दिल्ली के नए उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना(Delhi LG Vinay Kumar Saxena) ने 26 मई को शपथ ग्रहण कर ली। लेकिन इस दौरान एक अजीब घटनाक्रम हो गया। बैठने के लिए कुर्सी नहीं मिलने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन नाराज होकर शपथ ग्रहण समारोह से चले गए।
नई दिल्ली. दिल्ली के नए उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना(Delhi LG Vinay Kumar Saxena) के शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन नाराज देखे गए। विनय कुमार सक्सेना(Delhi LG Vinay Kumar Saxena) ने 26 मई को शपथ ग्रहण कर ली। लेकिन इस दौरान एक अजीब घटनाक्रम हो गया। बैठने के लिए कुर्सी नहीं मिलने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन नाराज होकर शपथ ग्रहण समारोह से चले गए। बता दें कि अनिल बैजल ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए इस पद से इस्तीफा दे दिया था। नवनियुक्त उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, केंद्र सरकार में खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष थे।
संसद सदस्यों के लिए इन्होंने सीट नहीं रखी
शपथग्रहण समारोह में LG की शपथ से पहले ही डॉ. हर्षवर्धन वहां से निकल गए। जब मीडिया ने उनसे पूछा, तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा-"'संसद सदस्यों के लिए इन्होंने सीट नहीं रखी हुई है।" डॉ. हर्षवर्धन ने यह भी जोड़ा कि वे इस बारे में उपराज्यपाल को पत्र लिखेंगे। हालांकि कहा जा रहा है कि डॉ. हर्षवर्धन को जिस जगह पर बैठाया जा रहा था, वहां वे बैठना नहीं चाहते थे। शपथ ग्रहण समारोह में दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपिन संघी ने विनय कुमार सक्सेना को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस मौके पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी मौजूद थे।
विनय कुमार सक्सेना के बारे में, पायलट की ट्रेनिंग ले चुके हैं
अभी तक दिल्ली में उप राज्यपाल रिटायर्ड आईएएस या आईपीएस ही बनता रहा है, लेकिन बिजनेस की दुनिया से आए विनय कुमार सक्सेना ने यह रिकॉर्ड तोड़ दिया। वे कॉरपोरेट से लेकर एनजीओ क्षेत्र तक काम कर चुके हैं। सक्सेना मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष बनाए गए थे। खादी को देश में ब्रांड बनाने का श्रेय सक्सेना को ही जाता है। मूलत: यूपी के रहने वाले सक्सेना का जन्म 23 मार्च 1958 हुआ था। उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी की। वे पायलट की ट्रेनिंग भी ले चुके हैं। राजस्थान में जेके ग्रुप से सहायक अधिकारी के तौर पर अपना करियर शुरू करने वाले सक्सेना सीमेंट प्लांट में भी 11 साल तक काम कर चुके हैं। 1995 में गुजरात बंदरगाह परियोजना में जनरल मैनेजर के रूप में कार्यरत रहे। इसी कंपनी में वे सीईओ तक पहुंचे।
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