सांप्रदायिक सौहार्द की मिसालः रावण-कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले बनाता है यह मुस्लिम परिवार

भारतीय त्योहारों के दौरान हिंदू-मुस्लिम एकता और सांप्रदायिक सद्भाव वाली की कई खबरें सामने आती हैं। हिंदू त्योहारों पर मुस्लिम समुदाय के लोग भी अपना योगदान देते हैं।

 

Manoj Kumar | Published : Oct 24, 2023 8:58 AM IST / Updated: Oct 24 2023, 04:53 PM IST

Dussehra Celebration. हिंदू-मुस्लिम एकता और गंगा-जमुनी तहजीब को लेकर देश में की उदाहरण सामने आते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण यूपी के मेरठ से सामने आया है, जहां मुस्लिम परिवार के लोग हिंदू त्योहार में रावण, कुंभकर्रण और मेघानाथ का पुतला तैयार करते हैं। मेरठ के मुस्लिम परिवार ने यह पुतले हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध शिमला मंदिर में होने वाले रावण दहन के लिए तैयार किया है। यहां पर राज्य के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू भी मौजूद रहेंगे। जानकारी के अनुसार मेरठ का यह मुस्लिम परिवार वर्षों से रावण के पुतले का निर्माण कर रहा है। इस बार मुसलमान परिवार की यह तीसरी पीढ़ी है, जो यह पुतले तैयार कर रही है।

हर साल शिमला जाता है मुस्लिम परिवार

मेरठ के मुस्लिम परिवार ने एजेंसी को बताया कि वे लोग हर साल रावण का पुतला बनाने के लिए शिमला जाते हैं। कहा कि हम लोग तीन पीढ़ियों से यह काम करते चले आ रहे हैं। परिवार ने बताया कि रावण का पुतला करीब 45 फीट का बनाया जाता है। कुंभकर्ण का पुतला करीब 35 फीट और मेघनाथ का पुतला 30 का बनाया जाता है। हमलोग त्योहार से करीब 1 सप्ताह पहले ही काम करना शुरू कर देते हैं। हम पूरे समाज को यह मैसेज देना चाहते हैं कि हिंदू और मुसलमानों के बीच कोई भेदभाव नहीं है। मेरठ के रहने वाले मोहम्मद असलम ने कहा कि हम इस बेहतर पुतले बना रहे हैं।

आजादी के बाद से ही बना रहे हैं रावण के पुतले

पुतले बनाने वाले परिवार के सीनियर सदस्य की मानें तो वे करीब 70 सालों से यह काम कर रहे हैं। दशहरा नजदीक आते ही उन्हें पुतले बनाने का ऑर्डर मिलने लग जाता है। बताया कि हम शिमला का जाखू टेंपल में दशकों से यह काम करते चले आ रहे हैं और हमें वहां बहुत सम्मान दिया जाता है। राहत के तीन बेटे हैं जो कि उनके साथ ही यह काम पूरा करते हैं। शिमला में सिर्फ जाखू मंदिर ही नहीं बल्कि यह परिवार संकट मोचन मंदिर, शोघी और शिमला के सुन्नी इलाकों में भी जाकर पुतले तैयार करने का काम करते हैं।

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