प्रेमी जोड़े के लिए दिल्ली HC का बड़ा फैसला- अपनी मर्जी से शादी करनेवाले कपल को परिवार वाले नहीं कर सकते जुदा

दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रेमी युगल के लिए खुश कर देने वाला फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर दो मैच्योर कपल शादी करने चाहते हैं तो कोई उसे अलग नहीं कर सकता। 

Moin Azad | Published : Jul 23, 2022 11:43 AM IST / Updated: Jul 23 2022, 05:34 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने दिल्ली पुलिस को अपने परिवारों के खिलाफ शादी करने वाले जोड़े की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि एक बार जब दो सहमति वाले वयस्क पति और पत्नी के रूप में एक साथ रहने का फैसला करते हैं, तो कोई भी उनके परिवार के सदस्यों सहित हस्तक्षेप करने का हकदार नहीं है।

परिवार वाले नहीं कर सकते अलग
कोर्ट ने कहा कि राज्य अपने नागरिकों की रक्षा करने के लिए संवैधानिक दायित्व के तहत चलता है। खासकर जब सहमति से शादी करनेवाले वयस्क अलग जाति या समुदाय के होते हैं। नकी रक्षा और जरूरी हो जाती है। कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक न्यायालयों को नागरिकों की सुरक्षा के लिए आदेश पारित करने का अधिकार है। विशेष रूप से उस मामलों में, जिससे वर्तमान में कोई विवाद हो रहा हो। एक बार जब दो वयस्क पति और पत्नी के रूप में एक साथ रहने के लिए सहमत हो जाते हैं तो उनके परिवार सहित तीसरे पक्ष से उनके जीवन में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। हमारा संविधान भी इसे सुनिश्चित करता है। 

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पुलिस सुरक्षा की हुई थी मांग
न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला ने कहा कि यह न केवल राज्य का कर्तव्य है, बल्कि इसकी एजेंसियों का भी यह सुनिश्चित करना है कि देश के नागरिकों को कोई नुकसान न हो। कोर्ट एक विवाहित जोड़े की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें पुलिस सुरक्षा की मांग की गई थी। बताया गया कि उन्होंने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी की थी। 

कोर्ट ने दिया था दिल्ली पुलिस को आदेश
अदालत को बताया गया कि महिला के पिता उत्तर प्रदेश में राजनीतिक रूप से जुड़े हुए व्यक्ति थे, जो राज्य तंत्र को प्रभावित करने में सक्षम थे। इसलिए कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के संबंधित क्षेत्र के बीट अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अगले तीन सप्ताह के लिए दो दिनों में एक बार दंपति के आवास का दौरा करें।

पुलिस याचिकाकर्ताओं का रखेंगे ख्याल
किसी भी खतरे या आपात स्थिति के संबंध में याचिकाकर्ताओं की ओर से किसी भी कॉल के मामले में पुलिस अधिकारियों को तुरंत जवाब देने का भी निर्देश दिया गया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मुमताज अहमद और सतीश शर्मा पेश हुए। राज्य की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक मुकेश कुमार के साथ अतिरिक्त स्थायी वकील (आपराधिक) कामना वोहरा पेश हुईं।

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