किसान आंदोलन: भारतीय किसान यूनियन ने कहा, हमने मोदीजी के सशर्त निमंत्रण को अस्वीकारा

कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे हैं। पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली के पास बॉर्डर पर डटे हुए हैं। जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की उनकी मांग को सरकार नहीं मान रही है। सरकार ने बुराड़ी में प्रदर्शन करने की अनुमति दी है लेकिन किसान वहां नहीं जा रहे हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 30, 2020 2:08 AM IST / Updated: Nov 30 2020, 08:26 PM IST

नई दिल्ली. कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे हैं। पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली के पास बॉर्डर पर डटे हुए हैं। जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की उनकी मांग को सरकार नहीं मान रही है। सरकार ने बुराड़ी में प्रदर्शन करने की अनुमति दी है लेकिन किसान वहां नहीं जा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ देर रात भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर किसानों के आंदोलन को लेकर हाई लेवल मीटिंग हुई। जो करीब 2 घंटे तक चली।  वहीं दिल्ली बॉर्डर पर कोरोना संक्रमण फैलने के खतरे के मद्देनजर मेडिकल कैंप लगाया गया है, कैंप में किसानों के कोरोना की जांच की जा रही है।

अपडेट्स...

भारतीय किसान यूनियन (डकौंदा) के नेता जगमोहन सिंह ने कहा कि हम सभी राज्यों के किसान संगठनों के साथ बैठक नहीं कर सकते। हम केवल पंजाब के 30 संगठनों के साथ ही ऐसा कर सकते थे। हमने मोदीजी के सशर्त निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया।

किसानों के भारी विरोध को देखते हुए अब केंद्र सरकार एक्टिव हो गई है। इसको लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर गृह मंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे हैं। इस बीच दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर पर सख्ती बढ़ती जा रही है। यहां हर गाड़ी को चेक किया जा रहा है, जिसके बाद लोगों को एंट्री मिल रही है। सख्त चेकिंग के कारण अब जाम जैसे हालात बन गए हैं।

मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी शामिल हुए। करीब 2 घंटे चली बैठक में किसानों के आंदोलन को लेकर चर्चा हुई।

किसानों ने बुराड़ी जाने से मना कर दिया था
किसान संगठन बीकेयू क्रांतिकारी (पंजाब) के प्रदेश अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल ने रविवार को कहा था कि बातचीत के लिए रखी गई शर्त किसानों का अपमान है। हम बुराड़ी कभी नहीं जाएंगे। बुराड़ी ओपन पार्क नहीं है एक ओपन जेल है।

3 कानून कौन से हैं, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं

1- किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020  (The Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill 2020)

अभी क्या व्यवस्था- किसानों के पास फसल बेचने के ज्यादा विकल्प नहीं है। किसानों को एपीएमसी यानी कृषि उपज विपणन समितियों  में फसल बेचनी होती है। इसके लिए जरूरी है कि फसल रजिस्टर्ड लाइसेंसी या राज्य सरकार को ही फसल बेच सकते हैं। दूसरे राज्यों में या ई-ट्रेडिंग में फसल नहीं बेच सकते हैं।

नए कानून से क्या फायदा- 
1- नए कानून में किसानों को फसल बेचने में सहूलियत मिलेगी। वह कहीं पर भी अपना अनाज बेच सकेंगे। 
2- राज्यों के एपीएमसी के दायरे से बाहर भी अनाज बेच सकेंगे। 
3- इलेक्ट्रॉनिग ट्रेडिंग से भी फसल बेच सकेंगे। 
4- किसानों की मार्केटिंग लागत बचेगी। 
5- जिन राज्यों में अच्छी कीमत मिल रही है वहां भी किसाने फसल बेच सकते हैं।
6- जिन राज्यों में अनाज की कमी है वहां भी किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिल जाएगी।

2- किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill 2020)

अभी क्या व्यवस्था है- यह कानून किसानों की कमाई पर केंद्रित है। अभी किसानों की कमाई मानसून और बाजार पर निर्भर है। इसमें रिस्क बहुत ज्यादा है। उन्हें मेहनत के हिसाब से रिटर्न नहीं मिलता। 

नए कानून से क्या फायदा- 
1- नए कानून में किसान एग्री बिजनेस करने वाली कंपनियों, प्रोसेसर्स, होलसेलर्स, एक्सपोर्टर्स और बड़े रिटेलर्स से एग्रीमेंट कर आपस में तय कीमत में फसल बेच सकेंगे। 
2- किसानों की मार्केटिंग की लागत बचेगी। 
3- दलाल खत्म हो जाएंगे।
4- किसानों को फसल का उचित मूल्य मिलेगा।
5- लिखित एग्रीमेंट में सप्लाई, ग्रेड, कीमत से संबंधित नियम और शर्तें होंगी। 
6- अगर फसल की कीमत कम होती है, तो भी एग्रीमेंट के तहत किसानों को गारंटेड कीमत मिलेगी। 

3- आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020 (The Essential Commodities (Amendment) Bill 

अभी क्या व्यवस्था है- अभी कोल्ड स्टोरेज, गोदामों और प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट में निवेश कम होने से किसानों को लाभ नहीं मिल पाता। अच्छी फसल होने पर किसानों को नुकसान ही होता है। फसल जल्दी सड़ने लगती है।

नए कानून से क्या फायदा-  
1- नई व्यवस्था में कोल्ड स्टोरेज और फूड सप्लाई से मदद मिलेगी जो कीमतों की स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी। 
2- स्टॉक लिमिट तभी लागू होगी, जब सब्जियों की कीमतें दोगुनी हो जाएंगी।  
3- अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाया गया है। 
4- युद्ध, प्राकृतिक आपदा, कीमतों में असाधारण वृद्धि और अन्य परिस्थितियों में केंद्र सरकार नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगी।

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