Exclusive:धारा 370 हटने के बाद कानून-व्यवस्था पूरी तरह कंट्रोल में है-लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र प्रताप

लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र प्रताप पांडे(Lieutenant General Devendra Pratap Pandey) 9 मई को मध्यप्रदेश के महू में आर्मी वॉर कॉलेज के कमांडेंट( Army War College commandant at Mhow) का पद संभाल रहे हैं। इस मौके पर  asianetnews ने उनसे Exclusive बातचीत की। 

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के सफाए, नियंत्रण रेखा पर सुरक्षा के लिहाज से मजबूत स्थिति और कश्मीर में पर्यटन के साथ शांति की एक सुखद और सकारात्मक पहल करने में अग्रणी रहे लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र प्रताप पांडे(Lieutenant General Devendra Pratap Pandey) 9 मई को मध्यप्रदेश के महू में आर्मी वॉर कॉलेज के कमांडेंट( Army War College commandant at Mhow) का पद संभाल रहे हैं। वर्तमान में वे श्रीनगर स्थित चिनार कोर की कमान संभाल रहे थे। इस मौके पर Asianet News ने उनसे Exclusive बातचीत की। 

पहले जानें ये महत्वपूर्ण बातें
लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले हैं। वे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी( National Defence Academy)के पूर्व छात्र हैं और दिसंबर 1985 में भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से सिख लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट में शामिल हुए थे। उन्हें 200 से अधिक युवाओं को आतंकवाद के रास्ते से समाज की मुख्यधारा में वापस लाने का श्रेय दिया जाता है। चिनार कॉर्प्स (XV कॉर्प्स) कमांडर के रूप में  उनके पिछले कार्यभार - श्रीनगर स्थित चिनार कोर (XV Corps) के प्रभारी के रूप में उन्हें घाटी में आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए रणनीति(strategies) विकसित करते हुए देखा गया। चिनार कॉर्प्स (XV कॉर्प्स) कमांडर के रूप में आखिरी दिन इस मौके पर Asianet News ने उनसे ये Exclusive बातचीत की

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आप कश्मीर घाटी में एक साल से अधिक समय तक कोर कमांडर रहे। आपका अनुभव कैसा था? इस क्षेत्र में आपको किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
मेरे कार्यकाल के इस अंतिम वर्ष में यहां के भीतरी इलाकों और नियंत्रण रेखा पर सुरक्षा की स्थिति में पिछले सालों की तुलना में काफी सुधार हुआ है। कश्मीर में नए सामान्य(New Normal) के साथ पर्यटन क्षेत्र के लिए क्षितिज पर आशा की एक किरण उभरी है। सरकारी अधिकारियों के पास 2022 की गर्मियों के लिए विभिन्न त्योहारों के आयोजन की योजना है। मुझे यकीन है कि स्थानीय लोगों और पर्यटन उद्योग का इसका लाभ मिलेगा।

जहां तक चुनौतियों की बात है, इसमें शामिल सभी एजेंसियों के सक्रिय और संयुक्त प्रयासों के कारण 'सफेदपोश आतंकवादी' काफी हद तक जांच के दायरे में हैं। आतंकवादियों और सहयोगियों की सहायता करने वाले सरकारी सेवकों को सरकारी सेवा से बर्खास्त किया जा रहा है। इस तरह के सक्रिय फैसलों ने जमीनी कार्यकर्ताओं की सांठगांठ को कमजोर कर दिया है और उन्हें बैकफुट पर ला दिया है। नशीली दवाओं और हथियारों की तस्करी की घटनाओं में भी कमी आई है। एनआईए ने हवाला मनी चैनलों का दम घोंट दिया है और नव-संशोधित एसबी( newly-revised SB) ने आतंकवाद-रोधी जांच और अभियोजन में काफी सुधार किया है। अब लोग संघर्षरत उद्यमियों के एजेंडे को समझ गए हैं जो चाहते हैं कि संघर्ष की स्थिति बनी रहे। परिवर्तन होना तय है और तीव्र गति से हो रहा है।

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370(Article 370) को निरस्त हुए लगभग तीन साल हो चुके हैं। कश्मीर घाटी में वर्तमान स्थिति क्या है?
अगस्त 2019 के बाद बेहतर हुई कानून और व्यवस्था की स्थिति का सबसे बड़ा लाभ पथराव और इसी तरह की हिंसक भीड़ से संबंधित घटनाओं में हताहतों की संख्या जीरो पहुंच गई है। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि आज घाटी में कानून-व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है और आने वाले वर्षों के लिए हमारा संकल्प जम्मू-कश्मीर में शांति और सामान्य स्थिति को मजबूत और मजबूत करना है।

बड़ी ढांचागत विकास परियोजनाएं(Large infrastructural development projects) अपनी पूरी गति से चल रही हैं। चाहे हम श्रीनगर को रेलवे से जोड़ने की बात करें या कश्मीर से लेह तक हर मौसम में सड़क संपर्क की बात करें( जो वर्तमान में सोनमर्ग के पास और उससे आगे चल रही मेगा सुरंग परियोजनाओं के संदर्भ में है) इन मेगाप्रोजेक्ट्स को पूरा होने में समय लगता है, लेकिन काम की गति अभूतपूर्व है और कश्मीरी इसे नोटिस कर रहे हैं। सरकार ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखानी शुरू कर दी है और अपने सक्रिय प्रबंधन से आम आदमी को सर्वांगीण विकास दिखाई दे रहा है।

पाकिस्तानी सेना के साथ संघर्ष विराम लागू है। कई मौकों पर आतंकवादियों ने भारतीय क्षेत्र में घुसने की कोशिश की है, लेकिन उन्हें बेअसर कर दिया गया है। क्या आपको लगता है कि पाकिस्तानी सेना जहां संघर्षविराम जारी रखे हुए है, वहीं वह आतंकवादियों को भारतीय क्षेत्र में घुसने में मदद कर रही है?
यह समझौता दोनों देशों के लिए जरूरी(truce deal) है, और इसका सबसे बड़ा लाभ नियंत्रण रेखा पर रहने वाले लोगों को मिला है। जम्मू-कश्मीर में हिंसा भड़काने के प्रयास अस्थिर नियंत्रण रेखा का प्राथमिक कारण हैं; जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद करने की जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है। ऐसा करने से नियंत्रण रेखा पर शांति बनी रहेगी।

हम घुसपैठ के किसी भी प्रयास का मुकाबला करने के लिए सतर्क हैं और अपनी क्षमता को लगातार डेवलप कर रहे हैं। हमारी घुसपैठ रोधी ग्रिड(counter-infiltration grid) ऐसे प्रयासों को खत्म करने, विफल करने और इन घुसपैठियों को निष्प्रभावी करने में काफी सफल रही है। हमारे पास एक प्रभावी निगरानी ग्रिड है, और सीमाओं पर हमारे सैनिक अच्छी तरह से सुसज्जित हैं और किसी भी घटना से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। अपनी ओर से हम एलओसी युद्धविराम के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसे अक्षरश: कायम रखेंगे।

ऐसी खबरें आई हैं कि आतंकवादी अफगानिस्तान में बचे हुए अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल पूरी घाटी में सुरक्षा बलों के खिलाफ कर रहे हैं। सेना चुनौती से कैसे निपट रही है?
नाटो-प्रयुक्त हथियारों(NATO-used weaponry) जैसे कवच भेदी गोलियों और उन्नत नाइट विजन उपकरण उतने प्रभावी या व्यापक नहीं हैं, लेकिन फिर भी हम सतर्क हैं और सभी रिकॉर्ड रख रहे हैं। हमने नवीनतम आवश्यकताओं के अनुसार अपने अभ्यास और रणनीति को उन्नत किया है। घुसपैठ की कोशिशें और उनका पैटर्न एक्टिव रहता है। किसी भी स्थिति के लिए हम सीमाओं पर बहुत सतर्क हैं। 

सेना द्वारा आयोजित इफ्तार को लेकर विवाद छिड़ गया था। आपकी कई तस्वीरें और वीडियो भी सार्वजनिक डोमेन में आ गए हैं। आप इसे कैसे देखते हैं?
हम सर्व धर्म संभव में दृढ़ विश्वास रखते हैं। हमारे पास कुछ सर्व धर्म स्थल हैं, जहां सभी धर्मों में विश्वास करने वाले एक साथ आ सकते हैं और अपने-अपने सर्वशक्तिमान(GOD) से जुड़ सकते हैं। हम सभी प्रकार के त्योहारों को समान उत्साह और जोश के साथ मनाते हैं। मैं क्रिसमस के साथ-साथ गुरु पूरब भी मना रहा हूं, दीपावली भी मनाता हूं। यहां घाटी में, रमज़ान एक प्रमुख त्योहार है और आप त्योहारों के उत्साह और जोश से अलग नहीं रह सकते। सभी समारोहों की तरह, हमारे साथी नागरिकों ने भी आयोजनों में भाग लिया है। यह कोई नई बात नहीं है, बस एक त्योहार का एक और उत्सव है।
 

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