15 वां दिन: कृषि मंत्री ने कहा, MSP पर किसानों को लिखित आश्वासन देने को तैयार, मंडी की व्यवस्था पहले जैसी

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 15वां दिन है। बुधवार को किसानों ने मोदी सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। किसानों ने आंदोलन को और तेज करने का मन बना लिया है। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, जो प्रस्ताव आया है उसमें बिल वापसी की बात नहीं है। सरकार संशोधन चाहती है। संशोधन के लिए किसान तैयार नहीं है। हम चाहते है पूरा बिल वापस हो। बिल वापसी के अलावा कोई रास्ता निकलता नजर नहीं आ रहा है। सरकार तीन कृषि बिल लाई है उसी तरह से MSP को लेकर भी बिल लाए।

Asianet News Hindi | Published : Dec 10, 2020 2:09 AM IST / Updated: Dec 10 2020, 04:50 PM IST

नई दिल्ली. कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 15वां दिन है। बुधवार को किसानों ने मोदी सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। किसानों ने आंदोलन को और तेज करने का मन बना लिया है। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, जो प्रस्ताव आया है उसमें बिल वापसी की बात नहीं है। सरकार संशोधन चाहती है। संशोधन के लिए किसान तैयार नहीं है। हम चाहते है पूरा बिल वापस हो। बिल वापसी के अलावा कोई रास्ता निकलता नजर नहीं आ रहा है। सरकार तीन कृषि बिल लाई है उसी तरह से MSP को लेकर भी बिल लाए।

सबसे पहले पश्चिम बंगाल में जेपी नड्डा के काफिले पर हमले की निंदा की

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने शुरुआत में पश्चिम बंगाल में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हुए हमले की निंदा की। उन्होंने कहा,इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं, यह इस हद तक पहुंच गई है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के काफिले पर पथराव किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा इसकी अनदेखी की जा रही है। हम इस हमले की निंदा करते हैं। 

किसान अपनी उपज कही भी, किसी भी कीमत पर बेच सकता है: कृषि मंत्री 

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, मंडी के किसानों को सरकार मुक्त करना चाहती थी ताकि वे अपनी उपज कहीं भी किसी भी कीमत पर मंडी के दायरे से बाहर बेच सकें।

"किसान चाहते हैं कि कानूनों को निरस्त किया जाए, हमने समझाने की कोशिश की"

उन्होंने कहा, हमने किसानों के लिए एक प्रस्ताव भेजा। वे चाहते थे कि कानूनों को निरस्त किया जाए। सरकार उन प्रावधानों पर खुली विचार-विमर्श के लिए तैयार है जिनके खिलाफ उन्हें आपत्ति है। कानून APMC या MSP को प्रभावित नहीं करते हैं। हमने किसानों को यह समझाने की कोशिश की।

बुआई के समय ही उसको मुल्य की गारंटी मिल जाएगी : कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

उन्होंने कहा, हम लोगों को लगता था कि कानूनी प्लेटफॉर्म का फायदा लोग अच्छे से उठाएंगे। किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित होगा। नई तकनीक से जुड़ेगा। बुआई के समय ही उसको मुल्य की गारंटी मिल जाएगी।

MSP पर किसानों को लिखित में आश्वासन देने के लिए तैयार: कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, MSP पर हम किसानों को लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, वार्ता के दौरान, कई लोगों ने कहा कि कृषि कानून अवैध हैं क्योंकि कृषि राज्य विषय है और केंद्र इन कानूनों को लागू नहीं कर सकता है। हमने स्पष्ट किया, हमारे पास व्यापार पर कानून बनाने का अधिकार है और यह उन्हें समझाया गया है। APMC और MSP इससे प्रभावित नहीं हैं। 

"किसानों को डर पर है कि उनकी जमीन पर उद्योगपतियों का कब्जा होगा, लेकिन ऐसा नहीं है"

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, अनुमान लगाया जा रहा है कि किसानों की जमीन पर उद्योगपतियों का कब्जा होगा। गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक में लंबे समय से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग चल रही है, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ। फिर भी, हमने अधिनियम में पहले ही प्रावधान कर दिया है कि इन कानूनों के तहत समझौता केवल प्रोसेसर और किसानों की उपज के बीच होगा। किसानों की भूमि पर किसी भी पट्टे या समझौते का कोई प्रावधान नहीं है।

"स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट 2006 में आई, लेकिन लंबित रही, मोदी सरकार ने ही लागू किया"

कृषि मंत्री ने कहा, पूरे देश ने देखा है कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट 2006 में आई थी, उत्पादन की लागत का 1.5 गुना एमएसपी के बारे में सिफारिश तब तक लंबित रही जब तक कि मोदी सरकार ने इसे लागू नहीं किया।

नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर नोएडा पुलिस के जवानों ने किसानों को दिए गुलाब के फूल।

सरकार की मंशा ठीक नहीं है: किसान नेता 

किसान नेता मंजीत सिंह ने कहा, सिंघु बॉर्डर पर किसान प्रदर्शनकारी डटे हुए हैं। सरकार की मंशा ठीक नहीं है। सरकार चाहती है यह आंदोलन लंबा चले और कमजोर पड़ जाए। सरकार गलतफहमी में है। हमारा आंदोलन बढ़ रहा है। यहां से 5,000 लोग जाते हैं लेकिन 20,000 लोग आते भी हैं। सरकार पर दबाव बढ़ रहा है।

फोटो- विरोध प्रदर्शन के दौरान सिंघु बॉर्डर बर्तन धोता किसान
 

"अगर आंदोलन में पाकिस्तान का हाथ तो स्ट्राइक करें"

शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, अगर केंद्रीय के एक मंत्री ये जानकारी देते है कि ये जो किसान आंदोलन चल रहा इसके पीछे चीन और पाकिस्तान का हाथ है, तो रक्षा मंत्री को तुरंत चीन और पाक पर सर्जिकल स्ट्राइक करना चाहिए और राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री,PM,HM को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

14 दिसंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की चेतावनी

बुधवार (9 दिसंबर) को किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उन्होंने ऐलान किया कि आंदोलन जारी रहेगा। किसान कानूनों के विरोध में 14 दिसंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे। किसानों ने कहा कि प्रस्ताव में कुछ भी नया नहीं है। इसके साथ ही किसानों ने ये ऐलान किए। 

इन संशोधनों पर सरकार राजी
1. सरकार कृषि कानून में संशोधन करके उन्‍हें किसी भी परेशानी में कोर्ट जाने की इजाजत दे सकती है। मौजूदा कानून में ऐसा नहीं है।
2. किसान पंजीकरण व्‍यवस्‍था की मांग कर रहे हैं। जबकि प्राइवेट प्‍लेयर पैन कार्ड का इस्‍तेमाल करते हैं। सरकार द्वारा किसानों की यह मांग मानी जा सकती है।
3. न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य यानी एमएसपी को लेकर किसान नेताओं का कहना है कि गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को हुई बैठक में एमएसपी प्रणाली और मंडी सिस्‍टम में किसानों के अनुसार कुछ बदलाव की बात कही है।

1- किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020  (The Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill 2020)

अभी क्या व्यवस्था- किसानों के पास फसल बेचने के ज्यादा विकल्प नहीं है। किसानों को एपीएमसी यानी कृषि उपज विपणन समितियों  में फसल बेचनी होती है। इसके लिए जरूरी है कि फसल रजिस्टर्ड लाइसेंसी या राज्य सरकार को ही फसल बेच सकते हैं। दूसरे राज्यों में या ई-ट्रेडिंग में फसल नहीं बेच सकते हैं।

नए कानून से क्या फायदा- 
1- नए कानून में किसानों को फसल बेचने में सहूलियत मिलेगी। वह कहीं पर भी अपना अनाज बेच सकेंगे। 
2- राज्यों के एपीएमसी के दायरे से बाहर भी अनाज बेच सकेंगे। 
3- इलेक्ट्रॉनिग ट्रेडिंग से भी फसल बेच सकेंगे। 
4- किसानों की मार्केटिंग लागत बचेगी। 
5- जिन राज्यों में अच्छी कीमत मिल रही है वहां भी किसाने फसल बेच सकते हैं।
6- जिन राज्यों में अनाज की कमी है वहां भी किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिल जाएगी।

2- किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill 2020)

अभी क्या व्यवस्था है- यह कानून किसानों की कमाई पर केंद्रित है। अभी किसानों की कमाई मानसून और बाजार पर निर्भर है। इसमें रिस्क बहुत ज्यादा है। उन्हें मेहनत के हिसाब से रिटर्न नहीं मिलता। 

नए कानून से क्या फायदा- 
1- नए कानून में किसान एग्री बिजनेस करने वाली कंपनियों, प्रोसेसर्स, होलसेलर्स, एक्सपोर्टर्स और बड़े रिटेलर्स से एग्रीमेंट कर आपस में तय कीमत में फसल बेच सकेंगे। 
2- किसानों की मार्केटिंग की लागत बचेगी। 
3- दलाल खत्म हो जाएंगे।
4- किसानों को फसल का उचित मूल्य मिलेगा।
5- लिखित एग्रीमेंट में सप्लाई, ग्रेड, कीमत से संबंधित नियम और शर्तें होंगी। 
6- अगर फसल की कीमत कम होती है, तो भी एग्रीमेंट के तहत किसानों को गारंटेड कीमत मिलेगी। 

3- आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020 (The Essential Commodities (Amendment) Bill 

अभी क्या व्यवस्था है- अभी कोल्ड स्टोरेज, गोदामों और प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट में निवेश कम होने से किसानों को लाभ नहीं मिल पाता। अच्छी फसल होने पर किसानों को नुकसान ही होता है। फसल जल्दी सड़ने लगती है।

नए कानून से क्या फायदा-  
1- नई व्यवस्था में कोल्ड स्टोरेज और फूड सप्लाई से मदद मिलेगी जो कीमतों की स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी। 
2- स्टॉक लिमिट तभी लागू होगी, जब सब्जियों की कीमतें दोगुनी हो जाएंगी।  
3- अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाया गया है। 
4- युद्ध, प्राकृतिक आपदा, कीमतों में असाधारण वृद्धि और अन्य परिस्थितियों में केंद्र सरकार नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगी।

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