Delhi Riots 2020: पैनल के सामने पेश हुए Facebook India के डायरेक्टर, पूछा-hate contents के लिए क्या है पॉलिसी?

पैनल ने फेसबुक की ओर से पेश हुए अधिकारी के जवाबों पर नाराजगी जताई। पैनल ने कहा, "सवालों को तोड़-मरोड़ कर आप कार्यवाही को निराश कर रहे हैं।" इस पर ठुकराल ने बताया कि इंडिया से जुड़े कंटेंट्स को एक अलग टीम नियंत्रित करती है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 18, 2021 2:48 PM IST

नई दिल्ली। राजधानी (Delhi) में फरवरी 2020 के दंगों से जुड़ी नफरत फैलाने वाली पोस्ट (Hate post) और कंटेंट (Hate content)  को हटाने के लिए की गई कार्रवाई को लेकर दिल्ली के एक पैनल द्वारा गुरुवार को फेसबुक (Facebook) के अधिकारियों से पूछताछ की गई। पूछताछ लाइवस्ट्रीम सेशन (livestream session) में हुआ। पैनल ने, फेसबुक जोकि अब मेटा (Meta) के नाम से जाना जा रहा है, को भारतीय संदर्भ में हेट पोस्ट पर अपनी पॉलिसी बताने और भारत में अपने कर्मचारियों की धार्मिक संबद्धता का डिटेल शेयर करने के लिए कहा है। 

पैनल ने पूछा-फेसबुक इंडिया के कर्मचारियों की धार्मिक संबद्धता क्या है?

पैनल में शामिल आम आदमी पार्टी (Aam Admi Party) के विधायक राघव चड्ढा (Raghav Chaddha) ने फेसबुक के अधिकारियों से पूछा कि फेसबुक इंडिया में काम करने वाले लोगों की धार्मिक संबद्धता क्या है? इस पर फेसबुक इंडिया (Facebook India) के पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर (Public Policy Director) शिवनाथ ठुकराल (Shivnath Thukral) ने बताया कि कंपनी धर्म के आधार पर कर्मचारियों का रिकॉर्ड नहीं रखती है। देश का कानून इसकी इजाजत नहीं देता है। 

हालांकि, पैनल में शामिल एमएलए राघव चड्ढा ने फेसबुक को अगली सुनवाई में धर्म के आधार पर टीम और निदेशक मंडल की संरचना पर विवरण देने का निर्देश दिया। साथ ही शेयरधारिता पैटर्न के आधार पर सार्वजनिक नीति भी लेकर पेश होने को कहा। साथ ही समिति ने फेसबुक को दंगों से एक महीने पहले से दो महीने बाद तक प्राप्त सभी यूजर्स की शिकायतों का विवरण पेश करने को कहा गया है।

फेसबुक बोला: नफरत से हमें नुकसान होता, नहीं चाहते यह

पैनल के सामने फेसबुक के अधिकारी ने कहा, "नफरत से हमें नुकसान होता है। हम अपने प्लेटफॉर्म पर नफरत नहीं चाहते। हमारे विज्ञापनदाता भी नहीं चाहते। हम इस पर लगातार काम कर रहे हैं।" फेसबुक इंडिया के पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर शिवनाथ ठुकराल ने बताया कि इस साल अकेले सुरक्षा और सुरक्षा के लिए 5 अरब डॉलर का निवेश किया गया था। हम जागरूक हैं और इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हैं। 

आप नेता ने जवाब दिया: "मुझे यकीन नहीं है कि नफरत आपको नुकसान पहुंचाती है क्योंकि आप एक व्यवसाय हैं और नफरत वाले पोस्ट की वायरलिटी आपको राजस्व लाती है।"

क्या फेसबुक ने भारतीय संदर्भ में अभद्र भाषा परिभाषित की है?

कमेटी ने पूछा कि क्या फेसबुक ने भारतीय संदर्भ में अभद्र भाषा को परिभाषित किया? सवाल का कोई विशेष जवाब दिए बिना श्री ठुकराल ने कहा, "हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना होगा। इनपुट के आधार पर, भारतीय संदर्भ में हमने जाति को अभद्र भाषा में शामिल किया है।"

इस पर पैनल ने साफ-साफ पूछा कि क्या भारत के लिए विशिष्ट अभद्र भाषा नीति थी तो अधिकारी ने कोई भी जवाब नहीं दिया। फेसबुक से यह भी पूछा गया कि उसने पोस्ट से जुड़ी शिकायतों पर कितनी तेजी से कार्रवाई की है? फेसबुक की ओर से पेश अधिकारी ठुकराल ने कहा, "24 घंटे के भीतर शिकायतों पर एक रिसिविंग दी जाती है और यदि यह सामग्री नीति का उल्लंघन करती है, तो इसे तुरंत हटा दिया जाता है।"

दंगों के दौरान पोस्ट हटाने की संख्या बताने से इनकार

दिल्ली दंगों के दौरान नीति का उल्लंघन करने के लिए हटाए गए पोस्ट पर डेटा के लिए पूछे जाने पर, फेसबुक के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए इसे कानून और व्यवस्था का विषय बताते हुए विवरण साझा करने से इनकार कर दिया।

क्या कभी किसी एजेंसी से शिकायत की?

क्या फेसबुक ने भड़काऊ सामग्री के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास कोई शिकायत दर्ज की थी, श्री ठुकराल से पूछा गया था। उन्होंने जवाब दिया, "हम उल्लंघन करने वाली सामग्री हटाते हैं और कानून प्रवर्तन एजेंसी नहीं हैं। हम किसी एजेंसी को कोई शिकायत दर्ज नहीं कराते हैं।"

समिति ने सवाल किया कि क्या फेसबुक ने दिल्ली दंगों के दौरान समस्याग्रस्त सामग्री को हटाने के उपाय किए। फेसबुक ने जवाब दिया कि अभद्र भाषा के खिलाफ अपनी नीति के हिस्से के रूप में उसने हटाने के उपायों का निरंतर प्रयोग किया। पैनल ने पूछा कि ऐसी सामग्री को कैसे हटाया गया, श्री ठुकराल ने कहा कि कंटेंट शेयरिंग को एक एल्गोरिथम के आधार पर कम किया गया था जिसने सामग्री दिखे ही नहीं।

पैनल ने फेसबुक के जवाब पर जताई नाराजगी

पैनल ने फेसबुक की ओर से पेश हुए अधिकारी के जवाबों पर नाराजगी जताई। पैनल में शामिल राघव चड्ढा ने कहा, "सवालों को तोड़-मरोड़ कर आप कार्यवाही को निराश कर रहे हैं।" इस पर ठुकराल ने बताया कि इंडिया से जुड़े कंटेंट्स को एक अलग टीम नियंत्रित करती है। पैनल कंटेंट पॉलिसी चीफ को अगली सुनवाई के लिए बुला सकता है।

क्यों पैनल ने फेसबुक को किया था तलब? 

दरअसल, दिल्ली दंगों के दौरान काफी भड़काऊ व फेक कंटेंट फेसबुक पर शेयर किए गए थे। आरोप है कि इन कंटेंट ने दिल्ली की शांति-व्यवस्था को प्रभावित किया था। ऐसे फेक और भड़काऊ कंटेंट के प्रसार को रोकने में सोशल मीडिया की भूमिका पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए फेसबुक इंडिया को तलब किया गया था। फेसबुक ने समन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट से फेसबुक को कोई राहत नहीं मिली थी। बता दें कि सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) के विरोध में दिल्ली में तीन दिवसीय हिंसा में 50 से अधिक लोग मारे गए थे और सैकड़ों लोग घायल हुए थे।

यह भी पढ़ें:

Pakistan को China के बाद IMF ने भी किया नाउम्मीद, 6 अरब डॉलर लोन के लिए पूरी करनी होगी 5 शर्त

कुलभूषण जाधव को चार साल बाद जगी उम्मीद, सजा--मौत के खिलाफ हो सकेगी अपील, अंतरराष्ट्रीय समुदाय के आगे झुका पाकिस्तान

Haiderpora encounter: मारे गए आमिर के पिता बोले-आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का इनाम मेरे बेकसूर बेटे को मारकर दिया

Share this article
click me!