दिल्ली प्रदूषण: नहीं बदल रहे हालात, जताई गई यह गंभीर चिंता

दिल्ली में प्रदूषण का स्तर एक बार फिर बहुत ही खराब श्रेणी में पहुंच गई है।  जिसका कारण पराली जलाए जाने की घटनाओं में फिर बढ़ोतरी बताई जा रही है। वायु गुणवत्ता निगरानी दल ने इसे और गंभीर स्थिति में होने की आशंका जाहिर की है।

Asianet News Hindi | Published : Nov 11, 2019 2:21 AM IST

नई दिल्ली. दिल्ली को प्रदूषण के प्रकोप से राहत नहीं मिल रही है। जिसका नतीजा है कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर एक बार फिर बहुत ही खराब श्रेणी में पहुंच गई है। जानकारी के मुताबिक हवा की दिशा बदलकर पश्चिमोत्तर होने से वायु गुणवत्ता सूचकांक रविवार को एक बार फिर गिरकर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच गया है। इसका एक कारण यह भी है कि पराली जलाए जाने की घटनाओं में फिर बढ़ोतरी दर्ज की गई है। रविवार शाम चार बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 321 दर्ज किया गया। 

गंभीर होने की आशंका 

सरकार की वायु गुणवत्ता निगरानी और पूर्वानुमान सेवा ‘सफर’ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक मंगलवार को ‘गंभीर’होने की आशंका है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक रविवार शाम चार बजे 321 दर्ज किया जो शनिवार के 283 से अधिक है। इससे पहले गुरुवार को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 309 था। अधिकतर निगरानी स्टेशनों ने वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’दर्ज की है। दिल्ली में 37 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों में से अधिकतर ने वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’दर्ज की है. दिल्ली के पास स्थित ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और नोएडा में भी प्रदूषण स्तर बढ़ा हुआ है. ग्रेटर नोएडा का वायु गुणवत्ता सूचकांक 347, गाजियाबाद का 374 और नोएडा का 353 दर्ज किया गया.

मंत्री ने किया आग्रह 

इस बीच दिल्ली के पर्यावरण मंत्री कैलाश गहलोत ने एक बार फिर पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने पर तत्काल रोक लगाने और किसानों को पराली प्रबंधन के लिए मशीनें आवंटित करने में तेजी लाने का आग्रह किया है। दिल्ली में प्रदूषकों का फैलाव बढ़ा है और इसके चलते अधिक संख्या में द्वितीयक कणों के निर्माण को बढ़ावा मिला है। द्वितीयक कण वे हैं जो प्राथमिक प्रदूषकों और अन्य वायुमंडलीय घटकों जैसे सल्फर-डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के साथ जटिल रासायनिक प्रभाव से पैदा होते हैं। ये वायुमंडलीय घटक आग जलने और वाहनों के धुएं आदि से भी निकलते हैं। द्वितीयक कणों में सल्फेट्स, नाइट्रेट्स, ओजोन और ऑर्गेनिक एरोसोल शामिल हैं। 

Share this article
click me!