एलोन मस्क ने अपने बेटे के नाम में क्यों लगाया चंद्रशेखर, केन्द्रीय मंत्री ने किया खुलासा

Published : Nov 03, 2023, 09:43 AM ISTUpdated : Nov 03, 2023, 10:15 AM IST
Rajeev Chandrasekhar

सार

टेस्ला और एक्स जैसी कंपनियों के मालिक अरबपति कारोबारी एलोन मस्क ने केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर से कहा कि उनके बेटे का मिडिल नेम चंद्रशेखर है। उन्होंने इसकी वजह भी बताई। 

लंदन। केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar) एआई सेफ्टी समिट (AI Safety Summit) में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए यूके गए हैं। इस दौरान टेस्ला के सीईओ एलोन मस्क उनसे मिले। बातचीत के दौरान मस्क ने कहा कि उनके बेटे का मिडिल नेम चंद्रशेखर है।

 

 

राजीव चंद्रशेखर ने एक्स पर पोस्ट किया, "देखें यूके के बैलेचली पार्क में एआई सेफ्टी समिट में किनसे मुलाकात हुई। एलोन मस्क ने बताया कि उनके बेटे शिवोन जिलिस का मिडिल नेम चंद्रशेखर है। यह उन्होंने 1983 में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले भौतिक विज्ञानी प्रोफेसर एस चन्द्रशेखर के नाम पर रखा है।"

भारतीय खगोलशास्त्री थे सुब्रह्मण्यम चन्द्रशेखर
प्रोफेसर सुब्रह्मण्यम चन्द्रशेखर भारतीय खगोलशास्त्री थे। तारों की संरचना और विकास के लिए महत्वपूर्ण भौतिक प्रक्रियाओं के सैद्धांतिक अध्ययन के लिए उन्हें भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला था। राजीव चंद्रशेखर के पोस्ट पर शिवोन जिलिस के एक्स हैंडल से रिप्लाई किया गया, “हाहा, हां, यह सच है। हम उन्हें संक्षेप में शेखर कहते हैं। यह नाम हमारे बच्चों की विरासत और अद्भुत सुब्रमण्यम चंद्रशेखर के सम्मान में चुना गया था।”

गौरतलब है कि मंत्री चन्द्रशेखर बकिंघमशायर के बैलेचले पार्क में आयोजित एआई सेफ्टी समिट में दुनिया भर के प्रतिनिधियों के साथ शामिल हुए। बैलेचले पार्क आधुनिक कंप्यूटिंग का घर है। यहां प्रसिद्ध ब्रिटिश गणितज्ञ एलन ट्यूरिंग की टीम ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एनिग्मा कोड तोड़ा था। चन्द्रशेखर ने शिखर सम्मेलन के मौके पर कई बैठकें कीं। वह ब्रिटेन के एआई और बौद्धिक संपदा राज्य मंत्री जोनाथन कैमरोज और ऑस्ट्रेलियाई उद्योग और विज्ञान मंत्री एड ह्युसिक से मिले।

बैठकों के बाद मंत्री ने कहा कि जोनाथन कैमरोज के साथ हमने इस बात पर चर्चा की कि कैसे तकनीक के भविष्य के बारे में फैसले बड़े तकनीकी घरानों पर नहीं छोड़े जाने चाहिए। इस दिशा में सरकारों को साथ मिलकर काम करना जारी रखना चाहिए। इंटरनेट पर यूजर्स की सुरक्षा और विश्वास सुनिश्चित करने के लिए क्या करें और क्या न करें की रूपरेखा पर भी बात हुई है।

ह्युसिक के साथ इस बारे में चर्चा की गई कि कैसे भारतीय प्रवासी ऑस्ट्रेलिया के प्रतिभा पूल में महत्वपूर्ण रूप से जुड़ रहे हैं। प्रौद्योगिकी के भविष्य को आकार देने में भारत-ऑस्ट्रेलिया साझेदारी की क्षमता पर भी प्रकाश डाला गया।

PREV

Recommended Stories

हुमायूं कबीर कौन, जिन्होंने बाबरी मस्जिद के लिए इकट्ठा किया करोड़ों का चंदा
Indigo Crisis Day 7: इंडिगो ने दिया ₹827 करोड़ का रिफंड, यात्रियों को लौटाए 4500 बैग