BRICS Currency: अमेरिका के प्रेसिडेंट इलेक्ट डोनाल्ड ट्रंप की भारत सहित अन्य ब्रिक्स देशों पर 100 परसेंट टैरिफ की धमकी के बाद भारत ने साफ किया है कि अमेरिकी डॉलर से प्रतिस्पर्धा करने के लिए नई मुद्रा शुरू करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। ब्रिक्स देशों ने अपनी नई करेंसी का कोई प्रपोजल प्रस्तावित नहीं किया है। दोहा फोरम में विदेश मंत्री एस.जयशंकर की यह टिप्पणी अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ब्रिक्स सदस्य देशों, जिनमें भारत, रूस और चीन जैसी प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं, से नई मुद्रा बनाने या डॉलर की जगह लेने वाली किसी अन्य मुद्रा का समर्थन न करने की मांग के एक सप्ताह बाद आई है।
जयशंकर ने कहा: हमारे पहले ट्रंप प्रशासन के साथ अच्छे संबंध हैं, बहुत ठोस संबंध हैं, हां कुछ मुद्दे थे जिनमें से अधिकतर व्यापार से संबंधित थे। लेकिन बहुत सारे मुद्दे थे जिनको ट्रंप के कार्यकाल में ही साल्व किया गया था। मैं लोगों को याद दिलाता हूं कि वास्तव में ट्रंप के कार्यकाल में ही क्वाड को फिर से शुरू किया गया था। विदेश मंत्री ने पीएम मोदी और ट्रंप के बीच व्यक्तिगत संबंधों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा: पीएम मोदी और ट्रंप के बीच व्यक्तिगत संबंध हैं। जहां तक ब्रिक्स की टिप्पणियों का सवाल है, हमने कहा है कि भारत कभी भी डी-डॉलराइजेशन के पक्ष में नहीं रहा है, अभी ब्रिक्स मुद्रा रखने का कोई प्रस्ताव नहीं है। ब्रिक्स वित्तीय लेनदेन पर चर्चा करते हैं। अमेरिका हमारा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है, हमें डॉलर को कमजोर करने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
दरअसल, अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी दी थी कि यदि ब्रिक्स मेंबर, डी-डॉलराइजेशन पॉलिसी शुरू करते हैं या अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल बंद करते हैं तो अमेरिका 100 परसेंट टैरिफ लागू करेगा। ब्रिक्स सदस्यों को नई मुद्रा बनाने या अमेरिकी डॉलर की जगह लेने वाली किसी अन्य मुद्रा का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध न होने की चेतावनी देते हुए ट्रंप ने कहा था कि वे कोई और 'मूर्ख' ढूंढ सकते हैं। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा था कि हमें इन देशों से प्रतिबद्धता की आवश्यकता है कि वे न तो नई ब्रिक्स मुद्रा बनाएंगे, न ही शक्तिशाली अमेरिकी डॉलर की जगह लेने के लिए किसी अन्य मुद्रा का समर्थन करेंगे, अन्यथा उन्हें 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। इस बात की कोई संभावना नहीं है कि ब्रिक्स अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर की जगह ले लेगा। कोई भी देश जो ऐसा करने की कोशिश करता है, उसे अमेरिका को अलविदा कह देना चाहिए।
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