मुगल शासक की पौत्र वधू ने Red Fort पर किया दावा, कोर्ट ने पूछा- अब तक कहां थी?

पश्चिम बंगाल के हावड़ा की एक झुग्गी बस्ती में रहने वाली सुल्ताना बेगम ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी कि लाल किला मेरा है। हाईकोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया है।

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के हावड़ा की एक झुग्गी बस्ती में रहने वाली सुल्ताना बेगम ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में याचिका लगाई थी कि लाल किला (Red Fort) मेरा है। इसपर भारत सरकार ने अवैध कब्जा कर रखा है। हाई कोर्ट की जज रेखा पल्ली ( Rekha Palli) ने सुल्ताना बेगम की याचिका खारिज कर दिया और उनके पूछा है कि वह अब तक कहां थी? पहले यह दावा क्यों नहीं किया? 

सुल्ताना बेगम ने खुद को मुगल बादशाह बहादुर साह जफर के परपोते मिर्जा मोहम्मद बेदार बख्त की विधवा बताया है। बेदार बख्त रंगून से सफलतापूर्वक भाग गया था। अपनी याचिका में 68 वर्षीय सुल्ताना बेगम ने कथित अवैध कब्जे के लिए सरकार से मुआवजे की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि बख्त को भारत सरकार द्वारा 1960 में बहादुर शाह द्वितीय के उत्तराधिकारी के रूप में मान्यता दी गई थी।

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अदालत का दरवाजा खटखटाने में देरी क्यों?
याचिका पर सुनवाई करते समय जज रेखा पल्ली ने सुल्ताना के वकील से कहा कि वे पहले अदालत का दरवाजा खटखटाने में देरी और कुंडी की व्याख्या करें। इस बारे में भूल जाइए कि आप मालिक हो सकते हैं या नहीं। क्योंकि आपकी याचिका की पहली पंक्ति है कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा आपके साथ अन्याय किया गया था।

अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि महिला अनपढ़ और गरीब है। कोर्ट ने कहा कि वह इस पर टिप्पणी नहीं कर रही थी कि बहादुर शाह जफर उनके पूर्वज थे या नहीं। बल्कि यह जानना चाहती हैं कि वह अब अदालत का दरवाजा कैसे खटखटा सकती हैं? " आपके अनुसार, 1857 में अन्याय किया गया था। 160 साल से अधिक समय बाद आपने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि बताएं कि आप यह कैसे कर सकते हैं? फिर हम योग्यता पर आएंगे। आप लाल किले के मालिक कैसे हैं? हम देखेंगे। 

बता दें कि भारत सरकार को लाल किले पर अवैध कब्जा करने वाला बताते हुए याचिका में दावा किया गया है कि महिला को उसकी पुश्तैनी संपत्ति से बिना किसी मुआवजे के वंचित किया गया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि जब बहादुर शाह जफर को ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा निर्वासित किया गया था तो उन्होंने कानून और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत पर विचार किए बिना उनकी संपत्ति पर कब्जा कर लिया था।

 

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