किरायेदारों से वादा कर फंस गए केजरीवाल, हाईकोर्ट ने पूछाः छह सप्ताह में बताएं कब करेंगे किराया भुगतान?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 29 मार्च 2020 को एक प्रेस कांफ्रेंस की थी। प्रेेस कांफ्रेंस में उन्होंने आश्वासन दिया था कि अगर कोई किरायेदार किराया भुगतान करने में असमर्थ है तो उस गरीब का किराया राज्य सरकार भुगतान करेगी। 

Asianet News Hindi | Published : Jul 22, 2021 4:54 PM IST

नई दिल्ली। सार्वजनिक मंचों से जनता से वादा कर उसे पूरा नहीं करने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए बुरी खबर है। वादा किया है तो उसको पूरा क्यों नहीं किया इसका जवाब भी देना होगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को वादा करके उसे नहीं निभाना भारी पड़ सकता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने उनसे वादा पूरा नहीं किए जाने की वजह और उसे पूरा करेंगे या नहीं इस पर जवाब मांग लिया है। 

दरअसल, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 29 मार्च 2020 को एक प्रेस कांफ्रेंस की थी। प्रेेस कांफ्रेंस में उन्होंने आश्वासन दिया था कि अगर कोई किरायेदार किराया भुगतान करने में असमर्थ है तो उस गरीब का किराया राज्य सरकार भुगतान करेगी। 

सरकार को वादा याद दिलाने के लिए दायर हुई थी याचिका

दिल्ली हाईकोर्ट में कुछ किराएदारों और मकान मालिकों ने याचिका दायर करते हुए दिल्ली सरकार के किए गए वादे का पालन कराने का आग्रह किया था। किरायेदारों ने अपनी गरीबी और परेशानी का हवाला देते हुए कहा था कि मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं। किराया देने में असमर्थ हैं, सरकार ने वादा किया था कि किराया भुगतान करेंगे। हमारी मदद के लिए सरकार अपना वादा निभाए। याचिकाकर्ताओं में कुछ मकान मालिक भी शामिल थे जिन्होंने किराया नहीं मिलने पर सरकार से वादा निभाने के लिए कोर्ट में गुहार लगाई है। 

कोर्ट ने छह सप्ताह में फैसला लेने को कहा

कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि जीएनसीटीडी, मुख्यमंत्री द्वारा 29 मार्च 2020 को किरायेदारों और जमींदारों को किए गए वादे को निभाने का निर्णय छह सप्ताह की अवधि में ले। साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह इस पर एक नीति बनाने के लिए कदम उठाए और सीएम के प्रस्ताव को लागू नहीं करने का निर्णय लेने पर कारण बताने का भी आदेश दिया है। यह सुनवाई सिंगल बेंच की जज जस्टिस प्रतिभा एम.सिंह ने की है.


 

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