
USAID controversy: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने इंडिया को 2012 में USAID के जरिए मिले $21 मिलियन फंड को 'किकबैक स्कीम' (Kickback Scheme) करार दिया है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा: हमें इसकी परवाह क्यों करनी चाहिए? हमारे पास खुद ही बहुत समस्याएं हैं। ट्रंप ने आरोप लगाया कि यह पैसा 'वोटर टर्नआउट' (Voter Turnout) के लिए भेजा गया था लेकिन इसके असली इस्तेमाल पर संदेह है।
ट्रंप ने रिपब्लिकन गवर्नरों की एक सभा में कहा:क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि भारत को इतना पैसा दिया गया? यह एक किकबैक स्कीम है… इसे वापस उन्हीं लोगों को भेजा जाता है, जो इसे देते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि कई बार जब पैसे के इस्तेमाल की सही जानकारी नहीं होती तो इसका मतलब यही होता है कि कोई घोटाला चल रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान के बाद भारतीय राजनीति में भी बवाल मच गया है। बीजेपी (BJP) ने कांग्रेस (Congress) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को निशाने पर लेते हुए आरोप लगाया कि यह फंडिंग 'डीप स्टेट एसेट्स' (Deep State Assets) को बनाए रखने के लिए इस्तेमाल की गई।
बीजेपी नेता अमित मालवीय (Amit Malviya) ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा: एक दिन बाद, डोनाल्ड ट्रंप ने फिर दोहराया कि भारत को वोटर टर्नआउट के लिए $21 मिलियन मिले थे। असल में, यह पैसा डीप स्टेट एसेट्स को बनाए रखने के लिए इस्तेमाल किया गया, जो ऐसे खुलासों को दबाने का काम करते हैं।
बीजेपी नेता प्रदीप भंडारी (Pradeep Bhandari) ने भी ट्रंप के बयान का हवाला देते हुए लिखा: ट्रंप ने दोबारा कहा कि $21 मिलियन 'किकबैक स्कीम' के तहत भारत आए। अब यह जरूरी हो गया है कि जांच हो कि क्या राहुल गांधी और कांग्रेस इकोसिस्टम इस फंडिंग के लाभार्थी थे?
बीजेपी के इन आरोपों पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी ने कहा कि यह बीजेपी की दुष्प्रचार नीति का हिस्सा है और USAID फंडिंग से जुड़े सभी दस्तावेज सार्वजनिक किए जाने चाहिए। कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार इस फंड को लेकर श्वेत पत्र जारी करे।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने कहा कि बीजेपी को झूठे आरोप लगाने की बजाय एक श्वेत पत्र (White Paper) जारी करना चाहिए जिसमें बताया जाए कि USAID से भारत को कितनी फंडिंग मिली और उसका कहां उपयोग हुआ।
इस बीच, ट्रंप के कार्यकाल में स्थापित 'डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी' (Department of Government Efficiency - DOGE) ने हाल ही में भारत, नेपाल और बांग्लादेश के लिए USAID फंडिंग को समाप्त कर दिया। DOGE के प्रमुख और टेस्ला सीईओ एलन मस्क (Elon Musk) ने इस फंडिंग को 'अनावश्यक खर्च' बताया और इसे तुरंत बंद करने का फैसला लिया।
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