
बेंगलुरू। कर्नाटक की राजनीति एक बार फिर हलचल में है। सरकार के आधे कार्यकाल पूरे होते ही मुख्यमंत्री परिवर्तन की अटकलें तेज हो गई हैं। रामनगर के कांग्रेस MLA इकबाल हुसैन का दावा है कि राज्य के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार 200 प्रतिशत अगले मुख्यमंत्री होंगे। कांग्रेस हाईकमान के फैसले की प्रतीक्षा करते हुए विधायक लगातार दिल्ली पहुंच रहे हैं, जिससे यह सवाल और भी गहरा हो गया है-क्या अब कर्नाटक की CM कुर्सी पर बड़े बदलाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है?
MLA इक़बाल हुसैन ने साफ कहा कि अंतिम फैसला हाईकमान ही करेगा, लेकिन उन्हें पूरा विश्वास है कि डीके शिवकुमार ही नए मुख्यमंत्री के रूप में सामने आएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि सत्ता का ट्रांसफर कांग्रेस के “पांच-छह बड़े नेताओं के बीच बनी एक गुप्त डील” के तहत होना है। यही बात इस मुद्दे को और रहस्यमय बनाती है।
कई विधायकों ने दिल्ली जाकर हाईकमान से मिलने की कोशिश की है। कुछ MLA खुले रूप से कह रहे हैं कि पार्टी को जल्द से जल्द मुख्यमंत्री को लेकर चल रही कन्फ्यूजन खत्म करनी चाहिए, क्योंकि इससे पार्टी को नुकसान हो रहा है। कुछ विधायकों की मांग है कि प्रस्तावित कैबिनेट फेरबदल में नए चेहरों और युवाओं को भी मौका दिया जाए। इससे साफ है कि अंदरूनी राजनीति काफी सक्रिय है।
2023 के विधानसभा चुनावों के बाद से यह रिपोर्ट सामने आती रही है कि सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर पावर-शेयरिंग समझौता हुआ था। सरकार के दो साल पूरे होने के बाद अब वही मुद्दा गर्म हो गया है।
सूत्रों के मुताबिक, शिवकुमार समर्थक करीब छह MLA रविवार रात दिल्ली गए। इससे पहले लगभग 10 MLA खड़गे से मुलाकात कर चुके हैं। हालांकि, शिवकुमार खुद कहते हैं कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है और MLA शायद मंत्री पद मांगने गए होंगे। उनके इस बयान ने स्थिति को और पेचीदा बना दिया है। राजनीतिक हलकों में इसे उनकी रणनीतिक साइलेंट पॉलिटिक्स माना जा रहा है।
मगदी MLA बालकृष्ण का कहना है कि हाईकमान को तुरंत दखल देकर कन्फ्यूजन खत्म करना चाहिए। मद्दूर के MLA केएम उदय भी कहते हैं कि उन्हें संकेत मिला है कि कैबिनेट फेरबदल और नेतृत्व बदलाव, दोनों पर विचार चल रहा है। इससे एक ही बात साफ होती है कि कर्नाटक कांग्रेस के अंदर बड़ा फैसला होने वाला है।
MLA इक़बाल हुसैन का “200% पक्का” वाला बयान राजनीतिक गलियारों में बड़ी चर्चा बना हुआ है। क्या यह सिर्फ व्यक्तिगत विश्वास है या इस भरोसे के पीछे कोई गहरी राजनीतिक अंदरूनी जानकारी? यह सवाल फिलवक्त रहस्य बना हुआ है।
कर्नाटक की राजनीति में अभी बहुत कुछ साफ नहीं है, लेकिन एक बात जरूर है कि सत्ता का समीकरण किसी भी समय बदल सकता है। हाईकमान के फैसले के संकेत अब हर नेता खोज रहा है। अब बस नजरें इसी पर टिकी हैं कि क्या डीके शिवकुमार वाकई मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच पाएंगे।