देश में लगातार बढ़ रही नफरत पर कैसे लगेगी लगाम? क्या नेताजी का फार्मूला आएगा काम? हिंद फौज की तरह बनेगा मंत्रालय?

लोकप्रिय गायक शान मुखर्जी को सोशल मीडिया पर ट्रोल कर रहे हैं। उनसे पूछा जा रहा है कि उन्होंने मुस्लिम टोपी पहनकर लोगों को ईद की बधाई क्यों दी? यह घटना डिजिटल दुनिया में धर्म के नाम पर फैलाई जाने वाली नफरत का ताजा उदाहरण है।

नई दिल्ली: लोकप्रिय गायक शान मुखर्जी (Shaan Mukherjee) ईद के बाद से ही नफरत भरे ट्रोलर्स को करारा जवाब देने के बाद सुर्खियां बटोर रहे हैं। बता दें कि ईद पर इंस्टाग्राम पर मुस्लिम टोपी पहने अपनी तस्वीर पोस्ट करने पर उन्हें ट्रोल किया गया। इस दौरान इंस्टाग्राम यूजर्स ने उनके पोस्ट पर नफरत भरे कमेंट्स पोस्ट किए और उनसे पूछा कि उन्होंने मुस्लिम टोपी पहनकर लोगों को ईद की बधाई क्यों दी? शान ने ट्रोलर्स को जवाब देते हुए इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने भारतीय नागरिकों को शांति से रहने और विकास के लिए मिलकर काम करने के लिए कहा। मुखर्जी के साथ हुई घटना डिजिटल दुनिया में धर्म के नाम पर फैलाई जाने वाली नफरत का एक और उदाहरण है। ऐसे में अब सवाल उठता है कि देश में बढ़ती नफरत को कैसे रोका जाए?  बता दें कि आजादी से पहले अंग्रेजों द्वारा खेले जा रही इसी तरह के सांप्रदायिकता के खेल को रोकने के लिए सुभाष चंद्र बोस ने इंडियन नेशनल आर्मी का गठन किया था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मौजूदा सरकार देश में बढ़ रही नफरत को रोकने के लिए नेता जी के Communal Harmony Council के गठन पर विचार करेगी।

गौरतलब है कि आजादी से पहले भारत में अंग्रेजों ने इंडियन नेशनल स्ट्रगल (Indian National Struggle) को विभाजित करने के लिए जिस हथकंडे को अपनाया था । आजादी के बाद राजनीतिक संगठनों (political outfits) ने लोकप्रियता हासिल करने के लिए वही तरीका अपनाया और धार्मिक नफरत का इस्तेमाल किया, जबकि विदेशी दुश्मनों ने हमारे देश को कमजोर करने के लिए सांप्रदायिकता को बढ़ावा दिया।

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 सुभाष चंद्र बोस के पास था साम्प्रदायिकता का इलाज

हालांकि, नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhas Chandra) के पास इस बीमारी का इलाज था। 1941 में जब वह भारत से बर्लिन के लिए रवाना हुए, तो उस समय ब्रिटिश प्रायोजित साम्प्रदायिक राजनीति (British-sponsored communal politics) अपने चरम पर थी। मुस्लिम लीग (Muslim League) पाकिस्तान की मांग कर रही थी, आदिवासी महासभा आद्यस्थान की मांग कर रही थी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी भारत के भीतर कई देशों के लिए अभियान चला रही थी और हर सांप्रदायिक समूह अपना प्रतिनिधित्व चाहता था।

आजाद हिंद सरकार में बनाई Communal Harmony Council

इस बीच नेताजी ने महसूस किया कि एक मजबूत भारतीय राष्ट्र के लिए एकता बेहद जरूर है। इसके लिए उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना ( Indian National Army) की स्थापना की और आजाद हिंद सरकार (Azad Hind Sarkar) का गठन किया। उनकी 'निर्वासन सरकार' में परिषद को Communal Harmony Council कहा जाता था। इसका उद्देश्य हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई एकता बनाना था। इस परिषद का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कर्नल एहसान कादिर (Lt. Colonel Ehsan Qadir) ने किया था।

जय हिंद ने ली धर्मिक नारों की जगह 

INA में उस समय की विभाजनकारी प्रथा को समाप्त कर दिया और धर्म आधारित युद्ध नारों की जगह जय हिंद ने ले ली। परिषद ने भारतीयों के एकता को बढ़ाने के लिए पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में व्यापक प्रचार किया। इतना ही नहीं अंग्रेजों के खिलाफ भी INA एकजुट होकर लड़ी और वास्तव में एक राष्ट्रीय शक्ति बन गई। 

सोर्सः आवाज द वाइस

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