Farmers protest: सालभर बंद रहे सिंघु बॉर्डर का रास्ता अब जाकर हो रहा साफ; बड़े-बड़े पत्थर तक रखे थे

ये तस्वीर सिंघु बॉर्डर की है, जहां 378 दिनों तक किसान आंदोलन (Farmers protest) के चलते रास्ता बंद रहा। पुलिस ने बड़े-बड़े पत्थर, तार फेंसिंग और दीवारें खड़ी करके आवाजाही रोक दी थी। किसान आंदोलन समाप्त होने के बाद अब सिंघ बॉर्डर खोला जा रहा है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 13, 2021 8:02 AM IST / Updated: Dec 13 2021, 01:34 PM IST

नई दिल्ली. 378 दिनों तक चले किसान आंदोलन (Farmers protest) समाप्त होने के बाद 11 और 12 दिसंबर को किसानों की घर वापसी के साथ ही अब सिंघ बॉर्डर का रास्ता खोला जाने लगा है। ये वही सिंघु बॉर्डर है, जहां से किसान आंदोलन संचालित हो रहा था। यहां किसान धरने पर डटे थे, तो पुलिस ने बड़े-बड़े पत्थर, तार फेंसिंग और दीवारें खड़ी करके रास्ता ब्लॉक कर दिया था, ताकि सुरक्षा व्यवस्थाओं को बनाए रखा जाए।

15 जनवरी को फिर होगी मीटिंग
हालांकि किसान संगठन इसे आंदोलन स्थगित करना बता रहे हैं। किसान नेता बलवीर सिंह के मुताबिक, 15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की फिर मीटिंग होगी, जिसमें आंदोलन की समीक्षा की जाएगी। 15 दिसंब तक पंजाब में लगे 113 जगहों के मोर्चे भी खत्म कर दिए जाएंगे।

इन मुद्दों पर सहमति के बाद आंदोलन स्थगित हुआ
केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य( MSP) पर कमेटी बनाने का भरोसा दिलाया है। इसमें किसान मोर्चा के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। फिलहाल जिन फसलों पर MSP मिल रही है, वो जारी रहेगी। MSP पर हो रही खरीदी भी कम नहीं की जाएगी किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर केस भी दर्ज किए गए थे। हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ने  केस वापसी पर सहमत दे दी है। दिल्ली और अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के साथ रेलवे द्वारा दर्ज केस वापस लिए जा रहे हैं। मुआवजे को लेकर उत्तर प्रदेश और हरियाणा में सहमति बन हो गई है। पंजाब सरकार मृत किसानों के परिजनों को 5 लाख का मुआवजा देगी। बता दें कि आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों की मौत हुई है, हालांकि सरकार का मानना है कि उसके पास ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है। केंद्र सरकार ने बिजली संशोधन बिल को पर किसानों से बातचीत करने की बात कही है। यानी उसे सीधे संसद में पास नहीं कराया जाएगा। पराली जलाने को लेकर भी मामला उलझा हुआ था। अब प्रदूषण को लेकर किसानों ने सेक्शन 15 को लेकर आपत्ति जताई थी। इसमें सजा और जुर्माने का प्रावधान था। केंद्र सरकार इसे हटाएगी।

26 नवंबर 2020 से चल रहा आंदोलन, 700 मौतें हुईं 
सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन की शुरुआत 26 नवंबर 2020 को हुई थी। उसके बाद किसानों ने एक साल तक दोनों ही बॉर्डर को अपना घर बनाए रखा। इनमें बहुत से किसान ऐसे हैं, जो आंदोलन के पहले दिन से ही यहां डटे रहे। एक दिन भी घर नहीं गए। ऐसे किसानों का मंच से सम्मान भी किया गया।  बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने  गुरुनानक देवजी की 552वीं जयंती(Guru Nanak Jayanti 2021) पर 19 नवंबर को तीनों कृषि कानून(AgricultureBill) रद्द करने का ऐलान किया था। इसके बाद इन्हें सदन में एक नये कानून के तहत इन्हें रद्द कर दिया गया।

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