एंटी CAA दिल्ली दंगा-2020: हाईकोर्ट में 2 फरवरी को होगी सुनवाई, नेताओं पर हेट स्पीच को लेकर FIR दर्ज करने की मांग

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित याचिकाओं(petitions) पर दो फरवरी को सुनवाई के लिए लिस्टेड किया है। इसमें कुछ राजनीतिक नेताओं के कथित घृणास्पद भाषणों(hate speeches) से संबंधित मामले भी शामिल हैं। 

Amitabh Budholiya | Published : Jan 25, 2023 1:13 AM IST / Updated: Jan 25 2023, 06:45 AM IST

नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों(2020 North East Delhi riots) से संबंधित याचिकाओं(petitions) पर दो फरवरी को सुनवाई के लिए लिस्टेड किया है। इसमें कुछ राजनीतिक नेताओं के कथित घृणास्पद भाषणों(hate speeches) से संबंधित मामले भी शामिल हैं। मंगलवार को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है कि क्या विचाराधीन स्पीच कोर्ट के समक्ष कार्यवाही का विषय हैं?

शेख मुजतबा फारूक की याचिका पर सुनवाई कर रही अदालत ने केंद्र से जवाब मांगते हुए टिप्पणी की, "अगर ये नफरत भरे भाषण हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई के लिए एक विषय हैं, तो हम क्या करने जा रहे हैं? कृपया हमें अगले सप्ताह बताएं। इन मुद्दों को एक साथ नहीं उठाया जा सकता है।" इसमें भाजपा के कुछ नेताओं के खिलाफ कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषण देने पर FIR दर्ज करने को कहा गया है।

केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषणों से जुड़ी कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं और अगले महीने सुनवाई के लिए आ रही हैं। अदालत ने तब दंगों से संबंधित कुछ अन्य याचिकाओं के साथ फारूक की याचिका पर सुनवाई टाल दी और केंद्र के वकील को अपने प्रश्न पर निर्देश प्राप्त करने के लिए समय दिया। सुनवाई करते हुए जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और तलवंत सिंह की बेंच ने कहा, "आइए जानें कि सुप्रीम कोर्ट में क्या लंबित है।"

सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस ने फारूक की ओर से हाईकोर्ट में बात रखी। याचिका में भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, परवेश वर्मा और अभय वर्मा के खिलाफ हेट स्पीच को लेकर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। आरोप है कि उनकी ये हेट स्पीच उन तारीखों पर हुई, जब दंगे हुए। उनके बयानों ने दंगे भड़काए।

नागरिकता (संशोधन- Citizenship (Amendment) Act, 2019) अधिनियम, 2019 की शुरूआत की पृष्ठभूमि में सामने आईं इन हेट स्पीच पर कार्रवाई की मांग के अलावा, ऐसी याचिकाएं भी हैं, जिनमें अन्य राहत की मांग की गई है। जैसे एसआईटी का गठन, कथित रूप से हिंसा में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ FIR, गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए लोगों का खुलासा।

याचिकाकर्ता 'वकीलों की आवाज-Lawyers Voice' ने कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ-साथ डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खान, एआईएमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी, एआईएमआईएम के पूर्व विधायक वारिस पठान, महमूद प्राचा, हर्ष मंदर, मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल, स्वरा भास्कर, उमर खालिद, बीजी कोलसे पाटिल और अन्य के खिलाफ भी FIR दर्ज करने की मांग की है।

पुलिस ने पहले कहा था कि उसने पहले ही क्राइम ब्रांच के तहत तीन विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाए हैं। अब तक इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि उसके अधिकारी हिंसा में शामिल थे या राजनीतिक नेताओं ने गड़बड़ी को भड़काया या उसमें भाग लिया।

पुलिस ने कहा कि प्रथम दृष्टया जांच से संकेत मिलता है कि यह किसी छिटपुट या स्वतः स्फूर्त हिंसा का मामला नहीं है, बल्कि यह समाज में सद्भाव को अस्थिर करने की सोची समझी साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है।

पुलिस ने दावा किया है कि अधिकारियों ने प्रभावित क्षेत्रों में कानून और व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने और 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान लोगों के जीवन और संपत्ति को बचाने के लिए बिना किसी भय या पक्षपात के और पेशेवर तरीके से काम किया।

पिछले साल अदालत ने विभिन्न राजनीतिक नेताओं को पक्षकार बनाने के लिए कई संशोधन आवेदनों को अनुमति दी थी, जिसमें FIR दर्ज करने और हिंसा के लिए कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने के लिए उनके खिलाफ जांच की मांग की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2021 के एक आदेश में हाईकोर्ट से अनुरोध किया था कि वह विशेषता तीन महीने के भीतर हेट स्पीच के लिए नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग करने वाली याचिका का निपटारा करे, जिसके कारण कथित रूप से दंगे हुए थे।

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