सनातनी परंपरा के चार पीठों में स्थापित और आदि शंकराचार्य को दीक्षित करने वाली धार्मिक मान्यताओं में विशेष स्थान रखने वाले जोशीमठ में एक बड़े खतरे का अलार्म बज रहा है। सभी हैरत में हैं! देश के वैज्ञानिकों से लेकर आम जनमानस तक इस शहर के उजड़ने की आशंका की चर्चा है। दीवारों, सड़कों और बिल्डिंग धंसने की खबरें देवभूमि के इस शहर पर एक विक्राल संकट का संदेह पैदा कर रही हैं। लेकिन शहर का एक पहलू है, जो अभी साश्वत है। हम आपको जोशीमठ से जुड़े नॉलेज भरे फैक्ट बता रहे हैं..
जोशीमठ/उत्तराखंड। सनातनी परंपरा के चार पीठों में स्थापित और आदि शंकराचार्य को दीक्षित करने वाली धार्मिक मान्यताओं में विशेष स्थान रखने वाले जोशीमठ में एक बड़े खतरे का अलार्म बज रहा है। सभी हैरत में हैं! देश के वैज्ञानिकों से लेकर आम जनमानस तक इस शहर के उजड़ने की आशंका की चर्चा है। दीवारों, सड़कों और बिल्डिंग धंसने की खबरें देवभूमि के इस शहर पर एक विक्राल संकट का संदेह पैदा कर रही हैं। लेकिन शहर का एक पहलू है, जो अभी साश्वत है। हम आपको जोशीमठ से जुड़े नॉलेज भरे फैक्ट बता रहे हैं..
जोशीमठ उत्तराखंड के चमोली जिले में बसा नगर है। यह 6150 फीट की ऊंचाई पर बसा है। जोशीमठ ट्रैकिंग और स्काई डाइविंग के लिए युवाओं में काफी फेमस है। लेकिन जोशीमठ का सनातन धर्म में एक अलग ही स्थान है। यह चार पीठों में से एक है। जिसे आदिगुरु शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में बसाया था। ये हिंदू धर्म के लिए एक पवित्रस्थल है।
क्या है जोशीमठ का इतिहास?
जोशीमठ पर कत्यूरी राजाओं ने 7वीं से लेकर 11वीं शताब्दी तक शासन किया। कत्यूरी राजाओं की राजधानी कत्यूरी हुआ करती थी। कत्यूरी कुमाऊं में स्थित है, जो वैजनाथ की घाटी का इलाका है। यहां उस समय अधिकतर बुद्ध धर्म को मानने वाले लोग रहते थे। हालांकि कुछ वक्त बाद सभी दोबारा से हिंदू धर्मांतरित हो गए और सभी ने अपने आप को ब्राह्मण बताया। इन सभी ने पांडित्य कर्म के सारी मान्यताओं को फिर से अपनाया।
जोशीमठ के आकर्षण क्षेत्र
जोशीमठ में पांच ऐसी जगह हैं, जो टूरिस्टों को आकर्षित करती हैं। इनमें घांघरिया, ऑली, नंदा देवी नेशनल पार्क, तपोवन और कल्पवृक्ष।
इन सभी पांच जगह के बारे में जानकारी
कल्पवृक्ष
यहां 1200 साल पुराना कल्पवृक्ष है। यह धार्मिक मान्यताओं में सबसे पवित्र पेड़ है। इतिहास के कई घटनाक्रम का साक्षात गवाह यह इलाका रहा है। कई कथाओं में इस जगह का नाम आता है। एक कथा में कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने इसी पेड़ के नीचे बैठकर भगवान शंकर की आराधना की थी। यहीं से उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
घांघरिया
घांघरिया जोशीमठ में एक गांव है, जो 3000 मीटर पर ऊंचाई पर बसा है। शहर अपनी खूबसूरतियों और हरियाली और स्वच्छ हवा के लिए जाना जाता है। ये हेमकुंड जाने के लिए प्रवेश द्वार है। ये इलाका सबसे शांत जगहों पर जाने के लिए गेटवे माना जाता है।
ऑली
अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाने वाला ऑली सेबफल, देवदार के पेड़ और अखरोट फल के लिए भी जाना जाता है। यहां दुनिया की सबसे फेमस आर्टिफिशियल झील भी है। यह दुनिया की सबसे लंबी मानव द्वारा निर्मित झील यानी मेन मेड लेक है। यहां से आपको गंगनचुंबी बर्फिली चोटी वाले पहाड़ देखने को मिलेंगे।
नंदा देवी नेशनल पार्क
नंदा देवी नेशनल पार्क को 1982 में बसाया गया। यह इलाका फ्लोरा और फॉना यानि वनस्पति और जीव के लिए जाना जाता है।
तपोवन
अपनी घास से भरी सतह के लिए जाना जाने वाला तपोवन अपनी हिल फार्मिंग और कई विशेषताओं के लिए जाना जाता है। यह वसंत के अपने खूबसूरत व्यू पॉइंट नंदा देवी, द्रोणगिरी चौखंबा के लिए जाना जाता है।