क्या राहुल गांधी को ब्रिटेन जाने से पहले केंद्र से अनुमति लेने की जरूरत थी, जानिए क्या कहता है नियम

सरकारी सूत्रों का दावा है कि राहुल गांधी ने ब्रिटेन यात्रा से पहले केंद्र सरकार से अनुमति नहीं ली थी। कांग्रेस का कहना है कि इसकी  कोई जरूरत नहीं थी। वहीं, केंद्र का इस संबंध में एक गाइडलाइन लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। 

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की हाल ही में की गई ब्रिटेन यात्रा शुरू से विवादों में रही है। राहुल गांधी ने इस यात्रा के दौरान एक साक्षात्कार समारोह में भारत के अस्तित्व पर सवाल खड़े कर दिए थे, जिसके बाद तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं ने उनकी आलोचना की।

इसके अलावा, राहुल गांधी ने इस यात्रा के दौरान ब्रिटेन में लेबर पार्टी के नेता जेरेमी  कॉर्बिन से भी मुलाकात की। जेरेमी से मुलाकात की उनकी तस्वीर वायरल होने के बाद उन पर हमले और तेज हो गए। जेरेमी अक्सर भारत सरकार की आलोचना करते देखे गए हैं। वह कश्मीरी अलगाववादियों के समर्थन में भी कई बार बयान दे चुके हैं। 

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राहुल गांधी ने उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया!

बहरहाल, विवाद बढ़ता देख अब राहुल गांधी की यात्रा को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। दावा किया जा रहा है कि राहुल गांधी ने ब्रिटेन जाने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन नहीं करते हुए सरकार से इसकी अनुमति नहीं ली थी। बीते बुधवार को समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वायनाड से सांसद और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विदेश जाने के लिए जरूरी प्रक्रिया का पालन नहीं किया। दावा किया जा रहा है कि सांसदों के लिए विदेश जाने से पहले एक उचित प्रक्रिया होती है, जिसमें सरकार को इसकी जानकारी देना भी शामिल है, पूरी नहीं की गई। 

मनोज झा इसी कार्यक्रम में पूरी प्रक्रिया के साथ शामिल हुए

एएनआई की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसी समारोह में शामिल होने के लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा भी ब्रिटेन गए थे। उन्होंने बतौर सांसद ब्रिटेन जाने से पहले सभी जरूरी प्रक्रियाओं का पालन किया और मंजूरी हासिल की थी। मनोज झा ने राहुल गांधी से एक दिन पहले कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में साक्षात्कार समारोह में हिस्सा लिया था। 

क्या कहता है नियम

बहरहाल, विदेश यात्रा करने वाले सांसदों और राहुल की ब्रिटेन यात्रा को लेकर नियम क्या कहते हैं, इस बारे में एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसे सरकार की ओर से सांसदो के विदेश यात्रा की नियमावली बताया जा रहा है। आइए एक नजर डालते हैं कि इस नियम के तहत किसी सांसद को विदेश जाने से पहले किन प्रक्रियाओं का पालन करना होता है। 

- सांसदों के लिए विदेश यात्रा नियम के तहत, सभी लोक सेवकों और जन प्रतिनिधियों को विदेश यात्रा करते समय कुछ दिशानिर्देशों का पालन करना होता है और उन्हें अपनी यात्राओं के लिए मंजूरी की आवश्यकता होती है।

- लोकसभा सचिवालय द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार, विदेश में गैर-आधिकारिक यात्राओं पर सांसदों को लोकसभा अध्यक्ष, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय को सूचना देनी होती है। 

- परिपत्र के अनुसार, यदि किसी विदेशी स्रोत, किसी भी देश की सरकार, विदेशी संगठनों आदि से कोई निमंत्रण सीधे किसी सदस्य को प्राप्त होता है, तो ऐसे निमंत्रण पत्र की एक प्रति, जिसमें यात्राओं के उद्देश्य का पूरा विवरण होता है और स्वीकार किए जाने वाले आतिथ्य की जानकारी सरकार को भी दी जानी चाहिए। 

- वहीं, राजनीतिक मंजूरी के लिए विदेश मंत्रालय और सचिव, गृह मंत्रालय (विदेशी प्रभाग) को विदेश यात्राओं के दौरान दिए जाने वाले किसी भी विदेशी आतिथ्य को स्वीकार करने से पहले इसकी सूचना देनी होती है।  

- एक बार जब दो मंत्रालय मंजूरी दे देते हैं, तो सांसद अपने-अपने सदनों के पीठासीन अधिकारी को सूचित करेगा, जिसमें लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा उपाध्यक्ष शामिल हैं। 

- सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि सांसदों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी गतिविधियों से यह आभास न हो कि वे आधिकारिक दौरे पर हैं और उन्हें किसी भी रूप में आतिथ्य या आतिथ्य प्रदान करने वाले संगठन / संस्थान के बारे में खुद को संतुष्ट करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। 

- ये दिशानिर्देश आधिकारिक/गैर-आधिकारिक यात्राओं के लिए हैं। व्यक्तिगत यात्रा के लिए किसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। 

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