अंतरिक्ष से कैसा दिखता है 'राम सेतु', यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने शेयर की तस्वीर

Published : Jun 24, 2024, 05:39 PM ISTUpdated : Jun 24, 2024, 06:05 PM IST
Ram Setu

सार

यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने अंतरिक्ष से ली गई 'राम सेतु' की तस्वीर को शेयर किया है। इसे कोपरनिकस सेंटिनल-2 सैटेलाइट के कैमरे से लिया गया है।

नई दिल्ली। यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने भारत और श्रीलंका के बीच भगवान राम द्वारा बनाए गए 'राम सेतु' (Ram Setu) तस्वीर शेयर की है। इस फोटो को ESA (European Space Agency) के कोपरनिकस सेंटिनल-2 सैटेलाइट से लिया गया है। 'राम सेतु' को एडम ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है।

राम सेतु भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर रामेश्वरम द्वीप और श्रीलंका के मन्नार द्वीप के बीच 48 किलोमीटर तक फैला है। यह दक्षिण में मन्नार की खाड़ी को उत्तर में पाक जलडमरूमध्य से अलग करता है। मन्नार की खाड़ी हिंद महासागर का प्रवेश द्वार है। वहीं, पाक जलडमरूमध्य बंगाल की खाड़ी का प्रवेश द्वार है।

राम सेतु कैसे बना इसको लेकर कई तरह की बातें कहीं जाती हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार राम सेतु को भगवान श्रीराम ने बनवाया था। उन्हें अपनी सेना के साथ श्रीलंका जाना था। समुद्र पार करने के लिए उन्होंने इस पुल का निर्माण कराया। भूगर्भीय साक्ष्य बताते हैं कि ये चूना पत्थर की चट्टानें उस भूमि के अवशेष हैं जो कभी भारत को श्रीलंका से जोड़ती थी।

15वीं शताब्दी तक लोग राम सेतु से करते थे यात्रा

यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने कहा है कि रिपोर्ट्स के अनुसार इस प्राकृतिक पुल से 15वीं शताब्दी तक लोग यात्रा करते थे। इसके बाद के वर्षों में आए तूफान के चलते यह धीरे-धीरे नष्ट हो गया। पुल के हिस्से में रेत के कुछ टीले सूखे हैं। कुछ जगह समुद्र बहुत उथला है। यहां गहराई केवल 1-10 मीटर है। पानी के हल्के रंग से इसका पता चलता है।

लगभग 130 वर्ग किलोमीटर में फैला मन्नार द्वीप श्रीलंका की मुख्य भूमि से सड़क पुल और रेलवे पुल से जुड़ा हुआ है। ये दोनों पुल श्रीलंका के दक्षिणी छोर पर दिखाई देते हैं। भारत की ओर रामेश्वरम द्वीप (जिसे पम्बन द्वीप के नाम से भी जाना जाता है) तक 2 किलोमीटर लंबे पम्बन ब्रिज के जरिए पहुंचा जा सकता है। यहां दो मुख्य शहर हैं। पम्बन पश्चिमी छोर पर और रामेश्वरम 10 किलोमीटर पूर्व में है। राम सेतु के दोनों खंड भारत और श्रीलंका में संरक्षित राष्ट्रीय उद्यानों का हिस्सा हैं।

यह भी पढ़ें- सरोगेसी से बच्चा पैदा करने वाली महिला कर्मचारियों को भी अब मातृत्व अवकाश का लाभ, 180 दिनों की मैटरनिटी लीव के लिए कानून में संशोधन

ESA ने बताया है कि राम सेतु के रेत के टीले जीव-जंतुओं के लिए बहुत अहम हैं। यहां इंसान नहीं रहते, जिससे पक्षी इसे प्रजनन के लिए चुनते हैं। भूरे रंग के नॉडी जैसे पक्षियों के प्रजनन के लिए ये उपयुक्त हैं। मछलियों और समुद्री घासों की अनेक प्रजातियां उथले पानी में पनपती हैं। इनके लिए भी यह क्षेत्र उपयुक्त है। राम सेतु के आसपास के समुद्र में डॉल्फिन, डुगोंग और कछुए अच्छी संख्या में हैं।

PREV

Recommended Stories

वंदे मातरम् की आवाज से क्यों डर गई कांग्रेस? संसद में PM मोदी ने खोला इतिहास का काला चिट्ठा
वंदे मातरम: हिंदी या बंगाली में नहीं इस भाषा में लिखा गया था राष्ट्रीय गीत, कम लोग जानते हैं सच