
नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज युद्धग्रस्त यूक्रेन (Ukraine) में फंसे भारतीयों को लेकर संसद में जानकारी दी। उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि तनाव बढ़ने पर यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने जनवरी 2022 में भारतीयों के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिया था। इसके जरिये लगभग 20,000 भारतीयों ने रजिस्ट्रेशन कराया। इनमें से अधिकांश भारतीय नागरिक पूरे देश में फैले यूक्रेनी विश्वविद्यालयों में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे। रूस के हमले (russia attack on ukraine) के बाद प्रधानमंत्री मोदी (PM modi)ने कई मौकों पर रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों से बात की। उन्होंने विशेष रूप से खारकीव और सुमी से भारतीयों की सुरक्षित निकासी का मुद्दा उठाया। प्रधानमंत्री ने रोमानिया, स्लोवाक गणराज्य, हंगरी और पोलैंड के राष्ट्रपतियों से बात की ताकि यूक्रेन से निकलकर छात्र उनके देशों में शरण ले सकें। अब तक यूक्रेन से करीब 22,500 लोगों को निकाला जा चुका है।
23 फरवरी तक यूक्रेन छोड़ चुके थे 4 हजार लोग
विदेश मंत्री ने बताया कि 20 और 22 फरवरी को भी भारत सरकार की तरफ से यूक्रेन के छात्रों के लिए एडवाइजरी जारी की गई थी। इसके बाद सरकार ने यूक्रेन से आने-जाने वाली उड़ानों पर लगा कोविड 19 प्रतिबंध भी हटा लिया था और उड़ानों की संख्या बढ़ा दी थी। 23 फरवरी तक लगभग 4,000 भारतीय यूक्रेन से अलग-अलग उड़ानों के जरिये यूक्रेन छोड़ चुके थे। उन्होंने बताया कि हमारे प्रयासों के बावजूद बड़ी संख्या में छात्रों ने यूक्रेन नहीं छोड़ा। उन्होंने बताया कि शैक्षणिक संस्थानों को छोड़ने पर उन्हें अपनी पढ़ाई प्रभावित होने का खतरा दिख रहा था। इसलिए छात्र यूक्रेन नहीं छोड़ना चाहते थे। यही नहीं, यूक्रेन के कुछ विश्वविद्यालयों ने भी छात्रों को हतोत्साहित किया और ऑनलाइन स्टडी की पेशकश करने की कोशिश नहीं की।
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ऑपरेशन गंगा के तहत 90 उड़ानों से छात्रों को निकाला
विदेश मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छात्रों और यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए ऑपरेशन गंगा (OperationGanga) चलाया। इसके तहत 90 उड़ानें संचालित की गई हैं, जिनमें से 76 नागरिक उड़ानें थीं। इंडियन एयर फोर्स ने भी 14 उड़ानें संचालित कीं और रोमानिया, पोलैंड, हंगरी और स्लोवाकिया बॉर्डर पर पहुंचे यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को निकाला।
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