द्रौपदी मुर्मु: ओडिशा के आदिवासी गांव से रायसीना हिल तक का कैसे तय किया सफर, गांव में अभी से जश्न शुरू

झांझ और ढोल की थाप पर संगीतमय माहौल में लोग झूम रहे, नाच रहे और खुशी का इजहार कर रहे हैं। पहाड़पुर गांव के स्थानीय मंदिर में पूजन-अर्चन चल रहा। बड़ी संख्या में महिलाएं, साड़ी जैसे पारंपरिक परिधान झेला पहनकर जश्न मना रहीं।

नई दिल्ली। देश की राजनधानी समेत राज्यों की राजधानी में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए वोटिंग सोमवार को हुई। हालांकि, वोटिंग के बाद से ही ओडिशा के कई गांवों में जश्न का माहौल है। झांझ और ढोल की थाप पर संगीतमय माहौल में लोग झूम रहे, नाच रहे और खुशी का इजहार कर रहे हैं। दरअसल, यह गांव होने वाली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का है। पहाड़पुर गांव के स्थानीय मंदिर में पूजन-अर्चन चल रहा। बड़ी संख्या में महिलाएं, साड़ी जैसे पारंपरिक परिधान झेला पहनकर जश्न मना रहीं और अपनी बेटी के सर्वोच्च पद पर आसीन होने की कामना कर रही हैं। 

दिल्ली के रायसीना हिल्स से जुड़ेगा सीधा नाता

Latest Videos

ओडिशा का मयूरभंज जिला इन दिनों राष्ट्रीय सुर्खियों का केंद्र है। आजादी 75 साल के बाद भी इस जिले के कई गांव जो रोशनी तक को तरस रहे थे, अब रोशनी से नहा चुके हैं। गांव में दशकों से प्रतिक्षित बिजली पहुंच चुकी है। मयूरभंज जिले के पहाड़पुर गांव की द्रौपदी मुर्मु देश की पहली आदिवासी महिला, प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया बनने जा रही हैं। 

आदिवासी बेल्ट मान चुका है जीत

ओडिशा के मयूरभंज जिले का पहाड़पुर गांव झारखंड की सीमा के पास है। लगभग 80 प्रतिशत आबादी आदिवासी है, और द्रौपदी मुर्मू का संथाल समुदाय प्रमुख समूह है।

संघर्षों के साथ जुड़ता गया विशेषण प्रथम

देश की प्रेसिडेंट बनने जा रहीं मुर्मू के लिए यह पथ कोई आसान नहीं रहा है। एक पिछड़े आदिवासी क्षेत्र से देश की प्रथम व्यक्ति के पद तक पहुंचना उनके संघर्षों की देन है। शायद यही संघर्ष हैं कि मुर्मु को हर काम में प्रथम का तगमा मिलता गया। मयूरभंज जिले के अपने पैतृक गांव उपरबेड़ा से लगभग 270 किलोमीटर दूर राज्य की राजधानी भुवनेश्वर में कॉलेज जाने वाली पहली महिला थीं। उसके माता-पिता उसके लिए मासिक भत्ते के रूप में सिर्फ ₹ 10 का खर्च उठा सकते थे। अब प्रथम आदिवासी महिला के रूप में राष्ट्रपति पद भी पाने वाली हैं।

गांव का मकान, उनकी सादगी का प्रतिबिंब

होने वाली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की संघर्ष और सादगी, उनके व्यक्तित्व के बड़े हिस्से हैं, जो पास के शहर रायरंगपुर में पांच कमरों के घर में भी परिलक्षित होते हैं। 1990 के दशक में उनके पति द्वारा यह खरीदा गया, पिछले साल झारखंड के राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी यह घर बना हुआ है। उनके पति एक बैंक अधिकारी थे। घर में बाद में आगंतुकों के लिए एक हॉल और बरामदा बनवाया गया है।

परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं...

सुश्री मुर्मू के भाई, तरनीसेन टुडू, जिन्हें प्यार से दीकू भैया कहा जाता है, बेहद उत्साहित हैं। वह कहते हैं कि संथालों की पहली महिला भारत की प्रथम व्यक्ति बन रही हैं। ऐसे में यह आदिवासी समाज के लिए गर्व की बात है।

सरकारी क्लर्क से रायसीना तक का सफर...

द्रौपदी मुर्मू ने एक सरकारी क्लर्क के रूप में शुरुआत की, और रायरंगपुर में पार्षद बनने से पहले एक स्कूली शिक्षिका थीं। वह दो बार विधायक और मंत्री भी बनीं। उन्हें 2016 में झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। रायरंगपुर के राजनीतिक सहयोगी याद करते हैं कि वह एक पार्षद के रूप में हाथ में छाता लेकर स्वच्छता कार्य की देखरेख करती थीं। एक मंत्री के रूप में भी उन्होंने क्षेत्र के विकास में रुचि ली।

त्रासदी से भरा है जीवन

द्रौपदी मुर्मू के निजी जीवन में तीन बार त्रासदी हुई। उन्होंने अपने दोनों बेटों को बीस साल की उम्र में दुर्घटनाओं में खो दिया। अभी इस गम से उबर रहीं थी कि करीब 8 साल पहले अपने पति को खो दिया। पांच लोगों के परिवार में सिर्फ दो सदस्य बचे हैं। स्वयं सुश्री मुर्मू और उनकी बेटी इतिश्री। उन्होंने अपने पति और बेटों की याद में एक स्कूल बनाया है। एसएलएस मेमोरियल स्कूल है। मुर्मु के पति का नाम श्याम चरण था। जबकि बेटों लक्ष्मण और शिपुन था। इन तीनों के नाम पर स्कूल का नाम है। स्कूल के प्रशासक मुन्ना भाई ने बताया कि यह स्कूल पूरी तरह से आवासीय है, जो 10वीं कक्षा तक है।

गांव के लोगों को विकास की उम्मीद

गांव पहाड़पुर में सिर्फ आठवीं कक्षा तक का स्कूल है। यहां की महिलाओं का कहना है कि बड़े बच्चों को तीन किलोमीटर दूर बादामपहाड़ जाना पड़ता है, जहां दो कॉलेज के अलावा एक हायर सेकेंडरी स्कूल है। 34 वर्षीय रुक्मणी मुमरू सरपंच हैं। उन्हें उम्मीद है कि सुश्री मुर्मू के राष्ट्रपति बनने के बाद नियमित पेयजल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा यहां जल्द ही और भी स्कूल होंगे। साथ ही उसकी इच्छा सूची में एक बस है जो लड़कियों को बादामपहाड़ में आगे की पढ़ाई के लिए ले जा सकती है।

यह भी पढ़ें:

मार्गरेट अल्वा को उप राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष ने बनाया कैंडिडेट, शरद पवार ने किया ऐलान

उप राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए प्रत्याशी होंगे जगदीप धनखड़, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने किया ऐलान

पूर्व सीएम सिद्धारमैया और इस महिला का वीडियो हुआ वायरल, क्यों कार के पीछे भागते हुए रुपयों की गड्डी उछाली?

राष्ट्रीय दलों के डोनेशन में बेतहाशा गिरावट, चंदा में 41.49% की कमी फिर भी कॉरपोरेट्स की पहली पसंद है BJP

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

Christmas Tradition: लाल कपड़े ही क्यों पहनते हैं सांता क्लॉज? । Santa Claus । 25 December
पहले गई सीरिया की सत्ता, अब पत्नी छोड़ रही Bashar Al Assad का साथ, जानें क्यों है नाराज । Syria News
अब एयरपोर्ट पर लें सस्ती चाय और कॉफी का मजा, राघव चड्ढा ने संसद में उठाया था मुद्दा
राजस्थान में बोरवेल में गिरी 3 साल की मासूम, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी । Kotputli Borewell News । Chetna
समंदर किनारे खड़ी थी एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा, पति जहीर का कारनामा हो गया वायरल #Shorts