विदेश मंत्री एस जयशंकर एक्सक्लूसिव: क्या है पीएम मोदी की लीडरशिप स्टाइल, कैसे बदली फॉरेन पॉलिसी, यह है एजेंडा

पिछले 8 सालों की भारतीय विदेश नीति का आकलन किया जाए तो इसमें बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। आज दुनिया के ताकतवर देश भी भारत की तरफ देख रहे हैं। वे जानना चाहते हैं कि किसी वैश्विक मुद्दे पर भारत का क्या स्टैंड है। 

बेंगलुरू. भारत आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है और इसके लिए केंद्र सरकार ने बड़ी प्लानिंग की है। हर घर तिरंगा योजना से पूरा देश तिरंगामय हो गया है। डिजिटल प्लेटफार्म पर भी हर भारतीय जश्ने आजादी के मौके पर भारतीयता के रंग में रंग गया है। ऐसे मौके पर एशियानेट न्यूज ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से एक्सक्लूसिव बातचीत है। आप भी जानें कैसे बदल रही है इंडियन फॉरेन पॉलिसी, क्या है मोदी सरकार का एजेंडा...

कैसा रहा पिछले 75 वर्षों का सफर
इस सवाल के जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि हमने बहुत लंबी जर्नी तय की है। कालोनियन राज से हमें छुटकारा मिला। आज हम ज्यादा मजबूत हुए हैं। हमारी राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा मजबूत हुई है। लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि पिछले 1 दशक के दौरान देश ने बड़ा बदलाव देखा है। इसे आप चेंज ऑफ गियर भी कह सकते हैं, जहां हम बड़ी चीजों को देख रहे हैं। नागरिकों को मिलनी वाली सुविधाएं जैसे हर घर तक बिजली पहुंचाना, पानी पहुंचाना, सैनिटाइजेश की जीचें दुरुस्त करना है, में सुधार हुआ है। पहले भी यह काम होते थे लेकिन धीमी गति से, अब वे तेज गति से लोगों का जीवन बदल रही हैं। आम जनता की जो बेसिक राइट्स हैं, वे उन्हें आसानी से मिल रहे हैं। हम बेहतर प्लानिंग बना रहे हैं, उसे इंप्लीमेंट किया जा रहा है। आप पिछले 10 साल की प्लानिंग्स ही देख लीजिए वे मजबूत आधार बना रही हैं, जो आने वाले समय में भी फायदेमंद होगी।

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हर घर तिरंगा अभियान क्यों जरूरी
विदेश मंत्री ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह कैंपेन लोगों को कुछ याद दिलाने के लिए है। मैं सोचता हूं कि हर घर तिरंगा, यह फीलिंग इनसाइट फीलिंग्स के लिए है। मुझे लगता है कि ज्यादातर भारतीय देशभक्त हैं, वे देश के लिए हमेशा कुछ भी करने को तैयार रहते हैं, तो यह उनके लिए मोटिवेशन का काम करेगा और सबसे बड़ी बात है कि यह ऑकेजन सही समय पर हो रहा है। मैंने रूरल एरिया का भी भ्रमण किया है और वह फीलिंग्स लोगों के चेहरे पर दिखाई देती है।

कैसे बदल रही इंडियन फॉरने पॉलिसी
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मैं फॉरेन पालिसी से डे बाई डे जुड़ा हूं। इसलिए यह कहना चाहूंगा कि यह कोई एक झटके में हुआ बदलाव नहीं है बल्कि हम स्टेप बाई स्टेप चीजों को ले रहे हैं। यह इसलिए संभव हो पाया है कि जब आपकी घरेलू स्थिति मजबूत है। पीएम नरेंद्र मोदी जैसी छवि की लीडरशिप है। पीएम मोदी के पास देश के लिए विजन है और वह विजन आने वाली पीढ़ियों के लिए है। वे भारत को मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाना चाहते हैं। भारत की सांस्कृतिक विरासत को दुनिया माने यह चाहते हैं। जैसे आप विश्व योग दिवस को देख लीजिए। दुनियाभर में इसे सेलीब्रेट किया जाता है। 

यह संकेत है कि भारत का इंट्रेस्ट सुरक्षित है, हमारे बॉर्डर सुरक्षित हैं। हमारे लोग जो दुनियाभर के किसी भी देश में हैं, वे सुरक्षित हैं। आप यूक्रेन और अफगानिस्तान के हालिया घटनाक्रम को देख सकते हैं। आज हम 3 ट्रिलियन डॉलर प्लस की इकोनामी हैं। हमारे पास ह्यूज कैपाबिलिटी है। बैंगलोर खुद इसका उदाहरण है। आज हम दुनिया की बड़ी इकोनामी में हैं, बड़े मामलों में हम मायने रखते हैं। आज दुनिया जानना चाहती है कि हम कहां स्टैंड करते हैं। आपने हाल ही में देखा होगा कि कई देशों के प्रतिनिधि भारत आए और उन्होंने हमार स्थिति के बारे में जानना चाहा। यह सब संकेत हैं कि हमारी नीति सही है। हम कह सकते हैं कि बड़े बदलाव हुए हैं लेकिन यह चेंज देश की उम्मीद और आशाओं के अनुसार ही हुए हैं।

यूक्रेन मसले पर भारत का स्टैंड
इस सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि इसे हम थोड़ा पॉजिटीव तरीके से देखते हैं। हम बहुत स्पष्ट हैं कि हमारा इंट्रेस्ट क्या है। हम बहुत क्लीयर हैं कि हम अपनी सोच के अनुसार चीजों को देख रहे हैं। हमने अपने अनुभव से गाइडेड हैं। आज हम जिस स्थिति में हैं, उसमें देश की इकोनामी का रोल है, लीडरशिप का रोल है और अब तक के ऐतिहासिक रिफरेंस का रोल है। हम कह सकते हैं कि तीनों का रोल है लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण है, वह है लीडरशिप। आपके पास ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो देश की जरूरत के हिसाब से फैसले लेते हैं, मजबूती से उन फैसलों पर अडिग रहते हैं। हमें लगता है कि इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। यह लीडरशिप और लीडरशिप स्टाइल की वजह से संभव हुआ है। 

अफसर और मीनिस्टर में क्या अंतर
विदेश मंत्री जयशंकर मोदी सरकार में विदेश सचिव के तौर पर काम कर चुके हैं और अब मीनिस्टर हैं। इस सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं 2011 में पहली बार नरेंद्र मोदी से मिला था, तब में चीन में राजदूत था। फिर अगली मुलाकात वाशिंग्टन में हुई, जब मेडिसन स्क्वयर पर उनका कार्यक्रम हुआ था। उसके बाद 3 साल तक मैंन मंत्रालय में सेक्रेटरी के तौर पर काम किया। लेकिन जब आप पार्लियामेंट्री पार्टी के साथ जुड़ते हैं, बीजेपी जैसी बड़े ऑर्गनाइजेश के साथ जुड़ते हैं। देश की सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक जरूरतों के साथ जुड़ते हैं तो आपके सोचने की प्रक्रिया प्रभावित होती है।

राजनीति से क्यों जुड़े जयशंकर
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि पीएम मोदी से पहले किसी प्रधानमंत्री ने मुझे पॉलिटिक्स में आमंत्रित नहीं किया। सच तो यह है कि मेरे परिवार में कभी कोई राजनीति में नहीं रहा। मेरे परिवार में कभी इसके बारे में चर्चा तक नहीं हुई। मेरा ऐसा कोई एंबिशन भी नहीं था। 2019 में ऐसा लगा किसी मुझे किसी तरह से उनकी मजबूती के लिए कुछ किया जा सकता है। हमने कई पीएम के साथ काम किया है लेकिन इनके साथ जो फ्रीडम  और विश्वास मिला, वह किसी और के साथ संभव नहीं है। यही कारण है कि मैंने शुरूआत की। मैं कह सकता हूं किसी और के साथ यह शुरूआत नहीं हो सकती थी।

श्रीलंका का खेल कैसे खराब हुआ
एस जयशंकर ने कहा कि नहीं मैं इसे वार फेयर नहीं समझता। यह उन देशों की अपनी पॉलिसी, अपने इंट्रेस्ट की वजह से कई सारी चीजें एक साथ मिक्स हो जाने के कारण हुई हैं। उनके लिए भी ज्यादा घातक रहा क्योंकि टूरिज्म खत्म जैसा हो गया। दुर्भाग्य से उनके साथ कई सारी दिक्कतें एक साथ मिलकर डिजास्टर बन गईं। हां जहां तक सीखने की बात है तो कह सकते हैं आर्थिक हालातों को हमें बेहतर तरीके से समझना होगा। आप भारत के बारे में सोचेंगे तो देखेंगे कि कठिन हालात में हमारे प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया। लोग आत्मनिर्भरता के बारे में सोच रहे हैं। वे खुद से चीजों को बदल रहे हैं, हालात से सांमजस्य बैठा रहे हैं। लोग भी इकोनामिक एजेंडे के बारे में सोचते हैं। हमें इसी तरह की रणनीति चाहिए थी। हमारे जैसे बड़े देश में सभी चीजें मौजूद हैं।  आप मोदी सरकार का कोर एजेंडा देखेंगे तो यह है राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय। मैं समझता हूं कि आत्मनिर्भर भारत इन सभी को कैप्चर करता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा को किससे खतरा
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि आप इसे जिस तरह से रख हैं, हम इसे इस तरह से नहीं देखते हैं। इस इसू को देखने का हमारा नजरिया इस तरह का नहीं है। अगर नेशनल पॉलिटिक्स कंपीटेटिव है तो इंटरनेशनल पॉलिटिक्स सुपर कंपीटेटिव है। आप टेस्ट मैच और रणजी मैच के अंतर से इसे समझ सकते हैं। अब तो टी20 का भी जमाना आ गया है। आप कई बार अलग-अलग लोगों की टीम बनाकर कोई टास्क पूरा करते हैं। कई बार तो इसमें फॉरेन प्लेयर्स होते हैं। यह दौर काफी कंपीटेटिव है और हमें उसी तरह से स्ट्रेटजी बनानी होती है। किसी के साथ हमारे बॉर्डर इशू हैं तो उनके साथ हम फेयर कंपीटीशिन करते हैं लेकिन कोई देश आतंक का सहारा लेता है तब हम उसके साथ हेल्दी कंपीटिशन नहीं करते हैं। उनके लिए अलग पॉलिसी होती है। हमारे 75 साल के इतिहास ने बहुत सबक सिखाए हैं। ऐसा नहीं है कि किसी सवास का उत्तर नहीं है बस आपको वह लीडर चाहिए होता है, जो उस जवाब के साथ स्ट्रेटजी बना सके। सीमाओं को कैसे मजबूत बनाना है, वह दिख रहा है। हम बार्डर कनेक्टिविटी पर काम कर रहे हैं। आप देख सकते हैं कितनी सड़कें बनीं हैं, कितने पुल बने हैं, कितना कुछ प्लान किया जा रहा है। बेटर बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती से हम सक्षम हो रहे हैं।

कितना कठिन होगा 2024 का आम चुनाव
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मैं यह कहना चाहूंगा कि पिछले 8 साल में देश की राजनीति काफी बदल गई है। राजनीति में जो लोग हैं, वे जनता के लिए ज्यादा सोच रहे हैं। लोगों की उम्मीदें भी बढ़ी हैं। मैंने पिछले तीन साल में सीखा है कि लोगों की अपेक्षाओं पर खरे उतरने वालों के लिए जनता खड़ी रहती है।

कर्नाटक से है कैसा लगाव
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यह सच है कि मेरा यहां से जुड़ाव रहा है। मेरे दादा एचएएल के चेयरमैन थे तो वे यहीं रहते थे। हमने भी बेंगलुरू से पढ़ाई की है। हमेशा अपना होम स्टेट कर्नाटक ही रखा था। सर्विस ज्वाइन करने के बाद बेलगाम में कुछ महीने रहा हूं तो यहां के साथ मेरी लगाव हमेशा बना रहेगा।

यहां देखें पूरा इंटरव्यू

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