम शुरू कर दिया गया था और 7 नए अस्पतालों का निर्माण शुरू किया गया था, लेकिन निर्माण प्रतिबंध के कारण काम बंद हो गया है। 2 दिसंबर को हुई सुनवाई में SC ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए संकेत दिए थे कि अगर वो कुछ नहीं कर पाई, तो सुप्रीम कोर्ट एक स्वतंत्र टॉस्क फोर्स का गठन कर देगी। SC ने दिल्ली और केंद्र सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था कि वो इस दिशा में कुछ सार्थक पहल करे। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली सरकार ने 3 दिसंबर से आगामी आदेश तक फिर से स्कूल बंद करने की घोषणा कर दी थी।
टास्क फोर्स गठित करने के संकेत
सुप्रीम कोर्ट ने 2 दिसंबर की सुनवाई में केंद्र और राज्य दोनों सरकारों पर नाराजगी जताई थी। SC ने साफ तौर पर कहा था कि दोनों सरकारें बहुत तरह के काम करने का दावा कर रही हैं, लेकिन हकीकत में कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में इस समय भी AQI 450 के ऊपर चल रहा है। चीफ जस्टिस एनवी रमना(NV Ramana) ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि कोर्ट एक स्वतंत्र टास्क फोर्स का गठन कर सकती है। फ्लाइंग स्क्वाड भी बनाए जा सकते हैं, जो प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों, उद्योगों और निर्माण पर सीधी कार्रवाई करेगी।
CPCB के आंकड़े चौंकाते हैं
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक 2018 के नवंबर में औसतन AQI 334 था, नवंबर 2017 में यही 360 दर्ज किया गया था। नवंबर 2016 में 374, नवंबर 2015 के 29 दिनों का औसत 358 था। लेकिन 2021 में नवंबर के 11 दिन ऐसे रहे, जब वायु प्रदूषण चरम पर रहा। पिछले साल 2020 में 9, 2019 में 7 और साल 2018 में सिर्फ 5 ही सबसे खराब श्रेणी में रहे।
50 तक AQI माना जाता है अच्छा
एयर क्वालिटी इंडेक्स 0 से 50 के बीच अच्छा माना जाता है। 51 से 100 के बीच यह संतोषजनक, जबकि 101 से 200 के बीच मध्यम माना जाता है। 201 से 300 के बीच यह खराब श्रेणी में आता है और 301 से 400 के बीच बेहद खराब। 401 से 500 के बीच एयर क्वालिटी इंडेक्स गंभीर श्रेणी में आता है
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